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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत राजस्थान में अनुसूचित क्षेत्रों की घोषणा

  • 26 Apr 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान आदेश (Constitution Order-C.O) 114 तिथि 12 फरवरी, 1981 को रद्द करके और नया संविधान आदेश लागू करके भारत के संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत राजस्थान के संबंध में अनुसूचित क्षेत्रों की घोषणा को मंज़ूरी दे दी है।

  • नया संविधान आदेश लागू होने से राजस्थान के अनुसूचित जनजाति के लोगों को भारत के संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत उपलब्ध सुरक्षात्मक उपायों का लाभ मिलना सुनिश्चित होगा।
  • राजस्थान सरकार ने भारत के संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत राजस्थान राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के विस्तार के लिये अनुरोध किया है।

लाभार्थी

  • राजस्थान के बांसवाड़ा, डुंगरपुर, प्रतापगढ़ तथा उदयपुर के आंशिक क्षेत्रों, राजसमंद, चितौडगढ़, पाली तथा सिरोही ज़िलों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोग भारत के संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत उपलब्ध सुरक्षात्मक उपायों का लाभ प्राप्त करेंगे।
  • राजस्थान राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों में सम्पूर्ण रूप से बांसवाड़ा, डुंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले, नौ सम्पूर्ण तहसीलें, एक सम्पूर्ण ब्लॉक तथा उदयपुर, राजसमंद, चितौडगढ़, पाली और सिरोही ज़िलों के 727 गांवों को कवर करने वाली 46 ग्राम पंचायतें शामिल की जाएंगी।
  • अनुसूचित क्षेत्रों की घोषणा के मद में अतिरिक्त धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • यह कारगर तेज़ विकास के लिये अनुसूचित क्षेत्रों में अधिक फोकस हेतु केंद्र और राज्य सरकार की वर्तमान योजनाओं के अंतर्गत जनजातीय उप-योजना (नया नामकरण जनजातीय उप-योजना) का हिस्सी होगी।

पृष्ठभूमि

  • भारतीय संविधान की धारा 244 (1) की 5वीं अनुसूची के पैराग्राफ 6(1) के अनुसार, ‘अनुसूचित क्षेत्र’ अभिव्यक्ति का अर्थ ऐसे क्षेत्रों से है जिसे राष्ट्रपति अपने आदेश से अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।
  • संविधान की अनुसूची 5 के पैराग्राफ 6/(2) के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी समय राज्य के राज्यपाल की सलाह के बाद एक राज्य में किसी अनुसूचित क्षेत्र में वृद्धि का आदेश दे सकते हैं, किसी राज्य और राज्यों के संबंध में इस पैराग्राफ के अंतर्गत जारी आदेश और आदेशों को राज्य के राज्यपाल की सलाह से निरस्त कर सकते हैं और अनुसूचित क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने के लिये नया आदेश दे सकते हैं।
  • अनुसूचित क्षेत्र को पहली बार 1950 में अधिसूचित किया गया था। बाद में 1981 में राजस्थान राज्य के लिये अनुसूचित क्षेत्रों को निर्दिष्ट करते हुए संविधान आदेश जारी किये गए।
  • नए ज़िलों के पुर्नगठन और सृजन के कारण तथा 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों की आबादी में परिवर्तन के कारण राजस्थान सरकार ने राजस्थान राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के विस्तार का अनुरोध किया है।

अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के लिये क्या मानदंड होने चाहिये?

  • पाँचवीं अनुसूची के तहत किसी भी क्षेत्र को "अनुसूचित क्षेत्र" के रूप में घोषित करने के लिये निम्नलिखित मानदंड हैं:
    ♦ जनजातीय आबादी की प्रधानता।
    ♦ क्षेत्र की सघनता और उचित आकार।
    ♦ एक व्यवहार्य प्रशासनिक इकाई जैसे-ज़िला, ब्लॉक या तालुका।
    ♦ पड़ोसी क्षेत्रों की तुलना में क्षेत्र का आर्थिक पिछड़ापन।
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