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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

12वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

  • 18 Nov 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

12वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, ब्रिक्स आतंकवाद-रोधी रणनीति

मेन्स के लिये:

ब्रिक्स आतंकवाद-रोधी रणनीति,  ब्रिक्स का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

12वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (12th BRICS Summit) आभासी रूप से 17 नवंबर, 2020 को  रूस की मेज़बानी में आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने भी भागीदारी की।

प्रमुख बिंदु?

  • इस वर्ष ब्रिक्स सम्मेलन का विषय था- “वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और नवाचारी वृद्धि” (Global Stability, Shared Security and Innovative Growth)।
  • यह शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ की पृष्ठभूमि में और COVID-19 महामारी के बीच आयोजित किया गया।

12वाँ ब्रिक्स सम्मेलन और भारत:

  • सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई।

आतंकवाद: 

  • आतंकवाद दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या है। राज्य-प्रायोजित आतंकवाद (State-sponsored Terrorism) तथा आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों का मिलकर सामना करने की आवश्यकता है। आतंकवादियों के साथ-साथ उन देशों को भी दोषी ठहराया जाए जो आतंकवादियों को सहायता प्रदान करते हैं। 
    • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि शिखर सम्मेलन के दौरान 'ब्रिक्स आतंकवाद-रोधी रणनीति' (BRICS Counter-terrorism Strategy) को भी हस्ताक्षर के लिये रखा गया है।

 अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार:

  • भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित विश्व व्यापार संगठन (WTO), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आदि में तत्काल सुधारों का समर्थन करता है। भारत इसमें ब्रिक्स सहयोगियों से  समर्थन की उम्मीद करता है । ये अंतर्राष्ट्रीय संस्थान तथा संगठन समकालीन वास्तविकता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। 

पोस्ट COVID-19 अर्थव्यवस्था:

  • पोस्ट COVID-19 परिदृश्य में ब्रिक्स देश महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दुनिया की 42 फीसदी आबादी ब्रिक्स देशों में रहती है, अत: यह संगठन वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रमुख इंजन हैं। ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है, जो देशों को वैश्विक स्लोडाउन से उबरने में मदद कर सकता है। 

आत्मनिर्भर भारत:

  • भारत द्वारा प्रस्तावित 'आत्मनिर्भर अभियान' की संकल्पना को ब्रिक्स देशों के साथ साझा किया गया। 
  • यह अभियान अर्थव्यवस्था में एक 'सुधार प्रक्रिया' के रूप में अपनाया गया जिसका उद्देश्य पोस्ट COVID-19 विश्व व्यवस्था में आत्मनिर्भर और लोचपूर्ण (Self-reliant and Resilient) भारत का निर्माण करना है ताकि वह 'वैश्विक मूल्य शृंखला' में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सके।

COVID-19 वैक्सीन:

  • प्रधानमंत्री द्वारा COVID-19 के लिये वैक्सीन के उत्पादन में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया।  भारत स्पुतनिक वी (Sputnik V) वैक्सीन के परीक्षण के लिये रूस के साथ बातचीत कर रहा है और इसके जल्द ही उत्तर प्रदेश में शुरू होने की उम्मीद है। भारत ने दक्षिण एशियाई देशों में टीके की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु  नेतृत्त्व करने का आश्वासन दिया गया।

ब्रिक्स आतंकवाद-रोधी रणनीति

(BRICS Counter-terrorism Strategy):

  • शिखर सम्मेलन के दौरान 'ब्रिक्स आतंकवाद-रोधी रणनीति' हस्ताक्षर के लिये रखी गई।
  • ब्रिक्स समूह के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों द्वारा इस रणनीति के कार्यान्वयन की समीक्षा की जाएगी, जबकि इसके कार्यान्वयन का दायित्व ब्रिक्स 'आतंकवाद-निरोधी कार्य समूह' (Counter-terrorism Working Group- CTWG) को सौंपा जाएगा।

दृष्टिकोण: 

  • आतंकवाद-रोधी रणनीति का यह मसौदा ब्रिक्स देशों के बुनियादी पहलुओं जैसे- आंतरिक मामलों में संप्रभुता और गैर-हस्तक्षेप का सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का अनुपालन तथा सुरक्षा मामलों में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका की मान्यता आदि को प्रतिबिंबित करता है।

उद्देश्य: 

  • सभी देशों द्वारा आतंकवादी ठिकानों या आतंकी गतिविधियों के प्रसार में अपने क्षेत्रों के उपयोग को रोकने के लिये उचित कदम उठाया जाए।
  • सदस्य देशों की  सुरक्षा और कानून-प्रवर्तन अधिकारियों के बीच व्यावहारिक सहयोग (विशेषकर सूचनाओं के साझाकरण पर) को बेहतर बनाना ताकि आतंकवाद को रोकने और मुकाबला करने में मदद मिल सके।
  • आतंकवाद को रोकने के लिये इससे संबंधित समूहों, संस्थाओं और संबद्ध व्यक्तियों को  प्रोत्साहन देने वाले वित्तीय और भौतिक संसाधनों की उपलब्धता को रोका जाए।
  • 'आतंकवाद के भौगोलिक विस्तार' को रोकने के लिये प्रयास शुरू किये जाएंगे तथा दो देशों के बीच संघर्षरत क्षेत्रों से आतंकवादियों द्वारा किसी तीसरे देश में की जाने वाली यात्रा से उत्पन्न खतरों को भी संबोधित किया जाएगा।
  • सदस्य देशों के घरेलू कानूनों और नियमों के अनुरूप आपसी कानूनी सहायता और प्रत्यर्पण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाएगा।
  • आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली 'चरमपंथी सूचनाओं' (Extremist Narratives) की उपलब्धता को संबोधित किया जाएगा ताकि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग आतंकी समूहों द्वारा भर्ती और कट्टरपंथ के प्रचार के लिये नहीं किया जा सके।

निष्कर्ष: 

यद्यपि सम्मेलन में भारत-चीन सीमा गतिरोध पर कोई चर्चा नहीं की गई, किंतु ब्रिक्स दोनों देशों के लिये कूटनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्त्वपूर्ण मंच हो सकता है। आतंकवाद भारत के लिये एक बड़ा खतरा है और सम्मेलन के दौरान अपनाई जाने वाली ‘ब्रिक्स आतंकवाद-विरोधी रणनीति’ आतंकवाद से मुकाबला करने में काफी मददगार साबित हो सकती है।  

स्रोत: द हिंदू

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