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डेली न्यूज़

  • 25 Sep, 2019
  • 37 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

सियाचिन में अपशिष्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेना ने बताया है कि जनवरी 2018 से अब तक सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) से लगभग 130 टन अपशिष्ट को ऊँचाई वाले स्थान से नीचे लाकर उसका प्रबंधन किया गया है

Siachen Glatscher

प्रमुख बिंदु:

  • सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) पर अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित वर्ष 2018 की अधिसूचना के आधार पर सेना ने अपशिष्ट प्रबंधन को सैनिकों के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) का एक हिस्सा बना दिया है।
  • अत्यधिक ऊँचाई और चरम मौसमी परिस्थितियों के कारण इस क्षेत्र में अपशिष्ट का निम्नीकरण शीघ्रता से नहीं हो पाता है साथ ही सैनिकों को अपशिष्ट को ऊँचाई वाले स्थान से नीचे लाने में भी कठिनाई होती है।
  • वर्ष 1984 में ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot) के बाद तहत इन क्षेत्रों पर भारत का आधिपत्य बना हुआ है। इस क्षेत्र मे मौज़ूद कुल लगभग 130 टन अपशिष्ट में से, 48.4 टन जैवनिम्नीकृत (Biodegradable), 40.32 टन गैर-जैवनिम्नीकृत (Non-Biodegradable) और 42.45 टन धातु तथा अधातु स्क्रैप है।

ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot):

  • ऑपरेशन मेघदूत भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन का कोड नाम था, जिसके तहत सियाचिन ग्लेशियर को पाकिस्तान के कब्ज़े से छुड़ाया गया था।
  • 13 अप्रैल, 1984 को शुरू किये गए इस अभियान के तहत सियाचिन ग्लेशियर पर कब्ज़ा किया गया था। इस सैन्य अभियान के तहत विश्व के सबसे ऊँचाई वाले स्थान पर युद्ध हुआ था।
  • तीनों प्रकार केअपशिष्टों का अलग-अलग तरीके से निपटान किया जाता है। जैवनिम्नीकृत अपशिष्ट को बैलिंग मशीनों (Baling Machines) का उपयोग करके डिब्बों और पैकेट मेंरोल किया जाएगा। गैर-जैवनिम्नीकृत, गैर-धातु अपशिष्टों के लिये सियाचिन बेस कैंप के आसपास 10,000 फीट की ऊंँचाई पर तीन इंसीनरेटर (Incinerator) स्थापित किये गए हैं।

बैलिंग मशीन (Baling machine):

  • यह मशीन प्लास्टिक, कागज़, कार्डबोर्ड और एल्युमीनियम सहित विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के आकार को संकुचित करती है। संकुचित होने के बाद इन अपशिष्टों को पुनर्चक्रण हेतु ले जाने में आसानी होती है।
  • इस मशीन के माध्यम से अपशिष्टों का त्वरित और कुशल उपयोग किया जाता है। दवा की दुकानों, गोदामों, उत्पादन इकाइयों, खरीदारी केंद्रों, पुनर्चक्रण संचालन और वितरण केंद्रों में इसका प्रयोग बहुत तेज़ी से हो रहा है।
  • इस मशीन के प्रयोग से अपशिष्ट के पुनर्चक्रण और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने जैसे पर्यावरणीय लाभों के साथ ही अपशिष्ट संग्रहण की लागत भी कम हो जाती है तथा भंडारण क्षमता बढ़ जाती है।

इंसीनरेटर (Incinerator):

  • इंसीनरेटर (Incinerator) एक अपशिष्ट उपचार प्रणाली है जिसमें अपशिष्ट पदार्थों में निहित कार्बनिक पदार्थों का दहन किया जाता है।
  • इंसीनरेटर और अन्य उच्च तापमान अपशिष्ट उपचार प्रणालियों को थर्मल उपचार (Thermal Treatment) के रूप में वर्णित किया जाता है।
  • इंसीनरेटर अपशिष्ट पदार्थों को राख और फ्लू गैसों (Flue Gas) में परिवर्तित कर देता है।
  • इंसीनरेटर द्वारा अपशिष्टों के भस्मीकरण से उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग विद्युत बनाने में किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

आयकर ई-मूल्यांकन के लिये राष्ट्रीय केंद्र (NeAC)

चर्चा में क्यों?

सरकार ने फेसलेस ई-मूल्यांकन योजना को लागू करने के लिये नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र (National e-Assessment Centre-NeAC) स्थापित करने की घोषणा की है।

  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes-CBDT) जो आयकर विभाग के लिये नीति तैयार करता है, द्वारा NeAC के निर्माण हेतु एक आदेश जारी किया गया है।

Tax

संरचना:

  • NeAC में 16 अधिकारी होंगे तथा एक प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त ई-मूल्यांकन केंद्र की अध्यक्षता करेगा।
  • यह एक स्वतंत्र कार्यालय होगा, जो ई-मूल्यांकन के काम की देखरेख करेगा।
  • पूछताछ करने वाली एक पृथक इकाई के साथ उचित और सही आकलन सुनिश्चित करने के लिये एक समीक्षा इकाई भी होगी।

कार्यप्रणाली:

  • NeAC द्वारा करदाताओं को एक नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें उनके मामले के मूल्यांकन हेतु चयन के कारणों का उल्लेख होगा। केंद्र उक्त नोटिस की प्रतिक्रिया प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर स्वचालित प्रणाली का उपयोग करके एक आकलन अधिकारी को मामला आवंटित करेगा।
  • NeAC अपने आठ क्षेत्रीय केंद्रों (नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे और बंगलूरू) को मूल्यांकन के लिये मामले सौंप सकेगा।
  • किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से राष्ट्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र या क्षेत्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र अथवा इस योजना के तहत गठित किसी अन्य इकाई के आयकर प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • हालाँकि यदि करदाता या उनके अधिकृत प्रतिनिधि चाहते हैं कि व्यक्तिगत सुनवाई के लिये उनके मामले को आयकर प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, तो उन्हें किसी भी इकाई में ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी। ऐसी सुनवाई विशेष रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या किसी अन्य माध्यम से की जाएगी।

निहितार्थ

  • यह पहल, आकलन और जाँच में मानवीय गतिविधियों को कम करने के सरकारी प्रयासों का एक हिस्सा है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, दूरसंचार अनुप्रयोग, सॉफ्टवेयर और मोबाइल अनुप्रयोग जैसी नई तकनीकों का लाभ उठाकर भ्रष्टाचार की संभावनाओं को समाप्त करेगा।
  • यह ई-गवर्नेंस के दायरे का विस्तार और ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • NeAC की स्थापना से कर अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा और कर आधार का विस्तार होगा।

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रौद्योगिकी के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन

चर्चा में क्यों

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development- MHRD) ने एक नई पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) योजना, प्रौद्योगिकी के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन (NEAT) की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की सहायता से, सीखने वाले की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप एक अनुकूलित प्रणाली को विकसित करना है।
  • इस योजना के तहत उच्च शिक्षा में बेहतर शिक्षण परिणामों के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • MHRD द्वारा एक राष्ट्रीय NEAT प्लेटफ़ॉर्म का विकास किया जाएगा, जो इन तकनीकी समाधानों के लिये वन-स्टॉप एक्सेस प्रदान करेगा।
  • MHRD द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (Public-Private Partnership-PPP) मॉडल के तहत प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाली एडटेक कंपनियों (Educational Technology Companies) के साथ एक राष्ट्रीय सहयोग स्थापित जाएगा।
  • एडटेक कंपनियाँ समाधान विकसित करने के साथ-साथ NEAT पोर्टल के माध्यम से शिक्षार्थियों के पंजीकरण के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार होंगी तथा वे अपनी सुविधानुसार शुल्क निर्धारित करने के लिये स्वतंत्र होंगी।
  • MHRD द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सुविधा का लाभ आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों की एक बड़ी संख्या के लिये स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हो।
  • एडटेक कंपनियों को NEAT पोर्टल के माध्यम से उनके समाधान के लिये हुए कुल पंजीकरण के 25% की सीमा तक मुफ्त कूपन देनी होगी।
  • MHRD द्वारा इन मुफ्त कूपनों को सामाजिक/आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े छात्रों में वितरित किया जाएगा।
  • इस योजना का संचालन MHRD द्वारा गठित एक सर्वोच्च समिति के मार्गदर्शन में किया जाएगा।
  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education-AICTE) NEAT कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
  • एडटेक समाधानों के मूल्यांकन और चयन के लिये स्वतंत्र विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जाएगा। चुनी गई/शॉर्टलिस्टेड एडटेक कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।
  • शिक्षकों और छात्रों को NEAT समाधानों के बारे में जागरूक करने के लिये MHRD द्वारा जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे।

स्रोत: द हिंदू एवं पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

भागीदारी गारंटी योजना

चर्चा में क्यों?

भारत के खाद्य सुरक्षा नियामक प्रमुख ने यह आशा व्यक्त की है कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय की भागीदारी गारंटी योजना (Participatory Guarantee Scheme-PGS) अधिक-से-अधिक किसानों को जैविक फसल उगाने के लिये प्रोत्साहित करेगी।

भागीदारी गारंटी योजना (PGS) क्या है?

  • यह जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने की एक प्रक्रिया है, जो सुनिश्चित करती है कि उनका उत्पादन निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया गया है अथवा नहीं।
  • यह प्रमाणन, प्रलेखित लोगो (Documented Logo) या वचन (Statement) के रूप में होता है।
  • PGS अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू एक जैविक गुणवत्ता आश्वासन पहल (Quality Assurance Initiative) है, जो उत्पादकों और उपभोक्ताओं सहित हितधारकों की भागीदारी पर ज़ोर देती है।
  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें लोग समान स्थितियों में एक दूसरे के उत्पादन कार्यों का मूल्यांकन, निरीक्षण और सत्यापन करते हैं तथा जैविक प्रमाणीकरण पर निर्णय लेते हैं।
  • यह योजना कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित की जाती है।

उद्देश्य:

  • भारतीय जैविक बाज़ार के विकास को बढ़ावा देना।
  • छोटे और सीमांत किसानों को आसानी से जैविक प्रमाणीकरण प्राप्त करने में मदद करना।
  • जैविक उत्पादों की घरेलू मांग को बढ़ाना।

PGS के चार स्तम्भ:

सरकार का PGS मैनुअल 2015, रेखांकित करता है कि भारत में यह प्रणाली ‘ भागीदारी, सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण, पारदर्शिता तथा विश्वास’ पर आधारित है:

  • भागीदारी:
    • प्रमाणीकरण प्रणाली में हितधारकों की सक्रिय भागीदारी होती है जिसमें न केवल किसान, बल्कि व्यापारी और उपभोक्ता भी शामिल हैं।
    • यह प्रमाणन निर्णयों को लागू करने में हितधारकों की प्रत्यक्ष भागीदारी को सक्षम बनाता है।
  • सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण:
    • कार्यान्वयन और निर्णय लेने के लिये सामूहिक रूप से ज़िम्मेदारी ली जाती है, जो एक साझे दृष्टिकोण पर आधारित होती है।
    • प्रत्येक हितधारक संगठन या PGS समूह ,PGS-इंडिया कार्यक्रम के समग्र दृष्टिकोण और मानकों के अनुरूप अपनी योजना को बना सकता है।
  • पारदर्शिता:
    • जैविक गारंटी प्रक्रिया में उत्पादकों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से पारदर्शिता बनाए रखी जाती है।
    • प्रत्यक्ष संवाद, हितधारकों को पारदर्शिता के साथ निर्णय लेने में मदद करता है।
    • बैठकों में सूचना साझाकरण व निर्णय में भागीदारी के माध्यम से पारदर्शिता स्थापित की जाती है।
  • विश्वास:
    • PGS का मूल विचार इस बात पर आधारित है कि उत्पादकों पर भरोसा किया जा सकता है तथा PGS प्रणाली इस विश्वास को जाँच के द्वारा सही सिद्ध करेगी ।
  • लाभ:
  • योजना से संबंधित प्रक्रियायें सरल हैं व दस्तावेज़ बुनियादी हैं।
  • किसान स्थानीय भाषा का इस्तेमाल कर सकतें हैं।
  • सभी सदस्य एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं और एक दूसरे की सहायता करते हैं।
  • किसान अभ्यास के माध्यम से जैविक प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझते हैं।
  • मूल्यांकनकर्त्ता किसानों के साथ रहते हैं जिससे बेहतर निगरानी संभव हो पाती है, इसके साथ ही तीसरे पक्ष की निगरानी की लागत भी कम होती है।
  • क्षेत्रीय PGS समूहों के मध्य पारस्परिक पहचान तथा सहायता, प्रसंस्करण और विपणन के लिये बेहतर नेटवर्किंग सुनिश्चित करता है।
  • उत्पादक समूह प्रमाणन प्रणाली के विपरीत PGS हर किसान को व्यक्तिगत प्रमाण पत्र प्रदान करता है जिसमें किसान, समूह से स्वतंत्र अपनी उपज का विपणन करने के लिये स्वतंत्र होता है।
  • यह किसानों को दस्तावेज़ों के प्रबंधन और प्रमाणीकरण प्रक्रिया के लिये महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।

सीमाएं:

  • PGS प्रमाणीकरण केवल उन किसानों या समुदायों के लिये है जो एक समूह के रूप में संगठित हो सकते हैं और प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • यह PGS किसानों द्वारा उत्पादित उन प्रत्यक्ष उत्पादों पर लागू होता है, जिसमें केवल कृषि गतिविधियाँ जैसे कि फसल उत्पादन, प्रसंस्करण, पशु पालन और ऑफ-फार्म प्रसंस्करण वाले उत्पाद शामिल होते हैं।
  • PGS के अंतर्गत व्यक्तिगत किसानों या पाँच सदस्यों से कम किसानों वाले समूहों को शामिल नहीं किया जाता है। कृषकों को या तो तीसरे पक्ष के प्रमाणीकरण का विकल्प चुनना होगा या मौजूदा स्थानीय PGS समूह में शामिल होना होगा।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रोजेक्ट नेत्र

चर्चा में क्यों?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने भारतीय उपग्रहों को मलबे (Debris) और अन्य खतरों से सुरक्षित रखने के लिये अंतरिक्ष में एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) प्रोजेक्ट नेत्र (Project NETRA) शुरू किया है।

प्रोजेक्ट का महत्त्व:

मानव के 50 वर्षों के अंतरिक्ष इतिहास में पृथ्वी की कक्षा के चारों तरफ घूमने वाली कचरे की एक खतरनाक पट्टी बन गई है।

  • वर्तमान में ISRO के भूस्थैतिक कक्षा (36,000 किमी.) में 15 कार्यात्मक भारतीय संचार उपग्रह हैं; निम्न भू कक्षा (2,000 किमी.) में 13 रिमोट सेंसिंग उपग्रह तथा पृथ्वी की मध्यम कक्षा में आठ नेविगेशन उपग्रह स्थापित हैं।
  • अंतरिक्ष में लगभग 17,000 मानव निर्मित वस्तुएँ मॉनीटर की जाती हैं जिनमें से 7% वस्तुएँ क्रियाशील हैं।
  • एक समयावधि के बाद ये वस्तुएँ अक्रियाशील हो जाती हैं और अंतरिक्ष में घूर्णन करने के दौरान एक-दूसरे से टकराती रहती हैं। प्रत्येक वर्ष इन वस्तुओं के टकराने से लगभग 250 विस्फोट होते हैं जिसके फलस्वरूप मलबों (Debris) के छोटे-छोटे टुकड़े अत्यंत तीव्र गति से घूर्णन करते रहते हैं।
  • अंतरिक्ष में उपस्थित निष्क्रिय उपग्रहों और रॉकेट के मलबे पृथ्वी की कक्षा में कई वर्षों तक विद्यमान रहते हैं और ये मलबे किसी सक्रिय उपग्रहों को क्षति पहुँचा सकते हैं।
  • लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत वाली यह परियोजना, अन्य अंतरिक्ष शक्तियों वाले देशों की तरह भारत की अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (Space Situational Awareness) क्षमता को बढ़ाएगी।
  • इसका उपयोग मलबे से भारतीय उपग्रहों को होने वाले खतरों का अनुमान लगाने के साथ-साथ देश को मिसाइल या अंतरिक्ष हमले के खिलाफ एक चेतावनी देने के रूप में भी किया जा सकेगा।
  • इसकी स्थापना पहले पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में की जाएगी जिसमें रिमोट सेंसिंग स्पेसक्राफ्ट (Remote Sensing Spacecraft) भी शामिल होगा।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय राजनीति

पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा कि सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिये बनाई जा रही नीतियों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन क्षेत्र भी शामिल हैं।

  • 22 फरवरी, 1994 को संसद द्वारा सर्वसम्मति से अपनाए गए एक संकल्प के अनुसार, जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है। इसके अतिरिक्त संसद में मांग की गई कि पाकिस्तान को भारतीय जम्मू-कश्मीर राज्य के अधिकृत क्षेत्रों को खाली करना चाहिये।

नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC):

  • स्वतंत्रता के बाद जम्मू-कश्मीर को लेकर, दोनों देशों के बीच हुए युद्ध विराम के बाद खींची गई रेखा ही वर्तमान नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) है।
  • नियंत्रण रेखा दोनों देशों के बीच स्वतंत्रता के बाद से ही विवाद का विषय बनी हुई है।
  • युद्ध विराम (Cease Fire) के बाद से ही 13,297 वर्ग किमी. में फैला नियंत्रण रेखा के उस पार का क्षेत्र पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रूप में पाकिस्तानी सैन्य बलों के नियंत्रण में है।
  • स्वतंत्रता के बाद पश्तून आदिवासियों द्वारा जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण के पश्चात् यह क्षेत्र विवादों से घिरा हुआ है।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir):

  • वर्ष 2017 में की गई जनगणना के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की जनसंख्या लगभग 40 लाख है। यह जनसंख्या नीलम, मुजफ्फराबाद, हटियन बाला, बाग, रावतकोट, कोटली, मीरपुर और भीम्बर जैसे ज़िलों में फैली हुई है।
  • पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ्फराबाद है, जो झेलम और इसकी सहायक नदी नीलम (जिसे भारत में किशनगंगा कहते हैं ) की घाटी में स्थित है।
  • वर्ष 1963 के एक समझौते के तहत काराकोरम के उत्तर में स्थित जम्मू-कश्मीर के 5,000 वर्ग किमी. शक्सगाम (Shaksgam) क्षेत्र को पाकिस्तान ने चीन को दे दिया था।

गिलगित बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan):

  • गिलगित बाल्टिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के उत्तर में और पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व में स्थित पहाड़ी क्षेत्र है।
  • वर्ष 1846 में सिख सेना को हराने के बाद जम्मू-कश्मीर के शेष हिस्सों के साथ अंग्रेज़ों ने इसे जम्मू के डोगरा शासक गुलाब सिंह को बेच दिया था।
  • इसके बाद भी अंग्रेज़ों ने जम्मू के डोगरा शासक गुलाब सिंह से इस क्षेत्र को पट्टे (Lease) पर लेकर इस पर अपना नियंत्रण बनाए रखा।
  • यह पट्टा वर्ष 1935 में अंतिम रूप से नवीनीकृत किया गया था। वर्ष 1947 में ब्रिटिश सेना ने महाराजा हरि सिंह के गवर्नर को हराकर इस क्षेत्र को पाकिस्तान को सौंप दिया था।
  • गिलगित बाल्टिस्तान 72,871 वर्ग किमी. में फैला है जिसका आकार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लगभग साढ़े पांँच गुना अधिक है। यहाँ की जनसंख्या केवल 20 लाख है।
  • गिलगित बाल्टिस्तान को तीन प्रशासनिक प्रभागों और 10 ज़िलों में विभाजित किया गया है।

गिलगित बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan) की प्रशासनिक स्थिति:

  • पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान दोनों ही सीधे इस्लामाबाद से शासित हैं, इन क्षेत्रों को आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
  • पाकिस्तान के सिर्फ चार सूचीबद्ध प्रांत हैं जिनमें पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और सिंध शामिल हैं।
  • भारत की संसद द्वारा वर्ष 1994 में पारित प्रस्ताव के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान दोनों जम्मू-कश्मीर राज्य के अभिन्न हिस्से हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बेसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) वैक्सीन

चर्चा में क्यों?

हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया है कि नैनोपार्टिकल फॉर्म में करक्यूमिन (Curcumin), बेसिल कैलमेट-गुएरिन (Bacille Calmette-Guérin-BCG) वैक्सीन की प्रभावकारिता को बढ़ाने की क्षमता रखता है, जिसका इस्तेमाल तपेदिक (TB) के खिलाफ किया जाता है। यह अध्ययन इन्फेक्शन एंड इम्युनिटी (Infection and Immunity) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

करक्यूमिन (Curcumin):

Curcumin

  • करक्यूमिन (Curcumin), हल्दी (Curcuma longa) का सक्रिय घटक है तथा हजारों वर्षों से इसका सेवन औषधीय प्रयोजनों के लिये किया जाता रहा है।
  • इसके अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला है। इसका उपयोग जीवाणुरोधी गतिविधि, एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-Inflammatory), एंटी-ऑक्सीडेंट (Anti-oxidant), कीमोथेराप्यूटिक (Chemotherapeutic), एंटी-प्रोलिफेरेटिव (Anti-Proliferative), घाव भरने, एंटीपैरासिटिक (antiparasitic), मलेरिया-रोधी, मधुमेह, मोटापा, न्यूरोलॉजिक, मनोरोग संबंधी विकार और कैंसर के साथ-साथ आँखों, फेफड़ों आदि को प्रभावित करने वाली बीमारियों के उपचार हेतु किया जा सकता है।
  • यद्यपि करक्यूमिन ने कई मानव बीमारियों के खिलाफ चिकित्सीय प्रभावकारिता दिखाई है, लेकिन करक्यूमिन के साथ एक बड़ी समस्या इसकी जैव-उपलब्धता का ना होना है।
  • करक्यूमिन की जैव-उपलब्धता बढ़ाने के लिये नैनोकणों का प्रयोग संभावित उपाय सिद्ध हो सकता है।

बेसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) वैक्सीन:

  • BCG वैक्सीन छोटे बच्चों में टीबी के प्रसार के खिलाफ प्रभावी है।
  • यह वैक्सीन दो प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को शामिल करती है - प्रभावकारी मेमोरी टी कोशिकाएँ (Effector Memory T Cells) और केंद्रीय मेमोरी टी कोशिकाएँ (Central Memory T Cells)।
  • टीबी बैक्टीरिया के खिलाफ तत्काल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने में टी-मेमोरी/मेमोरी टी कोशिकाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • केंद्रीय मेमोरी टी कोशिकाएँ बच्चों में दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में मदद करती हैं लेकिन, कुछ समय के बाद; इनकी संख्या स्वतः कम हो जाती हैं। परिणामस्वरूप, बच्चों को पर्याप्त सुरक्षा प्राप्त नहीं होती है जिससे BCG टीकाकरण के बावजूद भी वयस्क लोग टीबी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।

नैनोकणों के रूप में करक्यूमिन (Curcumin) तथा इनकी प्रभावशीलता:

  • BCG वैक्सीन की प्रभावकारिता बढ़ाने का एक तरीका केंद्रीय मेमोरी टी कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करना है ताकि वे लंबे समय तक बनी रहें और लंबी अवधि के लिये प्रतिरक्षा प्रदान करें।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए शोध में पाया गया कि चूहों को BCG का टीका लगाने के तुरंत बाद करक्यूमिन नैनोकणों का इंजेक्शन लगाने से केंद्रीय मेमोरी टी कोशिकाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  • करक्यूमिन जन्मजात प्रतिरक्षा कोशिकाओं को मैक्रोफेज (Macrophages) और डेंड्राइटिक (Dendritic) कोशिकाओं के रूप में सक्रिय करने में भी मदद करता है। मैक्रोफेज के अंदर टीबी के जीवाणु उपस्थित होते हैं और वृद्धि करते हैं, लेकिन एक बार करक्यूमिन नैनोकणों के सक्रिय होने से, मैक्रोफेज और डेंड्राइटिक कोशिकाओं से बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
  • यह टीबी-विशिष्ट अधिग्रहीत प्रतिरक्षा कोशिकाओं (TB-Specific Acquired Immune Cells) Th1 और Th17 के स्तर को बढ़ाता है और साथ ही कुछ अन्य कोशिकाओं (Th2 और Tregs) के स्तर को कम करता है जिससे BCG वैक्सीन की प्रभावकारिता में सुधार होता है।
    • टीबी संक्रमण के बाद, Th2 और Tregs कोशिकाओं का स्तर बढ़ता है और वे Th1 और Th17 प्रतिक्रियाओं के सुरक्षात्मक प्रभाव को रोकते हैं।
  • यह एक तरह से वयस्क पल्मोनरी टीबी (Adult Pulmonary TB) से सुरक्षा प्रदान करता है|

स्रोत: द हिंदू 


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (25 September)

  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय 24 से 30 सितंबर तक छठे भारत जल सप्ताह-2019 का आयोजन कर रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विज्ञान भवन में भारत जल सप्ताह-2019 की शुरुआत की। इस वर्ष कार्यक्रम की थीम जल सहयोग: 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करना रखी गई है। इस कार्यक्रम के लिये जापान और यूरोपीय संघ को सहयोगी बनाया गया है। गौरतलब है कि जल संबंधी मामलों को लेकर भारत ने इज़राइल, कनाडा, जापान, जर्मनी, यू.के. जैसे 14 देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित किया है। वर्ष 2012 से भारत जल सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है और यह जल संबंधी मामलों पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है। इसके अलावा भारत की भौगोलिक विविधता और जल संबंधी समस्याओं पर मंत्रालय ने जल शक्ति अभियान शुरू किया है जो केंद्र और राज्य सरकारों का एक संयुक्त कार्यक्रम है। इसके तहत भारत में जल संकट का सामना कर रहे ज़िलों और ब्लॉकों में जल संरक्षण गतिविधियाँ तेज़ की जाएंगी तथा पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार एवं पुननिर्माण किया जाएगा। गौरतलब है कि बेहतर जल प्रशासन के लिये भारत सरकार ने जल व स्वच्छता से संबंधित विभिन्न विभागों का विलय कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। इससे पहले जल और जल प्रबंधन के विभिन्न आयामों का दायित्व 7 मंत्रालयों और 10 से अधिक विभागों पर था।
  • केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के क्रियान्वयन की प्रभावी निगरानी के लिये एक विशेष इकाई बनाने का निर्णय लिया है। इसके अनुसार, कार्यक्रम प्रबंधन इकाई वर्ष 2022 तक सभी के लिये आवास के लक्ष्य के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना को मदद मुहैया कराएगी। इसके लिये अनुभवी परामर्शदाता कंपनियों व एजेंसियों से सहयोग लिया जा सकता है। इसके तहत संबंधित एजेंसी का पिछले तीन वित्तीय वर्षों में औसत वार्षिक टर्नओवर नौ करोड़ रुपए से कम नहीं होना चाहिये। सरकार अप्रैल 2020 तक इस इकाई का गठन कर देना चाहती है। यह इकाई वर्ष 2022 तक काम करेगी। विदित हो कि सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम को 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दिया है। इस योजना के तहत घर बनाने या खरीदने के लिये होम लोन पर ब्याज सब्सिडी मिलती है। होम लोन के ब्याज पर 2.60 लाख रुपए का लाभ कमज़ो आय वर्ग के लोग उठा सकते हैं। 31 दिसंबर, 2017 को यह स्कीम 12 महीनों के लिये शुरू की गई थी। इसके तहत मकान की प्राप्ति या निर्माण कराने के लिये बैंकों, होम लोन कंपनियों और अन्‍य ऐसी अधिसूचित कंपनियों से ऋण लेने वाले लाभार्थियों को शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत अब तक 88.19 लाख घरों को मंज़ूरी दी गई है, 52.32 लाख घर निर्माणाधीन हैं और 24.16 लाख घरों को लाभार्थियों को सौंप दिया गया है।
  • बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड प्रदान किया। नरेंद्र मोदी को स्वच्छता की दिशा में बेहतर कार्य करने के लिये यह अवार्ड दिया गया है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से पहला गोलकीपर अवॉर्ड कार्यक्रम वर्ष 2017 में आयोजित किया गया। यह अवार्ड हर साल तय 17 लक्ष्यों में से किसी भी एक पर अच्छा काम करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है। वर्ष 2015 में 193 देशों के प्रतिनिधि एक बेहतर दुनिया बनाने के लिये 17 सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को हासिल करने पर सहमत हुए थे। इन सभी लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक हासिल करना है। ये 17 लक्ष्य हैं- गरीबी हटाना, भूख मिटाना, अच्छा स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल व सफाई, उचित कीमत पर स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक वृद्धि, उद्योग, नवाचार और आधारभूत संरचना, असमानता कम करना, शहरों व समुदायों का दीर्घकालिक विकास, उत्तरदायी उपभोग और उत्पादन, जलवायु में सुधार, जलीय जीवों के लिये बेहतर वातावरण, धरती के जीवों के लिये बेहतर वातावरण, शांति, न्याय और मज़बूत संस्थाएँ तथा लक्ष्यों के लिये साझेदारी।
  • अर्जेंटीना के कप्तान और दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी को छठी बार फीफा प्लेयर ऑफ द ईयर पुरस्कार दिया गया है। इसके साथ मेसी दुनिया में सबसे ज़्यादा बार फीफा प्लेयर ऑफ द ईयर चुने जाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। इस मामले में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और पुर्तगाल के दिग्गज खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो को पीछे छोड़ दिया है। रोनाल्डो ने पाँच बार यह पुरस्कार जीता है। महिला खिलाड़ी मेगन रापिनो ने अपना पहला अवार्ड जीता। रापिनो को अमेरिका की महिला टीम को खिताब जीतने के लिये ‘वूमेन ऑफ द ईयर’ अवार्ड से नवाजा गया है। रापिनो ने टूर्नामेंट में छह गोल दागे थे, उन्हें टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर के रूप में गोल्डन बूट और शीर्ष खिलाड़ी के रूप में गोल्डन बॉल से नवाज़ा गया था। जिल एलिस को ‘सर्वश्रेष्ठ महिला कोच’ का अवार्ड मिला। विदित हो कि बार्सिलोना के मेसी इससे पहले वर्ष 2009, 2010, 2011, 2012 और 2015 में फीफा प्लेयर ऑफ द ईयर चुने जा चुके हैं। पिछले साल यह अवार्ड क्रोएशिया को फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में ले जाने वाले उनके कप्तान लुका मोड्रिक को मिला था।

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