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आंतरिक सुरक्षा

डीज़ल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों हेतु ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ प्रणाली

  • 11 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली का अंतिम विकास परीक्षण किया है, जो डीज़ल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।

प्रमुख बिंदु:

एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली:

  • पनडुब्बियाँ अनिवार्य रूप से दो प्रकार की होती हैं: पारंपरिक और परमाणु।
  • पारंपरिक पनडुब्बियाँ डीज़ल-इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग करती हैं, जिससे उन्हें ईंधन दहन के लिये वायुमंडलीय ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु लगभग दैनिक रूप से समुद्री सतह पर आने की आवश्यकता होती है।
  • यदि कोई पनडुब्बी ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली’ से लैस है तो पनडुब्बी को सप्ताह में केवल एक बार ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता होगी।
  • स्वदेश में विकसित AIP जो ‘नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला’ (NMRL) के प्रमुख मिशनों में से एक है, को नौसेना के लिये DRDO की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक माना जाता है।
    • इस परियोजना का उद्देश्य भारत की स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को वर्ष 2023 तक इस प्रौद्योगिकी से जोड़ना है।

AIP के लाभ:

  • AIP प्रणाली आधारित पनडुब्बियों को बहुत कम बार समुद्री सतह पर आने की आवश्यकता होती है, इस प्रकार उनकी घातकता और गोपनीयता कई गुना बढ़ जाती है
  • डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिये अक्सर सतह पर आने की आवश्यकता होती है, इस प्रकार उनके पानी के नीचे रुकने का समय कम होता है।
    • ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ तकनीक डीज़ल जनरेटर को सतह की वायु पर कम निर्भर बनाने में मदद करती है।
  • हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार की AIP प्रणाली हैं, NMRL का फ्यूल सेल आधारित AIP अद्वितीय है क्योंकि पनडुब्बी पर ही हाइड्रोजन उत्पन्न होता है।

फ्यूल सेल आधारित AIP प्रणाली:

  • फ्यूल सेल आधारित AIP में एक इलेक्ट्रोलाइटिक फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन द्वारा ऊर्जा मुक्त करता है, केवल पानी के साथ अपशिष्ट उत्पाद उत्पन्न होने से समुद्री प्रदूषण कम होता है।
  • यह फ्यूल सेल अत्यधिक ईंधन कुशल होता है और इसमें गतिमान भाग नहीं होते हैं, इससे पनडुब्बी में कम ध्वनि उत्सर्जन होता है।

नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला:

  • नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (NMRL) डीआरडीओ के तहत काम करने वाली प्रयोगशालाओं में से एक है, जिसमें बुनियादी अनुसंधान के साथ-साथ कई क्षेत्रों (धातुकर्म, पॉलिमर, सिरेमिक, कोटिंग, जंग और विद्युत सुरक्षा, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान) में अनुप्रयोग-उन्मुख प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • उद्देश्य: 
    • नौसेना पनडुब्बी और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों के लिये एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली विकसित करना।
    • भारतीय नौसेना के लिये सभी श्रेणियों की सामग्री और प्रौद्योगिकियों हेतु वैज्ञानिक समाधान प्रदान करना।
    • भारतीय नौसेना हेतु रणनीतिक सामग्रियों पर अनुसंधान परियोजनाएँ शुरू करना।

परमाणु पनडुब्बियाँ बनाम पारंपरिक पनडुब्बियाँ:

  • पारंपरिक पनडुब्बियों और परमाणु पनडुब्बियों के बीच मुख्य अंतर बिजली उत्पादन प्रणाली है। परमाणु पनडुब्बियाँ (जैसे- आईएनएस अरिहंत, आईएनएस अकुला) इस कार्य हेतु परमाणु रिएक्टरों का प्रयोग करती हैं और पारंपरिक पनडुब्बियाँ (जैसे प्रोजेक्ट -75 और प्रोजेक्ट -75I क्लास सबमरीन) डीज़ल-इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग करती हैं।
  • हालाँकि परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बियों को गहरे समुद्र में संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है, पारंपरिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियाँ तटीय सुरक्षा और तट के करीब संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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