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डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

कोरोना वायरस महामारी और बच्चों पर प्रभाव

  • 21 Nov 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

यूनिसेफ, कुपोषण, बहुआयामी गरीबी

मेन्स के लिये

बच्चों पर कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

‘विश्व बाल दिवस’ के अवसर पर यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस के 9 में 1 मामला 20 वर्ष से कम आयु के बच्चों और किशोरों से संबंधित है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 नवंबर, 2020 तक 87 देशों में आए 25.7 मिलियन संक्रमण के मामलों में से 11% मामले बच्चों और किशोरों से संबंधित हैं।
  • रिपोर्ट संबंधी प्रमुख निष्कर्ष
    • कोरोना वायरस महामारी के कारण बच्चों से संबंधित स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में आए व्यवधान के कारण बच्चों पर एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
    • रिपोर्ट में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण के कारण विश्व के लगभग एक-तिहाई देशों में नियमित टीकाकरण जैसी स्वास्थ्य सेवाओं के कवरेज़ में तकरीबन 10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। 
    • विश्व के 135 देशों में महिलाओं और बच्चों के लिये पोषण सेवाओं के कवरेज़ में 40 प्रतिशत की गिरावट है, जिसका दीर्घकाल में खतरनाक परिणाम हो सकता है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के कारण वर्ष 2020 में 5 वर्ष से कम आयु के 6 से 7 मिलियन से अधिक बच्चे वेस्टिंग (Wasting) और कुपोषण से पीड़ित हो सकते हैं, इसका सबसे अधिक प्रभाव सब-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में देखने को मिल सकता है।

महामारी का सामाजिक व आर्थिक प्रभाव

  • शिक्षा के क्षेत्र में 
    • अप्रैल माह के अंत में जब विश्व के अधिकांश देशों में लॉकडाउन लागू किया गया तो विद्यालयों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, जिसके कारण विश्व के लगभग 90 प्रतिशत छात्रों की शिक्षा बाधित हुई थी और विश्व के लगभग 1.5 बिलियन से अधिक स्कूली छात्र प्रभावित हुए थे।
    • कोरोना वायरस के कारण शिक्षा में आई इस बाधा का सबसे अधिक प्रभाव गरीब छात्रों पर देखने को मिला है और अधिकांश छात्र ऑनलाइन शिक्षा के माध्यमों का उपयोग नहीं कर सकते हैं, इसके कारण कई छात्रों विशेषतः छात्राओं के वापस स्कूल न जाने की संभावना बढ़ गई है।
    • नवंबर 2020 तक 30 देशों के 572 मिलियन छात्र इस महामारी के कारण प्रभावित हुए हैं, जो कि दुनिया भर में नामांकित छात्रों का 33% है।
  • लैंगिक हिंसा में वृद्धि
    • लॉकडाउन और स्कूल बंद होने से बच्चों के विरुद्ध लैंगिक हिंसा की स्थिति भी काफी खराब हुई है। कई देशों ने घरेलू हिंसा और लैंगिक हिंसा के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।
    • जहाँ एक ओर बच्चों के विरुद्ध अपराध के मामलों में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर अधिकांश देशों में बच्चों एवं महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा की रोकथाम से संबंधित सेवाएँ भी बाधित हुई हैं।
  • आर्थिक प्रभाव
    • वैश्विक स्तर महामारी के कारण वर्ष 2020 में बहुआयामी गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में 15% तक बढ़ोतरी हुई है और इसमें अतिरिक्त 150 मिलियन बच्चे शामिल हो गए हैं।
    • बहुआयामी गरीबी के निर्धारण में लोगों द्वारा दैनिक जीवन में अनुभव किये जाने वाले सभी अभावों/कमी जैसे- खराब स्वास्थ्य, शिक्षा की कमी, निम्न जीवन स्तर, कार्य की खराब गुणवत्ता, हिंसा का खतरा आदि को समाहित किया जाता है। 

उपाय:

  • सभी देशों की सरकारों को डिजिटल डिवाइड को कम करके यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिये कि सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर प्राप्त हों और किसी भी छात्र के सीखने की क्षमता प्रभावित न हो।
  • सभी की पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिये और जिन देशों में टीकाकरण अभियान प्रभावित हुए हैं उन्हें फिर से शुरू किया जाना चाहिये।
  • बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाना चाहिये और बच्चों के साथ  दुर्व्यवहार और लैंगिक हिंसा जैसे मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिये।
  • सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता आदि तक बच्चों की पहुँच को बढ़ाने का प्रयास किया जाए और पर्यावरणीय अवमूल्यन तथा जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को संबोधित किया जाए।
  • बाल गरीबी की दर में कमी करने का प्रयास किया जाए और बच्चों की स्थिति में समावेशी सुधार सुनिश्चित किया जाए।

विश्व बाल दिवस

  • बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस (World Children’s Day) मनाया जाता है। 
  •  इसे सबसे पहले वर्ष 1954 में मनाया गया था।

स्रोत: द हिंदू

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