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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

3-डी प्रिंटिंग का एक नया तरीका

  • 24 Apr 2017
  • 4 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि वैज्ञानिकों द्वारा शीशे का उपयोग कर वस्तुओं के त्रिआवामीय (3-D) प्रिंट का एक आदर्श तरीका विकसित किया गया है| इसका प्रयोग जटिल कंप्यूटरों के लिये आवश्यक बहुत छोटे-छोटे पुर्जे बनाने में  किया जाएगा|

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि जर्मनी में स्थित कार्लसरुहे इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं द्वारा उच्च शुद्धता वाले क्वार्टज़ शीशे के नैनो-कणों के साथ द्रव बहुलक की छोटी सी मात्रा को मिश्रित किया गया तथा स्टीरियोलिथोग्राफी (stereolithography) के माध्यम से विशिष्ट बिन्दुओं पर प्रकाश द्वारा इस मिश्रण को सुरक्षित किया गया|
  • स्टीरियोलिथोग्राफी (Stereolithography) 3-डी प्रिंटिंग तकनीक का एक ऐसा रूप है जिसका उपयोग परत दर परत मॉडल, प्रतिकृति, स्वरूप और उत्पादन के भागों का सृजन करने के लिये किया जाता है|
  • फोटोपोलीमेरायजेसन (photopolymerisation), वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत प्रकाश के द्वारा अणुओं की श्रृंखलाएँ एक साथ जुड़ती हैं तथा बहुलक का निर्माण करती है, का प्रयोग कर द्रव पदार्थ विलयन में मिलाया जाता है, जिससे केवल एक इच्छित संरचना ही प्राप्त होती है| 
  • उल्लेखनीय है कि शीशे की संरचना में मिश्रित बहुलक को इस संरचना को गर्म करके हटाया जाता है|

एक जटिल आकृति

  • आरंभ में इसका आकार एक पौंड के केक के सामान होता है, चूँकि यह इस स्तर तक अस्थायी होता है| अतः शीशे को गर्म करके अंतिम चरण में ले जाया जाता है ताकि शीशे के कणों की संगलित किया जा सकें|
  • ध्यातव्य है कि अभी तक उपलब्ध सभी प्रकार की 3-डी प्रिटिंग तकनीक का प्रयोग पदार्थों के बहुलकों पर तो किया गया है परन्तु शीशे पर मुश्किल से ही किया गया है|  
  • वस्तुतः वैज्ञानिकों द्वारा एक बिलकुल ही नया तरीका ईज़ाद किया गया है| यह पदार्थ प्रोसेसिंग के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय खोज साबित होगा, जिसमें बनाए गए टुकड़े का पदार्थ एक विशुद्ध क्वार्टज़ गिलास होगा, जिसकी अपनी कुछ रासायनिक और भौतिक विशेषताएँ होंगी|

थ्री- डी प्रिंटेड शीशे का उपयोग

  • ध्यातव्य है कि 3- डी प्रिंटेड शीशे (इसमें डाटा प्रौद्योगिकी भी शामिल है) का उपयोग कई अनुप्रयोगों के लिये किया जा सकता है| 
  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि कंप्यूटर की अगली पीढ़ी के निर्माण में प्रकाश का उपयोग किया जाएगा, जिसके लिये प्रोसेसर की जटिल संरचना की आवश्यकता होगी| उदाहरण के लिये, उक्त 3-डी प्रौद्योगिकी का उपयोग विभिन्न अभिविन्यासों के लिये आवश्यक कईं बहुत छोटे-छोटे प्रकाशिक पुर्जों से बनी छोटी और जटिल संरचना बनाने के लिये किया जा सकता है|
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