लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज़ ऑफ डेथ (MCCD) 2020 रिपोर्ट

  • 28 May 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

MCCD रिपोर्ट,साँस की बीमारी, कोविड-19 

मेन्स के लिये:

MCCD रिपोर्ट, रोगों का कारण और रोकथाम, स्वास्थ्य 

चर्चा में क्यों? 

मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज़ ऑफ डेथ (MCCD) 2020 रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 लॉकडाउन के पहले वर्ष में पिछले एक दशक के दौरान साँस की बीमारियों से मरने वाले व्यक्तियों की सबसे अधिक घटनाएँ देखी गईं। 

MCCD रिपोर्ट: 

  • जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD) अधिनियम, 1969 के प्रावधानों के तहत देश में मृत्यु के कारणों की चिकित्सा प्रमाणन (MCCD) योजना शुरू की गई थी। 
  • तब से यह देश में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में दक्षता के विभिन्न स्तरों के साथ प्रारंभ है। 
  • इस योजना के तहत भारत के महापंजीयक का कार्यालय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के संबंधित मुख्य रजिस्ट्रारों के जन्म और मृत्यु पंजीकरण कार्यालयों द्वारा एकत्रित, संकलित एवं सारणीबद्ध रूप में मृत्यु के चिकित्सकीय प्रमाणित कारणों पर डेटा प्राप्त करता है। 

MCCD रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • कुल मौतें: वर्ष 2020 में सभी कारणों से होने वाली मौतों की कुल संख्या 81.2 लाख थी। 
    • रिपोर्ट में 2020 और 2021 के लिये भारत की अतिरिक्त मृत्यु दर 47.4 लाख आँकी गई है। 
    • नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) के आंँकड़ों ने 2019 की तुलना में 2020 में सभी कारणों से 4.75 लाख अतिरिक्त मौतों की जानकारी दी। 
  • चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतें: चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मृत्यु के मामले में यह राष्ट्रीय स्तर पर कुल पंजीकृत मौतों का 22.5% है, लेकिन लाइलाज़ बीमारी के समय मृतकों की यह संख्या बढ़कर 54.6% हो गई।राष्ट्रीय स्तर पर कुल पंजीकृत मौतों का 22.5% चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतें हैं, लेकिन टर्मिनल बीमारी के समय यह बढ़कर 54.6% हो गई। 
    • चिकित्सकीय रूप से कुल प्रमाणित मौतों का लगभग 5.7% शिशुओं की मौतों के रूप में रिपोर्ट की गई है। 
  • मौतों के प्रमुख समूहिक कारण: मौतों के नौ प्रमुख समूहिक कारण है जो चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतों के कुल कारणों का लगभग 88.7% हैं: 
    • संचारी रोग (32.1%) 
    • श्वसन तंत्र संबंधी रोग (10%) 
    • विशेष प्रयोजन के लिये कोड- कोविड-19 (8.9%) 
    • कुछ संक्रामक और परजीवी रोग- मुख्य रूप से सेप्टीसीमिया तथा तपेदिक से युक्त (7.1%) 
    • अंतःस्रावी, पोषण और चयापचय संबंधी रोग (5.8%) 
    • चोट, ज़हर और बाहरी कारणों के कुछ अन्य परिणाम (5.6%)  
    • नियोप्लाज़्म (4.7%) 
    • प्रसवकालीन अवधि में उत्पन्न होने वाली कुछ स्थितियाँ (4.1%) 
    • लक्षण और असामान्य नैदानिक परिणाम "अन्यत्र वर्गीकृत नहीं" (10.6%) 

कोविड-19 से हुई मौतें:  

  • कोविड-19 वायरस, एक साँस संबंधी बीमारी का कारक भी है जिसे अलग से रिपोर्ट में "विशेष उद्देश्यों के लिये कोड (कोविड-19 मौत) के तहत रिपोर्ट की गई मौतों" के रूप में दर्ज किया गया है। 
  • कोविड-19 मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, जिसके राष्ट्रीय स्तर पर कुल चिकित्सकीय मौतों में से 8.9% मामले दर्ज किये गए है  
  • हालाँकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2020 में 1.49 लाख लोगों की मृत्यु कोविड-19 के कारण हुई थी। 
  • मई 2022 तक भारत में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 5.2 लाख थी। 

साँस की बीमारी से होने वाली मौतें:

Short-of-breath  MCCD 

  • वर्ष 2020 में निमोनिया, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी साँस की बीमारियों के कारण 1,81,160 मौतें हुईं, वहीँ वर्ष 2019 में 1,52,311 से अधिक मौतें हुईं थीं। 
  • 70 वर्ष से ऊपर के लोग श्वसन रोगों से सबसे अधिक प्रभावित थे, जो सबसे ज़्यादा मौतों के लिये ज़िम्मेदार थे, कुल पंजीकृत चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 29.4% लोग इस आयु वर्ग से संबंधित थे। 
    • इसके बाद 55-64 वर्ष के आयु वर्ग में 23.9% मौतें दर्ज हुईं, जबकि 65-69 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में भी मौतों की एक बड़ी संख्या (4.5%) दर्ज की गई है। 
  • मौतों की सबसे ज़्यादा संख्या 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग मेंं देखी गई जो कुल मौतों का 82.7% है। 

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2