इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 07 Jan, 2021
  • 8 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट: 07 जनवरी, 2021

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग

Rastriya Kamdhenu Aayog 

हाल ही में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rastriya Kamdhenu Aayog- RKA) ने गायों के महत्त्व के बारे में लोगों के बीच "रुचि पैदा करने" के उद्देश्य से 'कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा' और गोजातीय प्रजातियों के बारे में उन्हें "जागरूक और शिक्षित" करने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गायों के संरक्षण के लिये स्थापित पशुपालन और डेयरी विभाग के अंतर्गत एक एजेंसी है।
  • राष्‍ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA) का गठन भारत सरकार द्वारा गायों और उनकी संतान के संरक्षण, पालन, सुरक्षा तथा विकास एवं पशु विकास कार्यक्रमों के लिये दिशा-निर्देश देने हेतु किया गया है।
    • देश में मवेशियों की 50 और भैंसों की 17 अच्छी नस्लें पाई जाती हैं।
  • RKA नीतियों को तैयार करने और मवेशियों से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करने हेतु एक उच्च अधिकार प्राप्‍त स्थायी निकाय है जो छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं तथा युवा उद्यमियों की आजीविका पर अधिक ज़ोर देता है।
  • यह राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अभिन्न अंग के रूप में कार्य करता है।
    • राष्ट्रीय गोकुल मिशन को प्रजनन क्षेत्र में चयनात्मक प्रजनन और वर्ग रहित गोजातीय आबादी आदि के आनुवंशिक उन्नयन के ज़रिये देशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिये 2025 करोड़ रुपए परिव्यय के साथ दिसंबर, 2014 में शुरू किया गया था।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 जनवरी, 2021

उद्योग मंथन

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा भारतीय उद्योगों में उत्‍पादकता तथा गुणवत्ता बढ़ाने के लिये भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI), राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) और अन्य औधोगिक निकायों के साथ मिलकर विशेष वेबिनार मेराथॉन- 'उद्योग मंथन' का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष वेबिनार मेराथॉन 4 जनवरी, 2021 को शुरू हुई और 2 मार्च, 2021 तक चलेगी। कुल 45 सत्रों वाली इस वेबिनार शृंखला में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के विभिन्न प्रमुख पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इस आयोजन में उद्योग, परीक्षण और मानक निकायों के विभिन्न प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। 'उद्योग मंथन' चुनौतियों तथा अवसरों की पहचान करेगा; समाधान और सर्वोत्तम प्रथाओं पर ध्यान आकर्षित कराएगा। यह वार्तालाप गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिये उद्योगों तथा क्षेत्र में कार्यरत लोगों को नए तरीके से सीखने में सक्षम बनाएगा, साथ ही इसका उद्देश्य 'वोकल फॉर लोकल' को बढ़ावा देने के लिये 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को साकार करना है। 

संजय कपूर

संजय कपूर को अखिल भारतीय शतरंज संघ (AICF) का अध्यक्ष चुना गया है। अखिल भारतीय शतरंज संघ (AICF) भारत में शतरंज खेल के लिये एक केंद्रीय प्रशासनिक निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1951 में की गई थी, साथ ही यह अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) से संबद्ध है। अखिल भारतीय शतरंज संघ (AICF) भारत में शतरंज के खेल को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शतरंज के खेल का शासी निकाय है और यह सभी अंतर्राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं को नियंत्रित करता है। एक गैर-सरकारी संस्थान के रूप में अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) की स्थापना 20 जुलाई, 1924 को पेरिस (फ्रांँस) में की गई थी। विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

खादी ग्रामोद्योग आयोग और ITBP के बीच समझौता

हाल ही में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) तथा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के बीच अर्द्धसैनिक बलों को खादी कॉटन की दरियों की आपूर्ति करने हेतु एक नया समझौता किया गया है। समझौते के मुताबिक, खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) को प्रतिवर्ष 1.72 लाख खादी कॉटन की दरियों की आपूर्ति की जाएगी जिसकी कुल कीमत 8.74 करोड़ रुपए है। विशिष्‍ट विवरण के अनुरूप खादी ग्रामोद्योग आयोग 1.98 मीटर लंबी और 1.07 मीटर चौड़ी नीले रंग की दरियों की आपूर्ति करेगा। खादी की इन दरियों को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कारीगर तैयार करेंगे। खादी की दरियों के बाद खादी के कंबल, चादरें, तकिये के कवर, अचार, शहद, पापड़ और प्रसाधन सामग्री जैसे उत्पादों पर भी काम किया जाएगा। इससे न सिर्फ भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान स्‍वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल के प्रति प्रोत्साहित होंगे, बल्कि खादी कारीगरों के लिये बड़े पैमाने पर अतिरिक्‍त रोज़गार का सृजन भी होगा।  

‘स्वस्थ वायु’ वेंटिलेटर 

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (NAL) के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान वेंटिलेटरों की कमी की समस्या से निपटने और कोरोना संक्रमण के उपचार में भारत को पूर्णतः आत्मनिर्भर बनाने के लिये चिकित्सा पेशेवरों के साथ मिलकर स्वदेशी तकनीक से डिज़ाइन किया गया नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर ‘स्वस्थ वायु’ बनाया था। इस वेंटिलेटर में कुछ अतिरिक्त विशेषताएँ भी शामिल की गई हैं। इसमें HEPA फिल्टर का भी प्रयोग किया गया है। HEPA फिल्टर एक ऐसा फिल्टर है जिसमें वायु कणों को साफ करने की अद्भुत क्षमता होती है। CSIR-NAL ने छह निजी कंपनियों को ‘स्वस्थ वायु’ तकनीक के वाणिज्यिक इस्तेमाल की इज़ाज़त दी है। ये सभी कंपनियाँ MSME श्रेणी की हैं। इसके साथ ही देश अब नॉन इनवेसिटव वेंटिलेटरों की तकनीक के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। यह सरकार की आत्मनिर्भर भारत की सोच की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2