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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 30 May, 2022
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

आईएनएस खंडेरी

रक्षा मंत्री ने कर्नाटक में कारवाड़ नौसेना बेस की यात्रा के दौरान स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी 'आईएनएस खंडेरी' पर समुद्र की यात्रा की। 

  • यात्रा के दौरान उन्होंने पनडुब्बी के साथ उन्नत सेंसर सूट, लड़ाकू प्रणाली और हथियार क्षमता का प्रदर्शन करते हुए परिचालन अभ्यासों की एक विस्तृत शृंखला का अवलोकन किया। ये क्षमताएँ उपसतह क्षेत्र में पनडुब्बी को लाभ प्रदान करती हैं।  

INS-Khanderi

स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन: 

  • प्रोजेक्ट-75 के तहत निर्मित स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियाँ डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम द्वारा संचालित हैं। 
  • स्कॉर्पीन सबसे परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो सतह-विरोधी जहाज़ युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, खनन करने और क्षेत्र की निगरानी सहित कई मिशनों को पूरा करने में सक्षम है। 
  • जुलाई 2000 में रूस से खरीदे गए INSS सिंधुशास्त्र के बाद से लगभग दो दशकों में स्कॉर्पीन वर्ग नौसेना की पहली आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी शृंखला है। 

  खंडेरी पनडुब्बी: 

  • खंडेरी एक कलवरी श्रेणी की डीज़ल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है। 
  • इसका नाम ‘सॉफिश खंडेर’' नामक घातक मछली के नाम पर रखा गया है जो हिंद महासागर में पाई जाती है। 
  • पहली खंडेरी पनडुब्बी को 6 दिसंबर, 1968 को भारतीय नौसेना द्वारा अधिकृत किया गया था और अक्तूबर 1989 में इसे सेवा से मुक्त कर दिया गया था। 
  • खंडेरी के अलावा इन पनडुब्बियों में शामिल हैं- करंज, वेला, वागीर, वाग्शीर और कलवरी जो पहले ही लॉन्च हो चुकी हैं। 

कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी: 

  • कलवरी श्रेणी भारतीय नौसेना के लिये डीज़ल-इलेक्ट्रिक चालित आक्रमण क्षमता वाली स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों पर आधारित है। 
  • भारत के रक्षा मंत्रालय ने 1997 में प्रोजेक्ट-75 को मंज़ूरी दी जो भारतीय नौसेना को 24 पनडुब्बियों का अधिग्रहण करने की अनुमति देता है। 

प्रोजेक्ट-75: 

  • यह P-75 पनडुब्बियों की दो पंक्तियों में से एक है, दूसरी पंक्ति P75I है। यह विदेशी फर्मों से ली गई तकनीक के साथ स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिये 1999 में अनुमोदित योजना का हिस्सा है। 
  • P-75 के तहत छह पनडुब्बियों का अनुबंध अक्तूबर 2005 में मझगाँव डॉक को दिया गया था और डिलीवरी वर्ष 2012 से शुरू होनी थी, लेकिन इस प्रोजेक्ट को देरी का सामना करना पड़ा है। 
  • इस कार्यक्रम को फ्रांँसीसी कंपनी नेवल ग्रुप (जिसे पहले DCNS के नाम से जाना जाता था) से मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ शुरू किया गया है। 

स्रोत: द हिंदू 


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 मई, 2022

आईएनएस गोमती  

34 वर्षों तक देश और भारतीय नौसेना की सेवा करने के बाद आईएनएस गोमती को 28 मई, 2022 को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में कार्यमुक्त कर दिया गया। कप्तान सुदीप मलिक की कमान में जहाज़ को सेवामुक्त किया गया। आईएनएस गोमती का नाम गतिशील नदी गोमती से लिया गया है और 16 अप्रैल, 1988 को तत्कालीन रक्षा मंत्री के. सी. पंत द्वारा बॉम्बे के मझगाँव डॉक लिमिटेड में इसे कमीशन किया गया था। गोदावरी क्लास गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट्स का तीसरा जहाज़ आईएनएस गोमती कार्यमुक्त किये जाने के समय पश्चिमी बेड़े का सबसे पुराना जहाज़ था। अपनी सेवा के दौरान उसने ऑपरेशन कैक्टस, पराक्रम और इंद्रधनुष तथा कई द्विपक्षीय एवं बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यासों में हिस्सा लिया। राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा में उल्लेखनीय और असाधारण योगदान के लिये उसे दो बार- पहली बार वर्ष 2007-08 में और फिर वर्ष 2019-20 में प्रतिष्ठित यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यमुक्त किये जाने के बाद जहाज़ की विरासत को लखनऊ में गोमती नदी के तट पर स्थापित किये जा रहे एक ओपन एयर संग्रहालय में रखा जाएगा, जहांँ उसकी कई युद्ध प्रणालियों को सैन्य और युद्ध अवशेषों के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। 

माउंट एवरेस्ट दिवस 

नेपाल द्वारा प्रतिवर्ष 29 मई को ‘माउंट एवरेस्ट दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाता है। ध्यातव्य है कि 29 मई, 1953 को न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी (Edmund Hillary) और उनके तिब्बती गाइड तेनज़िंंग नोर्गे (Tenzing Norgay) द्वारा पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की गई थी। इस पर्वत को तिब्बत में ‘चोमोलुंग्मा’ (Chomolungma) और नेपाल में ‘सागरमाथा’ (Sagarmatha) के नाम से जाना जाता है। माउंट एवरेस्ट दिवस नेपाल के पर्वतीय पर्यटन को बढ़ावा देने का भी एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। नेपाल और तिब्बत (चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र) के बीच स्थित तकरीबन 8,848 मीटर (29,035 फीट) ऊँचा माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत शृंखला की एक चोटी है, जिसे पृथ्वी का सबसे ऊँचा बिंदु माना जाता है। इसकी वर्तमान आधिकारिक ऊँचाई 8,848 मीटर है, जो कि 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर' (PoK) में स्थित विश्व के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत के-2 (K-2) से 200 मीटर अधिक है। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित के-2 पर्वत की आधिकारिक ऊँचाई 8,611 मीटर है। इस पर्वत का नाम भारत के पूर्व महासर्वेक्षक ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ के नाम पर रखा गया था। 

नैनो लिक्विड यूरिया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में देश के पहले नैनो लिक्विड यूरिया प्लांट का उद्घाटन किया। यह  यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है। नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इसकी 500 मिली. की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्त्व प्रदान करेगा। परंपरागत यूरिया पौधों को नाइट्रोजन पहुँचाने में 30-40% प्रभावी है, जबकि नैनो यूरिया लिक्विड की प्रभावशीलता 80% से अधिक है। नैनो यूरिया लिक्विड को पौधों के पोषण के लिये प्रभावी और कुशल पाया गया है। यह बेहतर पोषण गुणवत्‍ता के साथ उत्‍पादन बढ़ाने में भी सक्षम है। यह मिट्टी में यूरिया के अत्यधिक उपयोग को कम करके संतुलित पोषण कार्यक्रम को बढ़ावा देगा और फसलों को पोषक व स्वस्थ बनाकर उन्हें कमज़ोर होकर टूटने (Lodging) आदि प्रभावों से बचाएगा। 

 'ब्लॉक दिवस' 

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में प्रशासन द्वारा प्रत्‍येक सप्ताह 'ब्लॉक दिवस' का आयोजन किया जाता है जिसे 'यौम-ए-ब्लॉक' के रूप में भी जाना जाता है। यह महत्त्वाकांक्षी 'जन अभियान' कार्यक्रम का हिस्सा है। इस दौरान ज़िला विकास आयुक्त और अन्य अधिकारी, विकास कार्यों की प्रगति का आकलन करते हैं तथा जनता के मुद्दों, शिकायतों को सुनने के साथ ही उनकी मांगों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। 'ब्लॉक दिवस' लोगों के साथ सीधे बातचीत करने, उनसे प्रतिक्रिया प्राप्त करने और मौके पर शिकायत का निवारण करने का अवसर प्रदान करता है। ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर को 17 अक्तूबर, 1949 को भारतीय संव‍िधान के अनुच्‍छेद 370 के तहत एक 'अस्थायी प्रावधान' के रूप में जोड़ा गया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विशेष संवैधानिक छूट दी गई थी लेकिन 5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष संवैधानिक स्थिति को समाप्त कर दिया, साथ ही अनुच्छेद 35A को भी निरस्त कर दिया। अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू-कश्मीर को अपने 'स्थायी निवासी' परिभाषित करने और उनसे जुड़े अधिकारों एवं विशेषाधिकारों को निर्धारित करने की अनुमति दी गई थी। इस पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- लद्दाख (बिना विधायिका के) और जम्मू-कश्मीर (विधायिका के साथ) में विभाजित किया गया। 


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