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जैव विविधता और पर्यावरण

कोयला गैसीकरण

  • 28 May 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोयला गैसीकरण, सिनगैस, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था। 

मेन्स के लिये:

कोयला गैसीकरण, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, कोयला गैसीकरण संयंत्रों से जुड़ी चिंताएँ। 

चर्चा में क्यों? 

कोयला मंत्रालय ने 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने के लिये एक राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज़ तैयार किया है। 

कोयला गैसीकरण: 

  • प्रक्रिया: कोयला गैसीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ‘फ्यूल गैस’ बनाने के लिये कोयले को वायु, ऑक्सीजन, वाष्प या कार्बन डाइऑक्साइड के साथ आंशिक रूप से ऑक्सीकृत किया जाता है। 
  • इस गैस का उपयोग पाइप्ड प्राकृतिक गैस, मीथेन और अन्य के स्थान पर ऊर्जा प्राप्त करने हेतु किया जाता है। 
  • कोयले का ‘इन-सीटू’ गैसीकरण या भूमिगत कोयला गैसीकरण कोयले को गैस में परिवर्तित करने की तकनीक है, इसे कुओं के माध्यम से निकाला जाता है। 
  • सिनगैस का उत्पादन: यह सिनगैस (Syngas) को उत्पन्न करता है जो मुख्य रूप से मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोजन (H2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल वाष्प (H2O) का मिश्रण है। 
    •  सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है। 

Coal-gasification

कोयला गैसीकरण का महत्व: 

  • स्टील कंपनियांँ आमतौर पर अपनी निर्माण प्रक्रिया में कोकिंग कोल का उपयोग करती हैं। अधिकांश कोकिंग कोल आयात किया जाता है और महंँगा होता है। लागत में कटौती करने के लिये संयंत्र सिनगैस का उपयोग कर सकते हैं जो कोकिंग कोल के स्थान पर कोयला गैसीकरण संयंत्रों से प्राप्त होता है। 
  • कोयला गैसीकरण से प्राप्त हाइड्रोजन का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों हेतु किया जा सकता है जैसे- अमोनिया निर्माण, हाइड्रोजन इकॉनमी को मज़बूती प्रदान करने में। 
  • भारत में हाइड्रोजन की मांग वर्ष 2030 तक बढ़कर 11.7 मिलियन टन होने की संभावना है, जो अब तक 6.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। रिफाइनरी और उर्वरक संयंत्र अब हाइड्रोजन के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, जो प्राकृतिक गैस से उत्पादित किया जा रहा है। यह कोयला गैसीकरण की प्रक्रियाओं में कोयले के माध्यम से उत्पादित किया जा सकता है। 

कोयला गैसीकरण संयंत्रों से जुड़ी चिंताएंँ:  

  • पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य: कोयला गैसीकरण वास्तव में एक पारंपरिक कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करता है। 
    • सीएसई (CSE) के अनुमानों के अनुसार, गैसीफाइड कोयले को जलाने से उत्पन्न बिजली की एक इकाई सीधे कोयले को जलाने के परिणाम की तुलना में 2.5 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करती है। 
  • दक्षता परिप्रेक्ष्य: सिनगैस प्रक्रिया अपेक्षाकृत उच्च गुणवत्ता वाले ऊर्जा स्रोत (कोयला) को निम्न गुणवत्ता वाली स्थिति (गैस) में परिवर्तित करती है और ऐसा करने में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है। 
    • इस प्रकार रूपांतरण की दक्षता भी कम है। 

हाइड्रोजन इकॉनमी: 

  • यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो वाणिज्यिक ईंधन के रूप में हाइड्रोजन पर निर्भर करती है जो किसी देश की ऊर्जा और सेवाओं में एक बड़ा हिस्सा प्रदान करती है। 
  • हाइड्रोजन एक शून्य-कार्बन ईंधन है और इसे ईंधन का विकल्प तथा स्वच्छ ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। 
  • इसे सौर और पवन जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित किया जा सकता है। 
  • यह भविष्य के ईधन के रूप में परिकल्पित है जहांँ हाइड्रोजन का उपयोग वाहनों, ऊर्जा भंडारण और लंबी दूरी के परिवहन के लिये ईंधन के रूप में किया जाता है।  
  • हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का उपयोग करने के विभिन्न मार्गों में हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग शामिल हैं। 
  • वर्ष 1970 में जॉन बोक्रिस (John Bockris) द्वारा 'हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था' शब्द का प्रयोग किया गया था। 
  • उन्होंने उल्लेख किया कि एक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था वर्तमान हाइड्रोकार्बन आधारित अर्थव्यवस्था का स्थान ले सकती है, जिससे एक स्वच्छ वातावरण निर्मित हो सकता है। 

आगे की राह 

  • कंपनियों को वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिये नई तकनीकों को अपनाने और डिजिटल बुनियादी ढांँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है। 
  • इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। 

स्रोत: पी.आई.बी. 

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