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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अनियमित जमा योजना एवं चिट फंड पर प्रतिबंध हेतु विधेयक से संबंधित पक्ष

  • 22 Feb 2018
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा निवेशकों की बचतों की रक्षा करने के लिये एक प्रमुख नीतिगत पहल करते हुए निम्नलिखित विधेयकों को संसद में पेश करने की मंज़ूरी दी गई है-
     (क) अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018
     (ख) चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018

अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 को संसद में पेश करने की मंज़ूरी दी गई है।
  • इस विधेयक का उद्देश्य देश में गैर-कानूनी जमा राशि से जुड़ी समस्याओं से निपटना है।
  • ऐसी योजनाएँ चला रही कंपनियाँ/संस्थान वर्तमान नियामक अंतरों का लाभ उठाते हैं और कड़े प्रशासनिक उपायों के अभाव में गरीबों और भोले-भाले लोगों को ठगते हैं।

विवरण
अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 द्वारा देश में गैर-कानूनी बचत योजनाओं से जुड़ी बुराई से निपटने के लिये एक विस्तृत कानून का निर्माण किया जाएगा, जिसके अंतर्गत निम्नलिखित आयामों को शामिल किया जाना है-
   (क) अनियमित जमा राशि से संबंधित गतिविधियों पर पूर्ण रोक।
   (ख) अनियमित जमा राशि वाली योजना को बढ़ावा देने अथवा उसके संचालन के लिये सज़ा।
   (ग) जमाकर्त्ताओं को अदायगी करते समय धांधली के लिये कड़ी सज़ा का प्रावधान।
   (घ) जमा करने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा चूक की स्थिति में जमा राशि की अदायगी सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा एक सक्षम प्राधिकार की नियुक्ति।
   (ङ) चूक करने वाले प्रतिष्ठान की संपत्ति कुर्क करने के लिये अधिकार देने सहित सक्षम प्राधिकार की शक्तियाँ और कामकाज।
   (च) जमाकर्त्ताओं की अदायगी की निगरानी और अधिनियम के अंतर्गत अपराधों पर कार्रवाई करने के लिये अदालतों का गठन।
   (छ) विधेयक में नियमित जमा योजनाओं को सूचीबद्ध करना, जिसमें सूची का विस्तार अथवा काट-छांट करने के लिये केंद्र सरकार को सक्षम बनाने का खंड हो।

प्रमुख विशेषताएँ

  • विधेयक में प्रतिबंध लगाने संबंधी एक मूलभूत खंड भी शामिल किया गया है, जो जमा राशि लेने वाले को किसी भी अनियमित जमा योजना के लिये राशि लेने हेतु प्रोत्‍साहित करने, उसे प्रचलित करने, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि स्वीकार करने से रोकता है।
    ► इसका प्रमुख नियम यह है कि विधेयक अनियमित जमा राशि लेने वाली गतिविधियों पर रोक लगाएग।
  • विधेयक में तीन अलग-अलग प्रकार के अपराध निर्धारित किये गए हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाओं को चलाने, नियमित जमा योजनाओं में धाँधली करने और अनियमित जमा योजनाओं को गलत तरीके से प्रोत्साहन देने जैसे पक्ष निहित हैं।
  • विधेयक में बचाव कार्य करने के लिये कड़ी सज़ा और भारी जुर्माने की व्यवस्था की गई है।
  • ऐसे मामलों में जमा राशि को निकालने अथवा उसकी अदायगी के लिये पर्याप्त प्रावधान किये गए हैं, जहाँ ऐसी योजनाओं के लिये अवैध तरीके से जमा राशि जुटाने में सफलता मिल जाती है।
  • विधेयक में सक्षम प्राधिकार द्वारा संपत्तियों/परिसंपत्तियों को कुर्क करने और जमाकर्त्ताओं को अदायगी के लिये संपत्ति की अनुवर्ती वसूली का प्रावधान किया गया है।
  • संपत्ति की कुर्की और जमाकर्त्ताओं को धनराशि लौटाने के लिये स्पष्ट समय निर्धारित किया गया है।
  • विधेयक में एक ऑनलाइन केंद्रीय डेटाबेस तैयार करने की भी व्यवस्था की गई है जिससे देश में जमा करने की धनराशि लेने की गतिविधियों के बारे में सूचनाएँ एकत्र करने और उन्हें साझा करने की व्यवस्था होगी।
  • विधेयक में “जमा राशि लेने वाले” और “जमा राशि” को विस्तार से परिभाषित किया गया है।
  • “जमा राशि लेने वालों” में धनराशि लेने वाली अथवा मांगने वाली सभी संभावित कंपनियाँ (व्यक्तियों सहित) शामिल होंगी। इनमें केवल उन विशिष्ट कंपनियों को शामिल नहीं किया जाएगा, जिन्हें कानून द्वारा शामिल किया गया है।
  • इसी प्रकार “जमा राशि” को इस तरीके से परिभाषित किया गया है कि जमा राशि लेने वालों पर प्राप्तियों के रूप में जनता की जमा राशि को छिपाने से रोक होगी और साथ ही अपने सामान्य व्यवसाय के दौरान किसी प्रतिष्ठान द्वारा धनराशि स्वीकार करने पर भी रोक होगी
  • एक विस्तृत केंद्रीय कानून होने के कारण विधेयक में कानून की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाया गया है। साथ ही, कानून के प्रावधानों को लागू करने की प्रमुख ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है। 

पृष्ठभूमि

  • पिछले दिनों देश के विभिन्न भागों में ऐसी घटनाएँ सामने आई जिनमें गैर-कानूनी तरीके से जमा राशि लेने संबंधी योजनाओं के ज़रिये लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई। इस तरह की योजनाओं के सबसे अधिक शिकार गरीब और ऐसे लोग होते हैं जिनको वित्तीय मामलों की जानकारी नहीं होती है।
  • इन्हीं सब बातों को मद्देनज़र रखते हुए वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2017-18 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई थी कि गैर-कानूनी जमा योजनाओं की समस्या से निपटने के लिये एक विधेयक लाया जाएगा।

चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018

  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018 को संसद में पेश करने की मंज़ूरी दी गई है।
  • चिट फंड क्षेत्र की सुव्यवस्थित वृद्धि और चिट फंड उद्योग के रास्ते में आने वाली बाधाओं को समाप्त करने के लिये, साथ ही अन्य वित्तीय उत्पादों तक लोगों की अधिक वित्तीय पहुँच सुनिश्चित करने के लिये चिट फंड कानून, 1982 में निम्नलिखित संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है-
    ► चिट फंड कानून, 1982 के अनुच्छेद 2(बी) और 11(1) के अंतर्गत चिट फंड व्यवसाय के लिये “बंधुत्व कोष” शब्द का इस्तेमाल उसकी अंतर्निहित प्रकृति को स्पष्ट करने और एक अलग कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित “प्राइज चिट” से उसके कामकाज को अलग करना है।
    ► चिट का ड्रॉ कराने के लिये कम-से-कम दो ग्राहकों की ज़रूरत को बरकरार रखते हुए और कार्यवाही की अधिकृत रिपोर्ट तैयार करने के लिये, चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018 में यह इज़ाजत देने का प्रस्ताव है कि वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के ज़रिये कम-से-कम दो ग्राहक शामिल हों, जिसकी ► रिकॉर्डिंग चिट के अंतिम चरणों की दिशा में ग्राहकों की मौजूदगी के रूप में फोरमैन द्वारा की जाए। फोरमैन के पास कार्यवाही की अधिकृत रिपोर्ट होगी, जिस पर कार्यवाही के दो दिन के अंदर ऐसे ग्राहकों के हस्ताक्षर होंगे।
    ► फोरमैन के कमीशन की अंतिम सीमा अधिकतम पाँच प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत करना, क्योंकि कानून के लागू होने तक दर अपरिवर्तनीय है, जबकि ऊपरी खर्चों और अन्य खर्चों में कई गुना वृद्धि हुई है।
    ► फोरमैन को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह ग्राहकों से बकाये की राशि ले ताकि उन ग्राहकों के लिये चिट फंड कंपनी द्वारा मुआवज़े की इज़ाजत दी जा सके, जिन्होंने पहले से ही धनराशि निकाल ली है ताकि उनके द्वारा धाँधली को रोका जा सके।
    ► इसके अतिरिक्त चिट फंड कानून, 1982 के अनुच्छेद 85(ख) में भी संशोधन किया जाएगा ताकि चिट फंड कानून तैयार करते समय 1982 में निर्धारित 100 रुपए की सीमा को समाप्त किया जा सके, जो लगभग अपना महत्त्व खो चुकी है। 
    ► साथ ही इन संशोधनों में राज्य सरकारों को सीलिंग निर्धारित करने और उसमें समय-समय पर वृद्धि करने की इज़ाजत देने का भी प्रस्ताव किया गया है।
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