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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर कार्यक्रम

  • 08 Jul 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, विश्व सीमा शुल्क संगठन, सेफ फ्रेमवर्क, अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर कार्यक्रम

मेन्स के लिये

‘अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर’ कार्यक्रम का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes & Customs- CBIC) ने अधिकृत आर्थिक ऑपरेटरों (Authorised Economic Operators- AEO) के आवेदनों की ऑनलाइन फाइलिंग की व्यवस्था शुरु की है।

  • इस वेब एप्लीकेशन को समय-समय पर निगरानी एवं लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से वास्तविक समय में भौतिक रूप से दायर AEO एप्लीकेशंस की निरंतरता और डिजिटल निगरानी सुनिश्चित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।

प्रमुख बिंदु: 

  • AEO विश्व सीमा शुल्क संगठन (World Customs Organization- WCO) के तत्त्वावधान में एक कार्यक्रम (वर्ष 2007) है, जो वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने हेतु  मानकों का एक सुरक्षित ढाँचा प्रदान करता है।
  • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति शृंखला की सुरक्षा को बढ़ाना और माल की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है।
  • इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगी एक इकाई को WCO द्वारा आपूर्ति शृंखला सुरक्षा मानकों के अनुपालन के रूप में अनुमोदित किया जाता है और AEO का दर्जा प्रदान किया जाता है।
    • AEO का दर्जा प्राप्त  इकाई को 'सुरक्षित' और एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार माना जाता है।
    • AEO की स्थिति प्राप्त होने पर व्यापारिक इकाई को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं जिनमें शीघ्र निकासी, कम निरीक्षण , बेहतर सुरक्षा और आपूर्ति शृंखला भागीदारों के मध्य संचार शामिल हैं।

भारतीय AEO कार्यक्रम:

  • AEO कार्यक्रम को वर्ष 2011 में एक पायलट परियोजना के रूप में पेश किया गया था।
  • WCO SAFE फ्रेमवर्क में विस्तृत सुरक्षा मानक भारतीय AEO कार्यक्रम के आधार हैं।
  • निर्यातकों और आयातकों के लिये तीन स्तरीय AEO स्थिति है। तीन स्तर AEO T1, AEO T2, AEO T3 हैं, जहाँ AEO T3 मान्यता का उच्चतम स्तर है।

भारतीय AEO कार्यक्रम का उद्देश्य:

  • व्यावसायिक संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाणन प्रदान करना।
  • व्यावसायिक संस्थाओं को "सुरक्षित और विश्वसनीय" व्यापारिक भागीदारों के रूप में मान्यता देना।
  • परिभाषित लाभों के माध्यम से व्यावसायिक संस्थाओं को प्रोत्साहित करना जिससे समय और लागत की बचत होती है।
  • निर्यात के स्थान से आयात होने के स्थान तक सुरक्षित आपूर्ति शृंखला।
  • बढ़ी हुई सीमा निकासी।
  • आवास के समय और संबंधित लागतों में कमी।
  • सीमा शुल्क सलाह/सहायता यदि व्यापार देशों के सीमा शुल्क के साथ अप्रत्याशित मुद्दों का सामना करता है।

लाभ:

  • सुरक्षित और अनुपालनकारी व्यवसाय के रूप में पहचान: इसके माध्यम से भारतीय व्यवसायों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुरक्षित एवं अनुपालनकारी व्यापार भागीदारों के रूप में विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त करने में आसानी होगी।
  • पारस्परिक मान्यता: इससे भारत को ऐसे देशों से व्यापार सुविधा प्राप्त होती है जिनके साथ भारत ने ‘पारस्परिक मान्यता समझौते (MRA) किये हैं।
    • ‘पारस्परिक मान्यता समझौता (MRA) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक देश एक-दूसरे के अनुरूपता मूल्यांकन परिणामों (उदाहरण के लिये प्रमाणन या परीक्षण परिणाम) को मान्यता देने हेतु सहमत होते हैं।
  • कार्गो सुरक्षा का सुव्यवस्थीकरण: यह भारतीय सीमा शुल्क विभाग को अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति शृंखला के प्रमुख हितधारकों जैसे- आयातक, निर्यातक, रसद प्रदाता, संरक्षक या टर्मिनल ऑपरेटर, कस्टम ब्रोकर और वेयरहाउस ऑपरेटर आदि के साथ बेहतर सहयोग के माध्यम से कार्गो सुरक्षा को बढ़ाने एवं सुव्यवस्थित करने में सक्षम बनाता है।
  • ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को प्रोत्साहन: उदारीकृत, सरलीकृत और युक्तियुक्त AEO प्रत्यायन प्रक्रिया में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा देने तथा वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का अनुकरण करने की क्षमता है।
  • आयात कंटेनरों की प्रत्यक्ष पोर्ट डिलीवरी और/या निर्यात कंटेनरों की सीधी पोर्ट एंट्री की सुविधा।
    • यह रिफंड और अधिनिर्णयन की प्रक्रिया को भी तेज़ करता है।
  • ऐसे में भारतीय ‘अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर’ (AEO) कार्यक्रम को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है। यह न केवल 'मेक इन इंडिया' के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा, बल्कि भारत को एक विनिर्माण और निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने में भी सहायता करेगा।

विश्व सीमा शुल्क संगठन

  • इस संगठन की स्थापना वर्ष 1952 में सीमा शुल्क सहयोग परिषद (Customs Co-operation Council- CCC) के रूप में की गई। यह एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसका उद्देश्य सीमा शुल्क प्रशासन की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाना है।
  • वर्तमान में यह पूरे विश्व के 183 सीमा शुल्क प्रशासनों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनके द्वारा विश्व में सामूहिक रूप से लगभग 98% व्यापार किया जाता है।
  • भारत को दो वर्ष की अवधि के लिये (जून 2020 तक) इसके एशिया प्रशांत क्षेत्र का उपाध्यक्ष (क्षेत्रीय प्रमुख) बनाया गया था।
  • यह सीमा शुल्क मामलों को देखने में सक्षम एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, इसलिये इसे अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क समुदाय की आवाज़ कहा जा सकता है।
  • इसका मुख्यालय ब्रसेल्स, बेल्जियम में है।

सेफ फ्रेमवर्क

  • WCO परिषद ने जून 2005 में वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिये सेफ फ्रेमवर्क (SAFE Framework) को अपनाया, जो अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के निवारक, राजस्व संग्रह को सुरक्षित करने और पूरे विश्व में व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने के रूप में कार्य करेगा। 
  • यह फ्रेमवर्क वैश्विक सीमा शुल्क समुदाय की आपूर्ति शृंखला के खतरों के प्रति ठोस प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है और समान रूप से वैध तथा सुरक्षित व्यवसायों की सुविधा का समर्थन करता है।
  • यह आधारभूत मानकों को निर्धारित करता है, जिनका परीक्षण किया गया है और पूरे विश्व में अच्छी तरह से काम कर रहे हैं।

स्रोत: पी. आई. बी.

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