लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

आंतरिक सुरक्षा

अग्नि-पी (प्राइम)

  • 29 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

DRDO, अग्नि-पी, एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम, कनस्तर आधारित प्रक्षेपण प्रणाली,  न्यूक्लियर ट्रायड

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा एक नई पीढ़ी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-पी (प्राइम) का ओडिशा के बालासोर तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

Agni-P

  • अग्नि-पी, एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम  (Integrated Guided Missile Development Program- IGMDP) के तहत अग्नि वर्ग का एक नई पीढ़ी का उन्नत संस्करण है।
  • यह कनस्तर-आधारित प्रणाली की मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी के बीच है।
    • मिसाइलों की कनस्तर-आधारित प्रणाली, मिसाइल को लॉन्च करने के लिये आवश्यक समय को कम करती है इसके अलावा इसके भंडारण और गतिशीलता में सुधार करती है।
  • इसमें कंपोज़िट, प्रणोदन प्रणाली, नवीन मार्गदर्शन और नियंत्रण तंत्र तथा अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम सहित कई उन्नत प्रौद्योगिकियाँ प्रस्तुत की गई हैं। अग्नि-पी मिसाइल भविष्य में भारत की विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता को और मज़बूत करेगी।
  • अन्य अग्नि श्रेणी की मिसाइलों की तुलना में अग्नि-पी ने पैंतरेबाज़ी और सटीकता सहित मापदंडों में सुधार किया है।
  • अग्नि मिसाइलों की श्रेणी:
    • यह भारत की परमाणु प्रक्षेपण क्षमता का मुख्य आधार है।
    • अन्य अग्नि मिसाइलों की मारक क्षमता:
      • अग्नि I: 700-800 किमी. की मारक क्षमता।
      • अग्नि II: 2000 किमी. से अधिक की मारक क्षमता।
      • अग्नि III: 2,500 किमी. से अधिक की मारक क्षमता।
      • अग्नि IV: 3,500 किमी. से अधिक मारक क्षमता है।
      • अग्नि-V: अग्नि शृंखला की सबसे लंबी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है जिसकी रेंज 5,000 किमी. से अधिक है।

एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP)

  • इसकी स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था। इसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना था। इसे वर्ष 1983 में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था और मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
  • इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
    • पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
    • अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)
    • त्रिशूल: सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
    • नाग: तीसरी पीढ़ी की  टैंक भेदी मिसाइल।
    • आकाश: सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।

कनस्तर आधारित प्रक्षेपण प्रणाली:

  • कनस्तर आधारित प्रक्षेपण प्रणाली (Canister Based Launch System) परिवहन हेतु एक कंटेनर/डब्बे के रूप में कार्य करती है, यह एक जहाज़ पर भंडारण हेतु स्थान उपलब्ध कराने के साथ-साथ  परिचालन में भी काफी सुगम  होती है।
  • कनस्तर प्रक्षेपण प्रणाली या तो गर्म प्रक्षेपण (Hot Launch) प्रणाली हो सकती है, जिसमें  मिसाइल को एक सेल (Cell) में प्रज्वलित किया जाता है, या फिर यह एक ठंडी प्रक्षेपण (Cold Launch) प्रणाली हो सकती है जहांँ मिसाइल को गैस जनरेटर (Gas Generator) जो कि मिसाइल से संबद्ध नहीं होता है, से उत्पादित गैस द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है तथा इसके बाद  मिसाइल प्रज्वलित होती है।
  • ठंडी प्रक्षेपण प्रणाली, गर्म प्रक्षेपण प्रणाली  की तुलना में अधिक सुरक्षित है क्योंकि मिसाइल के फेल होने की स्थिति में भी इसका इजेक्शन सिस्टम (Ejection System) मिसाइल को स्वत: अलग कर देता है। अग्नि V (Agni V) मिसाइल में ठंडी प्रक्षेपण प्रणाली का प्रयोग किया गया है।
  • प्रक्षेपण के दौरान मिसाइल द्वारा उत्पन्न ऊष्मा गर्म प्रक्षेपण प्रणाली की प्रमुख समस्या है। छोटी मिसाइलों के लिये गर्म प्रक्षेपण एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इजेक्शन पार्ट का संचालन मिसाइल में लगे इंजन का उपयोग करके किया जाता है।

न्यूक्लियर ट्रायड:

  • न्यूक्लियर ट्रायड एक त्रि-पक्षीय सैन्यबल संरचना है, जिसमें भूमि-प्रक्षेपित परमाणु मिसाइल, परमाणु मिसाइल से लैस पनडुब्बी और परमाणु बम एवं मिसाइल के साथ सामरिक विमान (जैसे राफेल, ब्रह्मोस) आदि शामिल हैं।
  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) ने जनवरी 2020 में विशाखापत्तनम तट पर एक जलमग्न पोन्टून से 3,500 किलोमीटर की रेंज वाले K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।
  • एक बार नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद ये मिसाइलें स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बियों (SSBN) की ‘अरिहंत’ क्लास का मुख्य आधार होंगी और भारत को भारतीय जलीय क्षेत्र में परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की क्षमता प्रदान करेंगी।
  • आईएनएस अरिहंत, भारतीय नौसेना के पास मौजूद सेवा में एकमात्र बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी है, जिसमें 750 किलोमीटर की रेंज के साथ K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं।
    • आईएनएस अरिहंत, भारतीय नौसेना के पास मौजूद सेवा में एकमात्र बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी है, जिसमें 750 किलोमीटर की रेंज के साथ K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं।
  • पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपना न्यूक्लियर ट्रायड पूरा करने में सफलता हासिल कर ली है। यह भारत की ‘नो-फर्स्ट-यूज़’ नीति को देखते हुए भी काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत किसी भी परमाणु हमले की स्थिति में व्यापक पैमाने पर जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखता है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2