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ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 26 Dec, 2019
  • 8 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 26 दिसंबर 2019

हिम दर्शन एक्सप्रेस

Him Darshan Express

25 दिसंबर, 2019 को भारतीय रेलवे ने कालका-शिमला मार्ग पर एक विशेष ट्रेन “हिम दर्शन एक्सप्रेस” की शुरुआत की।

Him-Darshan-Express

  • हिम दर्शन एक्सप्रेस भारतीय रेलवे द्वारा विस्टाडोम कोच (शीशे की छत वाले कोच) वाली पहली ट्रेन है जो नियमित रूप से चलेगी।
  • विस्टाडोम कोच के होने से पर्यटकों को 95.5 किमी. लंबे कालका-शिमला मार्ग पर वातानुकूलित ट्रेन में बड़ी काँच की खिड़कियों के साथ प्रकृति को करीब से महसूस करने का मौका मिलेगा।
  • यह विशेष ट्रेन कालका और शिमला स्टेशन के बीच अगले एक साल के लिये 24 दिसंबर, 2020 तक चलेगी।
  • कालका शिमला रेलवे लाइन को वर्ष 2008 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था और इसे “भारत के पर्वतीय रेलवे” के तहत सूचीबद्ध किया गया था।
  • कालका - शिमला रेलवे के अलावा दो अन्य भारत के पर्वतीय रेलवे हैं:
    • पश्चिम बंगाल में हिमालय की तलहटी में स्थित दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (पूर्वोत्तर भारत)
    • नीलगिरि पर्वत रेलवे तमिलनाडु के नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित है (दक्षिण भारत)

अटल सुरंग

Atal Tunnel

25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे की रणनीतिक सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ रखा।

  • 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3,000 मीटर की ऊँचाई पर दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है।
  • यह सुरंग पीर पंजाल रेंज से होकर गुज़रेगी।
  • यह सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी में 46 किलोमीटर की कमी करेगी और परिवहन लागत में करोड़ों रुपए की बचत करेगी।
  • यह 10.5 मीटर चौड़ी दो लेन वाली सुरंग है। इसमें आग से सुरक्षा के सभी उपाय मौजूद हैं, साथ ही आपात निकासी के लिये सुरंग के साथ ही बगल में एक और सुरंग बनाई गई है।
  • इस सुरंग का निर्माण हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों को सदैव कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो शीत ऋतु के दौरान लगभग 6 महीने तक लगातार शेष देश से कटे रहते हैं।
  • सेरी नुल्लाह डिफ़ॉल्ट ज़ोन इस सुरंग के अंदर है।

पृष्ठभूमि

रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्त्व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला 3 जून, 2000 को लिया गया था जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। सुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी।


बार हेडेड गूस

Bar-headed Goose

हाल ही में केरल के पत्तनमतिट्टा ज़िला में करिंगली पुंचा के वेटलैंड्स में बार हेडेड गूस (Bar-headed Goose) को देखा गया है।

Bar-headed-Goose

प्रमुख बिंदु :

  • इसे Anser Indicus के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया में सबसे ऊँची उड़ान भरने वाले पक्षियों में से एक माना जाता है।
  • यह प्रजाति मध्य चीन और मंगोलिया में पाई जाती है और ये सर्दियों के दौरान भारतीय उप-महाद्वीप में प्रवास शुरू करते हैं तथा मौसम के अंत तक रहते हैं।
  • इसे IUCN की रेड लिस्ट के अनुसार ‘लीस्ट कन्सर्न’ (Least Concern) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • कारिंगली पुंचा का वेटलैंड पत्तनमतिट्टा ज़िले का एक प्रमुख पक्षी स्थल है। यहाँ वर्ष 2015 की एशियाई वॉटरबर्ड जनगणना में सबसे अधिक पक्षियों के होने की सूचना थी।

अमूर फाल्कन और हूलॉक गिब्बन

Amur falcon and Hoolock Gibbon

अमूर फाल्कन (Amur falcon):

  • अमूर फाल्कन दुनिया की सबसे लंबी यात्रा करने वाले शिकारी पक्षी हैं, ये सर्दियों की शुरुआत के साथ यात्रा शुरू करते हैं।
  • ये शिकारी पक्षी दक्षिण पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में प्रजनन करते हैं तथा मंगोलिया और साइबेरिया से भारत और हिंद महासागरीय क्षेत्रों से होते हुये दक्षिणी अफ्रीका तक लाखों की संख्या में प्रवास करते हैं।
  • इसका 22,000 किलोमीटर का प्रवासी मार्ग सभी एवियन प्रजातियों में सबसे लंबा है।
  • इसका नाम ‘अमूर नदी’ से मिलता है जो रूस और चीन के मध्य सीमा बनाती है।
  • प्रजनन स्थल से दक्षिण अफ्रीका की ओर वार्षिक प्रवास के दौरान अमूर फाल्कन के लिये नागालैंड की दोयांग झील (Doyang Lake) एक ठहराव केंद्र के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार, नागालैंड को "फाल्कन कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" के रूप में भी जाना जाता है।
  • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट के तहत इन पक्षियों को ‘संकट बहुत कम’ (Least Concerned) के रूप में वर्गीकृत किया गया है लेकिन यह प्रजाति भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत ‘संरक्षित’ है।

Amur-falcon

हूलॉक गिब्बन (Hoolock Gibbon):

    • हूलॉक गिब्बन भारत में पाया जाने वाला एकमात्र कपि है।
    • यह प्राइमेट पूर्वी बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण पश्चिम चीन का मूल निवासी है।
  • हूलॉक गिबन को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
  • पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (Western Hoolock Gibbon):
    • यह उत्तर-पूर्व के सभी राज्यों में निवास करता है किंतु ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण और दिबांग नदी के पूर्व में नहीं पाया जाता है। और भारत के बाहर ये पूर्वी बांग्लादेश और उत्तर-पश्चिम म्याँमार में पाया जाता है।
    • इन्हें IUCN की रेड लिस्ट के तहत ‘संकटग्रस्त’ (Endangered) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
  • पूर्वी हूलॉक गिब्बन (Eastern Hoolock Gibbon):
    • ये भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम की विशिष्ट क्षेत्रों और भारत के बाहर दक्षिणी चीन और उत्तर-पूर्व म्याँमार में निवास करते हैं।
    • इन्हें IUCN की रेड लिस्ट के तहत ‘संवेदनशील’ (Vulnerable) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
  • भारत में इन दोनों प्रजातियों को भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध किया गया है।

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