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डेली न्यूज़

आपदा प्रबंधन

कोस्टल डेम तकनीक और आपदा प्रबंधन

  • 30 Oct 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

कोस्टलडेम, SRTM

मेन्स के लिये

आपदा प्रबंधन में तकनीक का योगदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के एक गैर सरकारी संगठन क्लाइमेट सेंट्रल (Climate Central) द्वारा वैश्विक स्तर पर किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में समुद्र के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित लोगों की संख्या पूर्व अनुमानित आँकड़ों से लगभग 88% अधिक है।

प्रमुख बिंदु :

  • अध्ययन के अनुसार, यदि समुद्री जलस्तर इसी प्रकार बढ़ता रहा तो वर्ष 2050 तक 36 मिलियन और वर्ष 2100 तक भारत में 44 मिलियन लोग प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होंगे।
  • अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 21 मिलियन लोग उच्च ज्वार रेखा से नीचे रहते हैं।
  • वर्ष 2050 तक वैश्विक स्तर पर 6 एशियाई देशों भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और थाईलैंड के लगभग 186 मिलियन लोग प्रतिवर्ष तटीय बाढ़ से प्रभावित होंगे।
  • अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि विश्व स्तर पर लगभग 110 मिलियन लोग वर्तमान उच्च ज्वार रेखा के नीचे की भूमि पर और लगभग 250 मिलियन लोग वार्षिक बाढ़ के स्तर से नीचे की भूमि पर रहते हैं।

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  • वर्तमान अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण 20वीं शताब्दी में विश्व स्तर पर औसत समुद्र जलस्तर 11-16 सेमी. बढ़ गया है।
  • इस अध्ययन में नए सॉफ्टवेयर कोस्टल डेम (Coastal DEM- Coastal Digital Elevation Model) का प्रयोग किया गया। कोस्टल डेम से प्राप्त आँकड़े पूर्व में प्रयुक्त की गई तकनीक शटल रडार टोपोग्राफी मिशन (Shuttle Radar Topography Mission - SRTM) से प्राप्त आँकड़ों से लगभग 4 गुना अधिक हैं।

उच्च ज्वार रेखा (High Tide line):

  • उच्च ज्वार रेखा भूमि की वो अधिकतम दूरी होती है जहाँ तक उच्च ज्वार (High Tide) पहुँचता है ।

शटल रडार टोपोग्राफी मिशन (Shuttle Radar Topography Mission- SRTM):

  • शटल रडार टोपोग्राफी मिशन, संयुक्त राज्य अमेरिका की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन- नासा (National Aeronautics and Space Administration- NASA) की एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना थी।
  • यह एक रडार मैपिंग प्रणाली है। इसका उद्देश्य पृथ्वी के उच्च-रिज़ॉल्यूशन डिजिटल स्थलाकृतिक उन्नयन (Digital earth elevation) से संबंधित डेटाबेस प्राप्त करना था।

कोस्टल डेम (Coastal DEM):

  • पूर्व में प्रयोग की जाने वाली SRTM में त्रुटियाँ पाई गयीं। इन त्रुटियों को दूर करने के लिये नए सॉफ्टवेयर कोस्टल डेम का विकास किया गया।
  • इसको सभी प्रकार के भूमि विस्तार पर प्रभावी रूप से लागू किया जा सकता है।
  • कोस्टल डेम विश्व भर में समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और तटीय बाढ़ विश्लेषण की सटीकता में सुधार के लिये विकसित किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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