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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 11 Oct, 2022
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 2022

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस हाल ही में 08 अक्तूबर, 2022 को मनाया गया।

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (World Migratory Bird Day-WMBD):

  • परिचय: यह प्रवासी पक्षियों, उनके संरक्षण की आवश्यकता और उनके आवास के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये आयोजित एक द्विवार्षिक वैश्विक अभियान है।
    • यह मई में दूसरे शनिवार और फिर अक्तूबर में मनाया जाता है। इस वर्ष यह 14 मई तथा 8 अक्तूबर, 2022 को मनाया गया।
    • WMBD का आयोजन संयुक्त राष्ट्र की दो संधियों- जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS) और अफ्रीकी-यूरेशियन माइग्रेटरी वाटरबर्ड एग्रीमेंट (AEWA) एवं गैर-लाभकारी संगठन, एन्वायरनमेंट फॉर द अमेरिकाज़ (EFTA) के अंतर्गत किया जाता है।
      • वर्ष 2022 के वैश्विक अभियान को पूर्वी एशियाई ऑस्ट्रेलियाई फ्लाईवे पार्टनरशिप (EAAFP) और बर्ड लाइफ इंटरनेशनल (BLI) सहित अन्य समर्पित संगठनों द्वारा भी सक्रिय रूप से समर्थन दिया जा रहा है।
  • थीम:
    • WMBD 2022 की थीम "प्रकाश प्रदूषण" (Light Pollution) है।
      • WMBD 2022 इन पक्षियों पर प्रकाश प्रदूषण की बढ़ती समस्या को संबोधित कर रहा है और इन पक्षियों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करने में मदद करने के लिये वैश्विक स्तर पर कार्रवाई कर रहा है।
    • कृत्रिम प्रकाश प्रवासी पक्षियों के लिये प्रमुख खतरों का कारण है जैसे:
      • रात में उड़ते समय विकृति
      • इमारतों के साथ टकराव
      • लंबी दूरी तक प्रवास करने की उनकी क्षमता और उनकी आंतरिक घड़ी (Internal Clock) में व्यवधान।

प्रकाश प्रदूषण:

  • परिचय:
    • CMS के अनुसार, "प्रकाश प्रदूषण कृत्रिम प्रकाश को संदर्भित करता है जो पारिस्थितिक तंत्र में प्रकाश और अंधकार के प्राकृतिक पैटर्न को बदल देता है"।
      • पूरी दुनिया में रात्रि में कृत्रिम प्रकाश का उपयोग बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2012 से वर्ष 2016 तक बाहरी क्षेत्रों में प्रकाश के उपयोग में प्रतिवर्ष 2.2% की वृद्धि हुई। वर्ष 2022 में यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है।
      • आज दुनिया की 80% से अधिक आबादी "चमकते आकाश" के नीचे रहती है, जो यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 99% के करीब है।
  • पक्षियों पर प्रकाश प्रदूषण का प्रभाव:
    • यह पक्षियों के व्यवहार को बदल सकता है, जिसमें प्रवास, भोजन तलाश (foraging) और वोकल कम्युनिकेशन शामिल हैं।
      • यह उनकी गतिविधि के स्तर और उनके ऊर्जा व्यय को भी प्रभावित करता है, विशेषकर जो रात में पलायन करते हैं।
    • यह रात में प्रवास करने वाले पक्षियों को आकर्षित और विचलित करता है, जो अंततः प्रकाश वाले क्षेत्रों में चक्कर लगाते रहते हैं।
      • इस अप्राकृतिक प्रकाश-प्रेरित व्यवहार के परिणामस्वरूप वे अपने ऊर्जा भंडार को समाप्त कर सकते हैं, जिससे थकावट, शिकार और घातक टकरावों के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
    • लंबी दूरी के प्रवासी पक्षी, जैसे ब्लैकपोल वार्बलर, एशियाई स्टबटेल और ओरिएंटल प्लोवर प्रकाश प्रदूषण के अपेक्षाकृत कम स्तर वाले क्षेत्रों में अपना प्रवास शुरू और समाप्त कर सकते हैं, लेकिन प्रवास के दौरान वे तीव्र शहरी विकास वाले क्षेत्रों में उड़ सकते हैं जहाँ उन्हें कृत्रिम प्रकाश के उच्च स्तर का अनुभव होता है।

प्रवासी प्रजातियों पर सम्मलेन अथवा बाॅन अभिसमय:

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य प्रवासी प्रजातियों की सभी श्रेणियों को संरक्षित करना है। इस समझौते पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तत्त्वाधान में हस्ताक्षर किये गए थे और यह वैश्विक स्तर पर वन्यजीवों और आवासों के संरक्षण से संबंधित है।
  • इस पर हस्ताक्षर 1979 में जर्मनी के बॉन शहर में किये गए थे और यह वर्ष 1983 में लागू हुआ।
  • संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संधि के रूप में, CMS प्रवासी जानवरों और उनके आवासों के संरक्षण तथा सतत् उपयोग के लिये एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।
  • भारत CMS का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
  • भारत ने गुजरात के गांधी नगर में CMS CoP-13 (वर्ष 2020 में) की मेज़बानी की।
    • भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे के तहत प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना भी शुरू की है।
  • भारत कई प्रवासी जानवरों और पक्षियों का अस्थायी घर है।

स्रोत: सी.एम.एस.


प्रारंभिक परीक्षा

भूमध्य सागर

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प्रमुख बिंदु-

  • भौतिक भूगोल:
    • अटलांटिक महासागर का एक सागर है, जो यूरेशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के बीच स्थित है तथा लगभग पूरी तरह से भूमि से घिरा हुआ है।
    • सीमावर्ती देश (21 देश): अल्बानिया, अल्जीरिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, क्रोएशिया, साइप्रस, मिस्र, फ्राँस, ग्रीस, इज़राइल, इटली, लेबनान, लीबिया, माल्टा, मोनाको, मोंटेनेग्रो, मोरक्को, स्लोवेनिया, स्पेन, सीरिया, ट्यूनीशिया, तथा टर्की।
    • यह पश्चिम में जिब्राल्टर जलडमरूमध्य द्वारा अटलांटिक महासागर से जुड़ा हुआ है, पूर्व में काला सागर के साथ डार्डानेल्स जलडमरूमध्य द्वारा और दक्षिण में स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर के साथ जुड़ा हुआ है।
    • नील नदी (अफ्रीका) भूमध्य सागर में गिरती है।
  • हाल की संबंधित घटनाएँ:

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 अक्तूबर, 2022

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस

हर साल 11 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस बार यानी वर्ष 2022 में 10वाँ अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, 2022 की थीम 'हमारा समय अभी है - हमारे अधिकार, हमारा भविष्य' (Our Time is now- our rights, our Future) है। इस दिवस का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण करना, उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं कठिनाइयों की पहचान करना और समाज में जागरूकता लाकर बालिकाओं को बालकों के समान अधिकार दिलाना है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन वर्ष 2012 में किया गया था। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम “बाल विवाह की समाप्ति” (Ending Child Marriage) थी। ध्यातव्य है कि 24 जनवरी को पूरे भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर, 1902 को सिताबदियारा, बिहार में हुआ था। वे त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। जयप्रकाश जी का समाजवाद का नारा आज भी गूँजता है। समाजवाद का संबंध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके जीवन में समाया हुआ था। उनका मानना था कि कोई भी आंदोलन बिना मध्यमवर्गीय लोगों के सहयोग के सफल नहीं होता। मार्क्सवादी दर्शन से प्रभावित हो उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। समाजवाद की अवधारणा को और सुदृढ़ करने तथा उसका जनमानस में संचार करने के लिये उनकी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है जिसे संपूर्ण क्रांति कहा जाता था। संपूर्ण क्रांति में राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक सात क्रांतियाँ शामिल हैं। उनका एक और प्रसिद्ध नारा था जिसका उदघोष उन्होंने पटना के गाँघी मैदान में किया था-"जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो, समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो”। समाजवादी और राष्ट्रप्रेम की भावना से परिपूर्ण जयप्रकाश नारायण सदैव ही अविस्मणीय रहेंगे।

‘सतत् पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन-11’

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने 10-12 अक्तूबर, 2022 तक लेह, लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में आयोजित हो रहे सतत् पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन (Sustainable Mountain Development Summit-SMDS) -11 के उद्घाटन सत्र में भाग लिया। SMDS-11 की थीम “सतत् पर्वतीय विकास के लिये पर्यटन का उपयोग” है। इस शिखर सम्मेलन का प्रमुख बिंदु पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और जलवायु व सामाजिक-पारिस्थितिक मज़बूती एवं स्थिरता के निर्माण में इसके सकारात्मक योगदान का उपयोग करना है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लद्दाख की यात्रा यहाँ के खूबसूरत तथा शानदार पहाड़ी नज़ारों को हमेशा तरोताज़ा करने वाली होती है। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान एवं लेह में इसके एक क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना पर भी प्रकाश डाला जिसे विशेष रूप से हिमालय के पर्यावरण की स्थिरता के संबंध में अनुसंधान और विकास गतिविधियों का कार्य सौंपा गया है। उन्होंने बल देकर कहा कि हिमालय, पश्चिमी घाट, थार रेगिस्तान जैसे देश के कई विशेष परिदृश्यों पर वैज्ञानिक समुदाय को विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।

श्री महाकाल लोक का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्री महाकाल लोक का उद्घाटने किया। श्री महाकाल लोक एक ऐसा स्थान है जहाँ भगवान शंकर की सभी पौराणिक कथाएँ एक ही स्थान पर देखने को मिलेंगी। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बनाया गया है। भारत के हृदयस्थल मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुण्यसलिला क्षिप्रा नदी के निकट भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की गणना देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में की जाती है। यह मंदिर तीन मंजिला है। सबसे नीचे महाकालेश्वर, मध्य में ओंकारेश्वर और ऊपरी हिस्से में नागचंद्रेश्वर के लिंग स्थापित हैं। महाकालेश्वर को पृथ्‍वी का अधिपति भी माना जाता है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन इसके 140 वर्ष बाद मुस्लिम आक्रमणकारी इल्तुतमिश ने इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। वर्तमान मंदिर मराठा कालीन माना जाता है। इसका जीर्णोद्धार तत्कालीन सिंधिया राज्य के दीवान बाबा रामचंद्र शैणवी ने करवाया था।


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