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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘स्वच्छ भारत मिशन’ : आगे की राह

  • 18 Jan 2017
  • 8 min read

भूमिका

गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में साफ-सफाई और स्वच्छता से संबंधित एक प्रण के तहत अपना शौचालय खुद साफ करने का निर्णय लिया था| गांधीजी के साफ-सफाई से संबंधित इन्हीं आदर्शों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्तूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत मिशन ‘ की शुरुआत की जो महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण की ओर बढ़ा एक और कदम है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस मिशन (जो केंद्र सरकार के विशालतम स्वच्छता कार्यक्रम का हिस्सा है) को शहरी तथा ग्रामीण मिशन के रूप में विभाजित किया गया है। 
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्तूबर, 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है।
  • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की कमान शहरी विकास मंत्रालय को दी गई है और 4041 वैधानिक कस्बों में रहने वाले 377 लाख व्‍यक्तियों तक स्वच्छता हेतु घर में शौचालय की सुविधा प्रदान करने का काम सौंपा गया है। 
  • इसमें पाँच वर्षों में करीब 62009 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है, जिसमें केन्द्र सरकार 14623 करोड़ रुपए की राशि सहायता के तौर पर उपलब्ध कराएगी। 
  • इस मिशन के अंतर्गत 1.04 करोड़ घरों को लाना है जिसके तहत 2.5 लाख सामुदायिक शौचालय सीटें उपलब्ध कराना, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय सीटें उपलब्ध कराना तथा सभी शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा मुहैया करना है।

शहरी मिशन

  • शहरी मिशन के तहत खुले में शौच को समाप्त करना, अस्वास्थ्यकर शौचालयों को फ्लश शौचालयों में परिवर्तित करना और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा का विकास करना है। 
  • इस मिशन के तहत लोगों को खुले में शौच के हानिकारक प्रभावों, बिखरे कचरे से पर्यावरण को होने वाले खतरों आदि के बारे में शिक्षित कर उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने पर विशेष ज़ोर दिया जाता है। 
  • इन उद्देश्यों को पूरा करने में शहरी स्थानीय निकायों का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है, साथ ही इसमें निजी क्षेत्र की भी भागीदारी ली जा सकती है।           

ग्रामीण मिशन 

  • ग्रामीण मिशन, जिसे स्वच्छ भारत (ग्रामीण) के नाम से जाना जाता है, का उद्देश्य 2 अक्तूबर, 2019 तक सभी ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करना है। 
  • इस मिशन की सफलता के लिये गाँवों में व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी से क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना भी शामिल है।
  • ग्रामीण मिशन के तहत 1 अक्तूबर, 2014 से 1 अगस्त, 2016 तक 210.09 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है। 
  • इसी अवधि में स्वच्छता का दायरा 42.05 प्रतिशत से बढ़कर 53.60 प्रतिशत तक पहुँच गया है।
  • गाँव के स्कूलों में गन्दगी और मैले की स्थिति को देखते हुए, इस कार्यक्रम के तहत स्कूलों में बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं के साथ शौचालयों के निर्माण पर विशेष ज़ोर दिया जाता है। 
  • सभी ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी शौचालय और ठोस तथा तरल कचरे का प्रबंधन इस मिशन की प्रमुख विषय-वस्तु है। 
  • नोडल एजेंसियाँ ग्राम पंचायत और घरेलू स्तर पर शौचालय के निर्माण और उपयोग की निगरानी करेंगी।
  • ग्रामीण मिशन के तहत ₹134000 करोड़ की लागत से 11.11 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है।
  • व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के प्रावधान के तहत, बीपीएल और एपीएल वर्ग के ग्रामीणों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रत्येक शौचालय के लिये क्रमश: ₹9000 और ₹3000 का प्रोत्साहन, निर्माण और उपयोग के बाद दिया जाता है। 
  • उत्तर-पूर्व के राज्यों, जम्मू-कश्मीर तथा विशेष श्रेणी के क्षेत्रों के लिये यह प्रोत्साहन राशि क्रमश: ₹10800 और ₹1200 है।

स्वच्छ भारत मिशन के 6 प्रमुख घटक हैं-

1- व्यक्तिगत घरेलू शौचालय
2- सामुदायिक शौचालय
3- सार्वजनिक शौचालय
4- नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
5- सूचना और शिक्षित संचार (आईईसी) और सार्वजनिक जागरूकता
6- क्षमता निर्माण  

कार्यान्वयन की नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है, परिणाम उम्मीद से अधिक हैं। आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014-15 में 5854987 शौचालयों का निर्माण किया गया, जबकि लक्ष्य 50 लाख शौचालयों का ही था। इसमें निर्धारित लक्ष्य के 117 प्रतिशत तक सफलता हासिल हुई है। 2015-16 में 127.41 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है जो निर्धारित लक्ष्य से 120 लाख ज़्यादा है। 2016-17 में लक्ष्य ₹1.5 करोड़ रखा गया और इसमें 1 अगस्त, 2016 तक 3319451 शौचालयों का निर्माण पूरा कर लिया गया है तथा बाकी के लिये भी तेज़ी से काम चल रहा है।

निष्कर्ष 

इस सफाई अभियान से संबंधित राज्य स्तरीय कार्यशालाओं द्वारा अलग-अलग राज्यों में कार्य किया जा रहा है। केन्द्र और राज्यों के बीच समन्वय उसके प्रतिनिधियों के राज्यों का दौरा करने और समन्वय बैठकों में भाग लेने से बढ़ा है। यह जिलाधिकारियों, सीईओ, जिला पंचायत तथा जिला पंचायत के अध्यक्षों के संयुक्त प्रयासों का प्रतिफल है। हालाँकि,  स्वच्छता की कार्यप्रणाली में क्या व्यावहारिक परिवर्तन हुआ है, अंततः यही मायने रखता है। किन्तु, फिर भी हम कह सकते हैं कि स्वच्छ भारत मिशन सही रास्ते पर अग्रसर है। निश्चित ही,  यह शुरुआत सरकार द्वारा संचालित बहुत से कार्यक्रमों व योजनाओं को समाहित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है | 

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