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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पेरियार टाइगर रिज़र्व में पशु निगरानी तंत्र

  • 22 Sep 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

पेरियार टाइगर रिज़र्व (Periyar Tiger Reserve - PTR) में जंगली जानवरों एवं जंगल के इलाकों की वास्तविक समय (Real Time) में निगरानी का कार्य किया जा रहा है। 

प्रमुख बिंदु

  • एक लागत प्रभावी 'इंट्रानेट नेटवर्क' (Video Surveillance-cum-Communication Enhancer Intranet Network) जो पशु गतिविधियों और वन क्षेत्रों की वास्तविक समय में निगरानी करने में सक्षम है, को पेरियार रिज़र्व में स्थापित किया गया है। 
  • इस नेटवर्क तंत्र को स्थापित करने के लिये माइक्रोवेव एंटीना (Microwave Antennas) और टॉवर का उपयोग किया गया है।
  • इस तकनीकी द्वारा दलदली क्षेत्रों में विचरण करते हाथियों, सांबर, गौर, साही, जंगली सुअरों, स्लॉथ भालूओं, जंगली कुत्तों और पक्षियों की गतिविधियों को कैमरे में कैद किया गया, जबकि बाघ इससे बचते नज़र आए।

'इंट्रानेट नेटवर्क' की विशेषताएँ

  • यह तंत्र दुनिया में कहीं भी स्मार्टफोन के माध्यम से निर्दिष्ट अधिकारियों को जानवरों की गतिविधियों और दुर्गम इलाकों को वास्तविक समय में देखने की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
  • इस पहल को पेरियार बाघ संरक्षण फाउंडेशन (Periyar Tiger Conservation Foundation) द्वारा शुरू किया गया। 
  • इस परियोजना में एक अन्य भागीदार अमल ज्योति कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोट्टायम भी है।
  • पूवाराशु (Poovarashu) में एक नाइट विज़न कैमरा यूनिट और एक टॉवर स्थापित किया गया है। यह एक दलदली क्षेत्र है, जो पेरियार जंगल के भीतर (13 कि.मी. अंदर) स्थित है। इस क्षेत्र में अक्सर जंगली जानवरों को विचरण करते देखा जाता है।
  • मंगलादेवी पहाड़ियों पर स्थापित एक अन्य यूनिट से प्राप्त जानकारियों को थेक्काडी (Thekkady) स्थित पेरियार टाइगर रिज़र्व के विभागीय वन कार्यालय को भेजा गया है।
  • इस नेटवर्क को सौर पैनलों द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसके लिये एंटीना, कैमरा और सौर पैनलों को दुर्गम ऊँचाई पर स्थापित किया गया है।
  • दिन के दौरान, कैमरे के अंतर्गत तकरीबन 1 कि.मी. के क्षेत्र को कवर किया जा सकता है, जबकि रात के समय यह क्षेत्र घटकर मात्र 100 मीटर ही रह जाता है। 
  • इस तंत्र की स्थापना में अभी तक तकरीबन 4.5 लाख रूपए की लागत आ चुकी है, जो अन्य उपलब्ध प्रणालियों की तुलना में बहुत कम है।

तीर्थयात्राओं की निगरानी में भी इनका इस्तेमाल

  • इसके अतिरिक्त इस व्यवस्था को सबरीमाला (Sabarimala) में तीर्थयात्रा के दौरान निगरानी प्रणाली के रूप में स्थापित किया जाएगा।
  • त्यौहार के मौसम के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिये संनिधानम (Sannidhanam), उप्पुपारा (Uppupara), करिमाला (Karimala), ओराक्कुज़ी (Orakkuzhi), पुथुस्सरी (Puthussery) और पंबा (Pamba) में भी इसकी स्थापना की जाएगी। बाद में इस प्रणाली में प्रयुक्त कैमरों को वन्यजीवों की निगरानी के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अवैध शिकार संबंधी गतिविधियों, जानवरों के प्राकृतिक आवासों में उनके व्यवहार के अध्ययन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में इस प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  • इस प्रणाली का इस्तेमाल कैमरे में कैद तस्वीरों को जंगल से सीधे कार्यालय तक प्रसारित करने के लिये भी किया जा सकता है। 
  • इसके अतिरिक्त इसके द्वारा रेडियो-कॉलर युक्त (Radio-Collared) जानवरों को भी ट्रैक किया जा सकता है।
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