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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक

  • 10 Dec 2020
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक-2021 में भारत को 10वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

  • यह लगातार दूसरी बार है जब भारत इस सूचकांक में शीर्ष दस देशों की सूची में शामिल हुआ है।
  • बीते वर्ष भारत को इस सूचकांक में 9वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।

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प्रमुख बिंदु

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI)

  • प्रकाशन: जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक को जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा वर्ष 2005 से वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाता है।
  • यह 57 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण संबंधी उपायों के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण के तौर पर कार्य करता है।
    • इसके तहत शामिल सभी देश संयुक्त तौर पर 90 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं।
  • लक्ष्य: अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और अलग-अलग देशों द्वारा जलवायु संरक्षण की दिशा में किये गए प्रयासों और प्रगति की तुलना करने में सक्षम बनाना।
  • मापदंड: यह सूचकांक चार श्रेणियों के अंतर्गत 14 संकेतकों पर देशों के समग्र प्रदर्शन के आधार पर जारी किया जाता है।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक-2021

  • सूचकांक में पहले तीन स्थान रिक्त हैं, क्योंकि कोई भी देश शीर्ष तीन स्थानों से संबंधित मापदंडों को पूरा करने में सफल नहीं हो पाया।
  • G- 20 समूह के केवल दो ही देश यथा- भारत और ब्रिटेन जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक-2021 में शीर्ष स्थान प्राप्त करने में सफल रहे।
  • G- 20 समूह के छह अन्य देशों (अमेरिका, कनाडा, दक्षिण कोरिया, रूस, ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब) को इस सूचकांक में सबसे निम्न रैंकिंग प्राप्त हुई है।
    • यह दूसरी बार है जब अमेरिका को इस सूचकांक में सबसे निचला स्थान प्राप्त हुआ है।
  • चीन जो कि वर्तमान में ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है, को इस सूचकांक में 33वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

भारत का प्रदर्शन

  • समग्र प्रदर्शन: इस सूचकांक में भारत को 10वाँ स्थान (100 में से 63.98 अंक) प्राप्त हुआ है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: भारत को नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी के तहत 57 देशों में से 27वें स्थान पर रखा गया है, जबकि बीते वर्ष भारत इसमें 26वें स्थान पर था।
    • सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा और वर्ष 2030 तक 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्ति का लक्ष्य निर्धारित किया था।
    • भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (INDC) में वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी को 40 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही है।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन तुलनात्मक रूप से निम्न स्तर पर है। इस श्रेणी में भारत को 12वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
    • BS-VI उत्सर्जन मानदंड: भारत में ऑटोमोबाइल से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिये BS-VI उत्सर्जन मानदंड को लागू किया गया है। 
  • जलवायु नीति: इस श्रेणी में भारत को 13वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
    • भारत में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC) का शुभारंभ वर्ष 2008 में किया गया था। इसका उद्देश्य जन-प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों तथा इनसे मुकाबला करने के उपायों के बारे में जागरूक करना है।
  • ऊर्जा उपयोग: इस श्रेणी में भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और भारत को इसमें 10वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
    • भारत ने न केवल ऊर्जा दक्षता हेतु ‘संवर्द्धित ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन’ (NMEEE) के रूप में एक व्यापक नीति तैयार की है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करते हुए उपभोक्ताओं और नगर निगमों के लिये मांग आधारित प्रबंधन कार्यक्रमों को भी सफलतापूर्वक निष्पादित किया है।

भारत के लिये सुझाव

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जलवायु परिवर्तन संबंधी रणनीति में कोविड-19 महामारी के बाद की रिकवरी योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिये। इनमें जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को कम करना, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण द्वारा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना शामिल है।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

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