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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन ने पाकिस्तान को दिया सबसे बड़ा युद्धपोत: पीएनएस तुगरिल

  • 12 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पीएनएस तुगरिल, हिंद महासागर क्षेत्र, 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल, चागोस द्वीप समूह

मेन्स के लिये:

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उपस्थिति एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को पहला टाइप 054A/P फ्रिगेट (युद्धपोत) सौंपा। इसे पीएनएस तुगरिल (PNS Tughril) नाम दिया गया है।

  • चार प्रकार के 054A/P युद्धपोतों में पहला युद्धपोत पीएनएस तुगरिल है जिसका निर्माण पाकिस्तानी नौसेना के लिये किया जा रहा है।  

प्रमुख बिंदु

  • विशेषताएँ:
    • यह जहाज़ तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यधिक सक्षम है जिसमें सतह से सतह, सतह से हवा और व्यापक निगरानी क्षमता के अलावा पानी के नीचे मारक क्षमता हासिल की जा सकती है।
    • इस युद्धपोत में विश्व स्तरीय स्टील्थ क्षमता है और यह किसी भी रडार के संपर्क में आसानी से नहीं आएगा।  
    • इसमें लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइलें और एक अत्याधुनिक तोप भी है जो एक मिनट में कई राउंड फायर करने में सक्षम है।
    • यह युद्धपोत अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन प्रणाली (BMS) से लैस है, जो पाकिस्तानी नौसेना की युद्ध क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा।
      • बीएमसी (BMS) मूल रूप से रडार और इंटरसेप्टर मिसाइल के बीच संपर्क स्थापित करता है।
  • भारत की चिंताएँ:
    • यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री रक्षा सुनिश्चित करने हेतु समुद्री चुनौतियों का सामना करने के लिये पाकिस्तानी नौसेना की क्षमता को मज़बूती प्रदान करेगा।
      • यह पाकिस्तानी नौसेना की समुद्री रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करते हुए पाकिस्तानी नौसेना के बेड़े (Fleet) का मुख्य आधार बनेगा।
    • उन्नत नौसैनिक जहाज़ों के अलावा चीन ने JF-17 थंडर लड़ाकू विमान बनाने के लिये पाकिस्तानी वायुसेना के साथ साझेदारी की है।
    • हिंद महासागर क्षेत्र में हॉर्न ऑफ अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला सैन्य अड्डा बनाने के अलावा चीन ने अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का नियंत्रण हासिल किया है जो चीन के झिंजियांग प्रांत से 60 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से संबंधित है। 
      • चीन श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को भी 99 साल के लिये लीज पर हासिल कर उसका विकास कर रहा है।
    • पाकिस्तानी नौसेना के आधुनिकीकरण के साथ-साथ नौसैनिक अड्डों का नियंत्रण हासिल होने से हिंद महासागर और अरब सागर में चीनी नौसेना की व्यापक उपस्थिति की संभावना है।

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उभरती स्थिति

  • समुद्र तटीय राष्ट्रों के साथ विभिन्न समझौते: भारत ने अपने सैन्य अड्डों तक पहुँच प्राप्त करने हेतु तटवर्ती हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) में कई राष्ट्रों के साथ समझौतों पर बातचीत की है।
    • इंडोनेशिया के रणनीतिक दृष्टिकोण से गहरे समुद्र में स्थित सबांग बंदरगाह (Sabang Port) और ओमान के डुक्म बंदरगाह ( Duqm Port) तक पहुँच स्थापित करने जैसे समझौते नई दिल्ली की भू-राजनीतिक स्थिति को मज़बूत करते हैं क्योंकि ये चीन के 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल' का मुकाबला करने में सक्षम है।
  • IOR के अतिरिक्त जुड़ाव: भारत ने IOR के बाहर के राष्ट्रों के साथ समझौता किया है तथा लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट के माध्यम से फ्राँस व संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सहयोग को और मज़बूत किया है।
    • यह भारत को अमेरिकी सीमांकन क्षेत्र के डिएगो गार्सिया (मध्य हिंद महासागर में चागोस द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी सदस्य) और फ्राँसीसी सीमांकन क्षेत्र के रीयूनियन द्वीप पर बंदरगाह सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
  • चतुर्भुज वार्ता: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ अनौपचारिक चतुर्भुज सुरक्षा संवाद या "क्वाड" के माध्यम से जुड़ा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं।
  • पेरिस-दिल्ली-कैनबरा अक्ष (एक्सिस): फ्राँस ने हिंद-प्रशांत में "पेरिस-दिल्ली-कैनबरा अक्ष” (एक्सिस) के निर्माण का आह्वान किया है, जो IOR की भू-राजनीतिक स्थिति पर भारत के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR): IFC-IOR की स्थापना इस क्षेत्र के लिये समुद्री सूचना केंद्र के रूप में कार्य करके क्षेत्र और उससे परे समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के दृष्टिकोण से की गई है।
  • समुद्री अभ्यास: भारत ने अपने "मालाबार" नौसैनिक अभ्यास के एक संस्करण का समापन किया, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे।
    • वर्ष 2018 में भारत ने 16 अन्य देशों के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ‘मिलन’ (MILAN) नामक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास तथा ऑस्ट्रेलियाई, जापानी एवं अमेरिकी नौसेना बलों के साथ नौकायन के रिम ऑफ द पैसिफिक एक्सरसाइज़ (RIMPAC) का भी आयोजन किया।
  • नौसनिक जहाज़: भारत में पहले से ही एक परिचालित वाहक, आईएनएस विक्रमादित्य है और एक दूसरे आईएनएस विक्रांत के परिचालन की योजना है, इसने विक्रांत का अनुसरण करने के लिये विमान वाहक के एक वर्ग को विकसित करने हेतु महत्त्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा तैयार की है।
    • भारतीय नौसेना ने भविष्य में 57 वाहक-आधारित लड़ाकू जेट खरीदने की योजना की रूपरेखा तैयार की है, साथ ही परमाणु शक्ति वाले आक्रामक जहाज़ों के एक नए अरिहंत-वर्ग के साथ अपने पनडुब्बी बेड़े का आधुनिकीकरण किया है।

Indian-Ocean

स्रोत: द हिंदू

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