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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

केन्द्रीय बलों के विशेष भत्ते की मांग के संबंध में असंतोषजनक प्रगति

  • 13 Jan 2017
  • 4 min read

सन्दर्भ

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मी पिछले एक दशक से जोखिमपूर्ण  परिस्थितियों में कार्य करने को लेकर विशेष भत्ते की मांग कर रहे हैं| हाल ही में सोशल मीडिया पर दो वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें दिखाया गया है कि हमारे केन्द्रीय अर्द्ध-सैनिक बलों की हालत कितनी दयनीय है|

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • अगर हमारी सेना देश की शान है, तो देश की आंतरिक समस्याओं से निपटने और सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे अर्द्ध-सैनिक बलों की भूमिका भी किसी लिहाज़ से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है| गौरतलब है कि “जोखिम भत्ते” (Risk allowance) के तौर पर जम्मू-कश्मीर में तैनात एक कॉन्स्टेबल को 3,750 रुपए, जबकि पूर्वोत्तर में तैनात एक जवान को 3601 रुपए मिलते हैं, जबकि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मियों को अपेक्षाकृत बहुत ही कम भत्ता प्राप्त होता है| 
  • वर्ष 2011 के बाद से, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में 580 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। इनमें से अधिकांश जवान इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) द्वारा हुए विस्फोट में शहीद हुए हैं यह इस बात का द्योतक है कि अर्द्ध-सैनिक बलों को अत्याधिक जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में अपने दायित्व का निर्वहन करना पड़ता है|

इस संबंध में सरकार के प्रयास

  • गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2014 में ही वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिये विशेष भत्ते की घोषणा की थी और कहा था कि अत्यधिक विषम और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों (Hardship and risk) के लिये भत्ते के संबंध में वेतन आयोग निर्णय लेगा|
  • सातवें वेतन आयोग ने 2015 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिसबलों के लिये अत्यधिक विषम और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में कार्य करने हेतु भत्ते की सिफारिश की थी| 
  • उल्लेखनीय है कि वेतन आयोग ने जोखिमपूर्ण कार्यों की नौ श्रेणियों का निर्धारण किया था और उनके आधार पर अधिकतम 25,000 और न्यूनतम 1,000 रुपए के भत्ते दिये जाने की सिफारिश की थी|
  • विदित हो  कि जोखिमपूर्ण कार्यों की ये श्रेणियाँ कम, मध्यम और अत्यधिक जोखिम वाले कार्य पर आधारित थीं| सरकार ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया था जो अभी तक इस मुद्दे का समाधान नहीं कर पाई  है|
  • गौरतलब है कि वेतन आयोग की इन सिफारिशों के संबंध में गठित समिति की हाल ही में आठवीं बैठक हुई है, लेकिन अभी भी कोई निष्कर्ष निकलकर सामने नहीं आया है|
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