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डेली न्यूज़

  • 09 Oct, 2019
  • 43 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व कपास दिवस

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार का कपड़ा मंत्रालय 7 अक्तूबर से 11 अक्तूबर, 2019 तक जिनेवा में मनाए जा रहे विश्व कपास दिवस (World Cotton Day) में भाग ले रहा है।

आयोजन से संबंधित मुख्य बिंदु:

  • कार्यक्रम की मेज़बानी चार प्रमुख कपास उत्पादक देशों बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और माली के अनुरोध पर WTO द्वारा किया जाएगा।
  • विश्व कपास दिवस कार्यक्रम का आयोजन विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) द्वारा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO), व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (International Trade Centre- ITC) और अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (International Cotton Advisory Committee- ICAC) के सचिवालयों के सहयोग से किया जाएगा।
  • विश्व कपास दिवस के अवसर पर प्राकृतिक फाइबर के रूप में इसके गुणों से लेकर इसके उत्पादन, रूपांतरण, व्यापार और उपभोग से लोगों को मिलने वाले लाभों को शामिल किया जाएगा।
  • विश्व कपास दिवस के आयोजन के माध्यम से दुनिया भर में कपास प्रधान अर्थव्यवस्थाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला जाएगा, क्योंकि कपास दुनिया भर के अधिकांश अल्प-विकसित, विकासशील और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिये महत्वपूर्ण है।
  • इन गतिविधियों को देश स्तर पर आयोजित किया जाएगा और विश्व व्यापार संगठन के मुख्यालय में इसका सीधा प्रसारण (Livestreaming) किया जाएगा।

उद्देश्य:

  • कपास और इसके उत्पादन, रूपांतरण एवं व्यापार से जुड़े सभी हितधारकों का प्रदर्शन करना तथा मान्यता प्रदान करना।
  • दाताओं और लाभार्थियों को जोड़ने और कपास के लिये विकास सहायता को मजबूत करना।
  • कपास से संबंधित उद्योगों और विकासशील देशों में उत्पादन के लिये निजी क्षेत्र और निवेशकों के साथ नए सहयोग की तलाश करना।
  • तकनीकी विकास को बढ़ावा देना।
  • कपास संबंधी अनुसंधान और विकास करना।
  • सदस्यों, निजी क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय विकास समुदाय को ज्ञान साझा करने और कपास से संबंधित गतिविधियों और उत्पादों का प्रदर्शन करने का एक अवसर प्रदान करना।

अन्य महत्त्वपूर्ण आयोजन:

  • कपास मूल्य श्रृंखला के महत्त्व को रेखांकित करने वाले मजबूत और सकारात्मक संदेशों को संप्रेषित करने के लिये दुनिया भर के फोटोग्राफरों को प्रोत्साहित करने हेतु एक फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
  • अफ्रीका पर विशेष फोकस के साथ दुनिया के विभिन्न हिस्सों के कपास से जुड़े फैशन और डिजाइनरों के प्रदर्शन के लिए एक विशेष फैशन इवेंट का आयोजन किया जाएगा।

भारत की भागीदारी:

  • विश्व कपास दिवस प्रदर्शनी में भारतीय खेमे का नेतृत्व एवं रूपांकन (Designe) भारत में फैशन शिक्षा क्षेत्र के अग्रणी संस्थान NIFT द्वारा किया जायेगा।
  • एक कपास प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा, जिसमें भारत की ओर से सूती वस्त्र निर्यात संवर्द्धन परिषद (The Cotton Textiles Export Promotion Council- TEXPROCIL), हथकरघा निर्यात संवर्द्धन परिषद (Handloom Export Promotion Council- HEPC), भारतीय कपास निगम (Cotton Corporation of India- CCI) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (National Institute of Fashion Technology- NIFT) अपने स्टॉल लगाएंगे।
  • CCI द्वारा कच्चे कपास के विभिन्न किस्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। जैसे कि-
    • सुविन (SUVIN), जो भारत में उत्पादित दुनिया का सबसे लंबा और बेहतरीन कपास फाइबर है। यह विशेष रूप से तमिलनाडु में उगाया जाता है।
    • कर्नाटक राज्य के धारवाड़ में उगाए जाने वाले गहरे भूरे, मध्यम भूरे, हरे और क्रीम आदि रंगों वाले प्राकृतिक रंगीन कपास। प्राकृतिक रूप से रंगीन होने के कारण इसमें सिंथेटिक रंजक का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती, फलतः इससे बने कपड़ों की विषाक्तता कम हो जाती है।
  • गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में कपास से बनी महात्मा गांधी की एक मूर्ति का प्रदर्शन किया जाएगा।
  • सूती वस्त्र निर्यात संवर्द्धन परिषद (The Cotton Textiles Export Promotion Council- TEXPROCIL) द्वारा प्रदर्शनी में भारत के उच्च गुणवत्ता वाले सूती वस्त्रों का प्रदर्शन किया जाएगा।
  • प्रदर्शनी में HEPC भारत के प्रमुख समूहों द्वारा हाथ से बुने हुए उत्पादों का प्रदर्शन करेगी और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बुनकर पिट्टा रामुलु द्वारा चरखे का लाइव प्रदर्शन भी किया जाएगा। आयोजन के बाद इस चरखे को विश्व व्यापार संगठन को दान किया जाएगा।
  • भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्राप्त वेंकटगिरी, चंदेरी, माहेश्वरी और इकत साड़ी को कई अन्य पारंपरिक भारतीय वस्त्रों और जैविक सूती कपड़ों के साथ प्रदर्शित किया जाएगा।

आयोजन की प्रासंगिकता:

  • कपास एक वैश्विक वस्तु है जिसका उत्पादन दुनिया भर में किया जाता है।
  • एक टन कपास का प्रति वर्ष औसतन पाँच लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
  • कपास शुष्क-प्रतिरोधी फसल है, जो शुष्क जलवायु के लिये आदर्श फसल है।
  • इसके लिये दुनिया की कृषि योग्य भूमि का केवल 2.1% हिस्सा उपयोग किया जाता है, किंतु यह दुनिया के 27% वस्त्रों की ज़रूरत को पूरा करता है।
  • कपड़ा और परिधान हेतु उपयोग के अलावा, खाद्य उत्पाद (जैसे कि खाद्य तेल) और बीज से पशु आहार का निर्माण आदि के लिये भी कपास का प्रयोग किया जाता है।

स्रोत: PIB


आंतरिक सुरक्षा

सूचना संलयन केंद्र - हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR)

चर्चा में क्यों?

सूचना संलयन केंद्र - हिंद महासागर क्षेत्र (Information Fusion Centre – Indian Ocean Region, IFC-IOR) ने एक सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से समुद्री सुरक्षा स्थितियों के लिये समुद्री डेटा और घटना प्रतिक्रियाओं का हवाला देते हुए (Cuing Incident Responses) सूचना साझाकरण हब के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।

इस कदम के निहितार्थ:

  • IOR विभिन्न द्वीपीय देशों एवं तटीय राज्यों से युक्त संगठन है जिनकी अपनी विशिष्ट आवश्यकताएँ, आकांक्षाएँ, रुचियाँ तथा मूल्य हैं अतः इन क्षेत्रों में समुद्री डकैती का मुकाबला करना आवश्यक है।
  • IFC-IOR यह सुनिश्चित करेगा कि पूरे क्षेत्र को आपसी सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से लाभान्वित किया जा सके।

In real time

हिंद महासागर महत्त्वपूर्ण क्यों है?

  • हिंद महासागर क्षेत्र अगले 20 वर्षों में नए वैश्विक विकास का सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन बनने की क्षमता रखता है।
  • यह उत्तरी अटलांटिक और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था एवं वैश्विक व्यापार के स्तर पर एक विशिष्ट स्थान रखता है।
  • हिंद महासागर प्राकृतिक संसाधनों से भी समृद्ध है। विश्व के 40% अपतटीय तेल (Offshore Oil) का उत्पादन हिंद महासागर के बेसिन में होता है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में विश्व के मत्स्य उत्पादन का लगभग 15% भाग का उत्पादन किया जाता है।
  • यह क्षेत्र खनिज संसाधनों की दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ भारी मात्रा में मैंगनीज़, तांबा, लोहा, जस्ता, चांदी तथा सोने की उपलब्धता है।
  • हिंद महासागर का तटीय क्षेत्र टाइटेनियम, ज़िरकोनियम, टिन, जस्ता और तांबे का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त यहाँ विभिन्न दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व भी पाए जाते हैं।

स्रोत: द हिन्दू


शासन व्यवस्था

देश का पहला खेल विश्वविद्यालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली मंत्रिमंडल ने दिल्ली में भारत का पहला राजकीय खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये एक विधेयक को मंजूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • यह विधेयक खेल विश्वविद्यालय को खेल स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना का अधिकार देता है।
  • खेल विश्वविद्यालय अन्य खेलों के साथ क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करेगा।
  • दिल्ली खेल विश्वविद्यालय (Delhi Sports University) को एक राजकीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव है और यह सीबीएसई (Central Board of Secondary Education-CBSE) से संबद्ध दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल होगा, जो खेल में छात्रों का करियर बनाने के लिये खेल शिक्षा प्रदान करने पर जोर देगा।
  • दिल्ली खेल विश्वविद्यालय का चांसलर, उप-राज्यपाल होगा तथा
    • कुलपति एक राष्ट्रीय-स्तर के संस्थान में प्रशासनिक अनुभव के साथ अंतर-राष्ट्रीय प्रतिभा का खिलाड़ी होगा।

मणिपुर राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय

  • इससे पहले खेल शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित एक विधेयक लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों में पारित किया गया था।
  • यह विधेयक राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018 (National Sports University Ordinance, 2018) को प्रतिस्थापित करता है जिसे 31 मई, 2018 को प्रख्यापित किया गया था।
  • इस विधेयक में मणिपुर में एक राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रावधान था।
  • मणिपुर राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission-UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त है।

प्रासंगिकता

  • अधिकांश छात्रों को खेल को अपना मुख्य विषयों में अपने प्रदर्शन के साथ बनाए रखने के लिये खेलों से समझौता करना पड़ता है।
  • खेलों में खिलाड़ी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित होता है, केवल इस तथ्य के आधार पर कि अगर वह खेल में करियर बनाने में सक्षम नहीं होता, तो उसे सिर्फ एक स्कूल पास कहा जाएगा।
    • उसे इसलिये नौकरी नहीं मिल पाती क्योंकि आमतौर पर हर नौकरी के लिये कम-से-कम स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है।
    • इसलिये कई छात्र जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में हिस्सा लिया वे उस मंच पर कहीं नहीं हैं, जहाॅं स्नातक की डिग्री वाले छात्र हैं।
  • स्पोर्ट्स कोटा के तहत नौकरियों का हिस्सा भी सीमित है।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय राजनीति

राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी की 550वीं जयंती समारोह के उपलक्ष्य में मानवता की भावना प्रदर्शित करते हुए एक अभियुक्त (पंजाब के मुख्यमंत्री की हत्या का दोषी) की मौत की सज़ा को क्षमादान में परिवर्तित करने का फैसला किया है।

पिछले नौ वर्षों में राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय (Ministry Of Home Affairs) की सिफारिशों के आधार पर लगभग 20 अभियुक्तों की मौत कि सज़ा को आजीवन कारावास में रूपांतरित किया है।

माफ करने के लिये संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 72

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 की न्यायिक शक्ति के तहत अपराध के लिये दोषी करार दिये गए व्यक्ति को राष्ट्रपति क्षमा अर्थात् दंडादेश का निलंबन, प्राणदंड स्थगन, राहत और माफ़ी प्रदान कर सकता है। ऐसे मामले निम्नलिखित हैं जिनमें राष्ट्रपति के पास ऐसी शक्ति होती है-
  • संघीय विधि के विरुद्ध दंडित व्यक्ति के मामले में।
  • सैन्य न्यायालय द्वारा दंडित व्यक्ति के मामले में।
  • मृत्यदंड पाए हुए व्यक्ति के मामले में।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति

  • लघुकरण (Commutation) -सज़ा की प्रकृति को बदलना जैसे मृत्युदंड को कठोर कारावास में बदलना।
  • परिहार (Remission) - सज़ा की अवधिको बदलना जैसे 2 वर्ष के कठोर कारावास को 1 वर्ष के कठोर कारावास में बदलना।
  • विराम (Respite) - विशेष परिस्थितियों की वजह से सज़ा को कम करना जैसे शारीरिक अपंगता या महिलाओं कि गर्भावस्था के कारण।
  • प्रविलंबन (Reprieve) - किसी दंड को कुछ समय के लिये टालने की प्रक्रिया जैसे फाँसी को कुछ समय के लिये टालना।
  • क्षमा (Pardon) - पूर्णतः माफ़ कर देना (इसका तकनीकी मतलब यह है कि अपराध कभी हुआ ही नहीं।

संविधान के अनुच्छेद 161 द्वारा राज्य के राज्यपाल को भी क्षमादान की शक्ति प्रदान की गई है।

  • राज्यपाल राज्य के विधि विरुद्ध अपराध में दोषी व्यक्ति के संदर्भ में यह शक्ति रखता है।
  • राज्यपाल को मृत्यदंड को क्षमा करने का अधिकार नहीं है।
  • राज्यपाल मृत्यदंड को निलंबित, दंड अवधि को कम करना एवं दंड का स्वरूप बदल सकता है।

राष्ट्रपति की क्षमा करने की प्रक्रिया

  • यह प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने से शुरू होती है।
  • इसके बाद याचिका पर विचार करने के लिये यह गृह मंत्रालय को भेजी जाती है, जिसके बाद संबंधित राज्य सरकार से सलाह ली जाती है।
  • गृह मंत्री की सिफारिश पर परामर्श के बाद याचिका राष्ट्रपति को वापस भेजी जाती है।

क्षमादान का उद्देश्य

  • क्षमादान किसी निर्दोष व्यक्ति को न्यायालय की गलती के कारण दंडित होने से बचाने या संदेहास्पद सज़ा के मामलों में मददगार साबित हो सकती है।
  • राष्ट्रपति को प्राप्त इस शक्ति के दो रूप हैं
    • विधि के प्रयोग में होने वाली न्यायिक गलती को सुधारने के लिये।
    • यदि राष्ट्रपति दंड का स्वरूप अधिक कठोर समझता है तो उसका बचाव करने के लिये।

क्षमा करने की शक्तियों पर न्यायिक रुख

मारू राम बनाम भारत संघ मामले (1980) में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 72 के तहत शक्ति का प्रयोग केंद्र सरकार की सलाह पर किया जाना चाहिये, न कि राष्ट्रपति द्वारा अपने विवेक से और राष्ट्रपति के लिये यह सलाह बाध्यकारी है।

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जियोटेल

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में चंद्रमा की मिट्टी में तत्त्वों की उपस्थिति का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किये गए चंद्रयान -2 के एक CLASS (Chandrayaan-2 Large Area Soft X-ray Spectrometer) नामक उपकरण ने अपने मिशन के दौरान आवेशित कणों का पता लगाया।

यह घटना जियोटेल के माध्यम से ऑर्बिटर के गुजरने के दौरान हुई।

जियोटेल

  • जियोटेल एक ऐसा क्षेत्र है जो सूर्य और पृथ्वी के बीच के पारस्परिक सौर वायु के प्रभाव से उत्पन्न होता है।
    • जियोटेल अंतरिक्ष में पर्यवेक्षण का एक सर्वोत्तम क्षेत्र है।
  • प्रत्येक 29 दिनों में चंद्रमा एक बार, लगभग छह दिनों के लिये जियोटेल क्षेत्र में रहता है उसी समय चंद्रयान -2, जो चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है, उसके उपकरण (CLASS) जियोटेल के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं।

Geotail

जियोटेल क्षेत्र कैसे बनता है?

  • सूर्य, आवेशित कणों की एक सतत् धारा के रूप में सौर वायु का उत्सर्जन करता है। ये कण सूर्य के विस्तारित चुंबकीय क्षेत्र में अंतर्निहित हैं।
  • चूॅंकि पृथ्वी में भी एक चुंबकीय क्षेत्र है, जो सौर पवन प्लाज़्मा को बाधित करता है। इस परस्पर क्रिया से पृथ्वी के चारों ओर एक चुंबकीय आवरण बन जाता है।
  • सूर्य की ओर वाला पृथ्वी का चुंबकीय आवरण क्षेत्र संकुचित हो जाता है जो पृथ्वी की त्रिज्या से लगभग तीन से चार गुना अधिक हो जाता है।
  • इसके विपरीत दिशा में,यह आवरण एक पुच्छल के रूप में फैल जाता है, जो चंद्रमा की कक्षा से परे तक फैला होता है इसी पुच्छल वाले आवरण को जियोटेल कहा जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक- 2019

प्रीलिम्स के लिये:

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक के संकेतक, भारत और अन्य देशों का प्रदर्शन

मेन्स के लिये:

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक का महत्त्व और भारत की क्षमता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) द्वारा जारी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक-2019 (Global Competitiveness Index 2019) में भारत को 141 देशों की सूची में 68वाॅं स्थान प्राप्त हुआ है।

वैश्विक संदर्भ:

  • सिंगापुर ने संयुक्त राज्य अमेरिका को विश्व की सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिस्थापित करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
  • 28वें स्थान के साथ चीन को ब्रिक्स देशों के समूह में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ है।
  • अमेरिका को दूसरा, हाॅन्गकाॅन्ग को तीसरा, नीदरलैंड्स को चौथा और स्विट्ज़रलैंड को पाँचवाॅं स्थान मिला है।
  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कई प्रतिस्पर्द्धी देशों की उपस्थिति इस क्षेत्र को विश्व में सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती है

भारत का प्रदर्शन:

  • इस वर्ष भारत वार्षिक वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक-2019 में 10 स्थान नीचे खिसक गया है जबकि वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक-2018 में भारत 58वें स्थान पर था।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत व्यापक आर्थिक स्थिरता और बाज़ार के आकार के मामले में उच्च स्थान पर है।
  • बाज़ार के आकार और अक्षय ऊर्जा विनियमन के लिये भारत को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
  • कॉरपोरेट गवर्नेंस के मामलों में भारत 15वें स्थान पर है जबकि शेयरहोल्डर गवर्नेंस के मामलों में इसका स्थान दूसरा है।
  • इसके अलावा नवाचार के मामले में भारत उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे है।
  • योग्यता और प्रोत्साहन के मामले में भारत को 118वें स्थान तथा कौशल उपलब्धता के मामले में 107वें स्थान पर रखा गया है।

भारत के संदर्भ में चिंता के मुद्दे:

  • सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी अनुकूलन, स्वास्थ्य की खराब स्थिति एवं निम्न जीवन प्रत्याशा जैसे प्रतिस्पर्द्धा के कुछ मानकों पर भारत की स्थिति कमज़ोर है।
  • WEF के अनुसार, जीवन प्रत्याशा में भारत को कुल 141 देशों में से 109वें स्थान पर रखा गया है जो अफ्रीका की तुलना में कम और दक्षिण एशियाई देशों के औसत से काफी नीचे है।
  • व्यापार के नियमों की अस्पष्टता, श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा में कमी, अपर्याप्त रूप से विकसित श्रम बाज़ार की नीतियाँ तथा महिलाओं की कम भागीदारी के कारण भारत की बाज़ार उत्पादन क्षमता कम है।
  • महिला श्रमिकों के पुरुष श्रमिकों के 0.26 के अनुपात के साथ भारत को 128वें स्थान दिया गया है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum)

  • विश्व आर्थिक मंच सार्वजनिक-निजी सहयोग हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख व्यावसायिक, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों तथा अन्य प्रमुख क्षेत्रों के अग्रणी लोगों के लिये एक मंच के रूप में कार्य करना है।
  • यह एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • इस संस्था की सदस्यता अनेक स्तरों पर प्रदान की जाती है और ये स्तर संस्था के काम में उनकी सहभागिता पर निर्भर करते हैं।
  • इसके माध्यम से विश्व के समक्ष मौजूद महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों पर परिचर्चा का आयोजन किया जाता है।
  • विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित की जाने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट-
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक (Global Competitiveness Index -GCR)
    • यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट (Travel and Tourism Competitiveness Report)
    • वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी रिपोर्ट (Global Information Technology Report)

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक के बारे में

  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) द्वारा जारी की जाने वाली वार्षिक रिपोर्ट है।
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वर्ष 2004 से यह रिपोर्ट जारी करता है।
  • यह सूचकांक 12 संकेतकों पर आधारित है, जो इस प्रकार हैं-
    • संस्थान (Institution)
    • उपयुक्त आधारभूत संरचना (Appropriate Infrastructure)
    • स्थिर समष्टिगत आर्थिक ढाँचा (Stable Macroeconomic Framework)
    • अच्छा स्वास्थ्य और प्राथमिक शिक्षा (Good Health and Primary Education)
    • उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण (Higher Education and Training)
    • कुशल माल बाज़ार (Efficient Goods Markets)
    • कुशल श्रम बाज़ार (Efficient Labor Markets)
    • वित्तीय बाज़ारों का विकास (Developed Financial Markets)
    • मौजूदा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की क्षमता (Ability to Harness Existing Technology)
    • बाज़ार आकार - घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों (Market Size—Both Domestic and International)
    • सबसे परिष्कृत उत्पादन प्रक्रियाओं का उपयोग करके विभिन्न घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं का उत्पादन (Production of New and Different Goods Using the Most Sophisticated Production Processes)
    • नवाचार (Innovation)

आगे की राह

  • भारत को अपने कौशल आधार को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  • सूचकांक के अनुसार कोरिया, जापान, फ्राँस जैसी मज़बूत नवाचार क्षमता वाली अर्थव्यवस्थाओं तथा भारत, ब्राज़ील जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अपने श्रम बाज़ार की कार्यप्रणाली एवं मानव संसाधन आधार में सुधार लाना चाहिये।
  • अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने, वर्तमान और भविष्य के कार्यबल के कौशल आधार को बढाने, नए बुनियादी ढाँचे का विकास करने तथा नई तकनीकों को एकीकृत करने हेतु देशों को राजकोषीय नीति एवं सार्वजनिक प्रोत्साहन जैसे उपायों पर ज़ोर देना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


भूगोल

हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र

प्रीलिम्स के लिये महत्त्वपूर्ण तथ्य:

भारत मौसम विभाग, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र, तीसरा ध्रुव, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज

मुख्य परीक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण:

जलवायु परिवर्तन का हिमालय क्षेत्र पर प्रभाव, जलवायु परिवर्तन पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज का विश्लेषण

चर्चा में क्यों?

भारत मौसम विभाग (India Meteorological Department- IMD) ने हिंदू-कुश पर्वतों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन करने, डेटा एकत्र करने तथा देशों को जलवायु पूर्वानुमान सेवाएँ प्रदान करने के लिये चीन और पाकिस्तान की मौसम संबंधी एजेंसियों के साथ सहयोग करने का निर्णय लिया है।

कदम उठाने के कारण:

  • हाल ही में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) की रिपोर्ट ने हिंदू-कुश पर्वतीय क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों की ओर ध्यानाकर्षित किया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक वर्षा के कारण सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों के पहाड़ी और निचले इलाकों में बाढ़ की तीव्रता एवं आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है।

प्रमुख बिंदु:

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (The World Meteorological Organisation- WMO) ने इस्लामाबाद, दिल्ली और बीजिंग में क्षेत्रीय जलवायु केंद्रों की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।
  • क्षेत्रीय जलवायु केंद्र विभिन्न देशों को मौसम संबंधी पूर्वानुमान की जानकारी देने के साथ डेटा एकत्र करने, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, अनुसंधान और विकास सेवाएँ प्रदान करेंगे।
  • इसके माध्यम से ऐसी प्रणाली विकसित करने की योजना है, जिसके तहत विभिन्न देश डेटा साझा कर सकते हैं तथा पूर्वानुमान और भविष्यवाणियों में सुधार किया जा सकता है।

WMO

हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र

(Hindu-kush Himalayan Region- HKH)

  • हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र को तीसरा ध्रुव (Third Pole) माना जाता है तथा यह जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से अत्यंत सुभेद्य है। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ डेटा एकत्र करना कठिन है।
  • हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, किर्गिज़स्तान, मंगोलिया, म्याँमार, नेपाल, पाकिस्तान, ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान तक फैला है।
  • यह लगभग 5 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक फैला है तथा यहाँ सांस्कृतिक रूप से संपन्न एक बड़ी आबादी निवास करती है।
  • तीसरा ध्रुव, जो विशाल क्रायोस्फेरिक क्षेत्र (Cryospheric Zones) से घिरा हुआ है; यहाँ बर्फ का सर्वाधिक भंडार पाया जाता है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन

(World Meteorological Organisation)

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे 23 मार्च, 1950 को मौसम विज्ञान संगठन अभिसमय के अनुमोदन द्वारा स्थापित किया गया है।
  • यह पृथ्वी के वायुमंडल की परिस्थिति और व्यवहार, महासागरों के साथ इसके संबंध, मौसम और परिणामस्वरूप उपलब्ध जल संसाधनों के वितरण के बारे में जानकारी देने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) की आधिकारिक संस्था है।
  • 191 सदस्यों वाले विश्व मौसम विज्ञान संगठन का मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम दिवस मनाया जाता है।

स्रोत: द हिन्दू


भारतीय राजनीति

मानवाधिकार पर राष्ट्रीय कार्य योजना

चर्चा में क्यों?

भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को सुधारने के लिये सरकार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा के तहत मानवाधिकार पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Human Rights-NAPHR) तैयार करने हेतु एक टास्क फोर्स का गठन करने जा रही है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस (12 अक्तूबर) पर NAPHR की घोषणा की जा सकती है।

पृष्ठभूमि

  • यह योजना 11 वर्षों से (2008 से) लंबित है, जबकि NHRC इसे तैयार करने के लिये सरकार से कई बार आग्रह कर चुका है।
  • योजना तैयार करने के संबंध में अगस्त 2019 में बैठक हुई थी जिसमें टास्क फोर्स के गठन का निर्णय लिया गया ।
  • टास्क फोर्स में केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) सहित सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य से संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और परवर्ती चरण में सिविल सोसाइटी के संगठनों से भी परामर्श किया जाएगा।
  • टास्क फोर्स अंतिम ड्राफ्ट तैयार करने से पहले अन्य देशों की योजनाओं की भी जाँच करेगी ।

सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा

(Universal Periodic Review-UPR)

  • UPR संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के तत्त्वावधान में एक राज्य-संचालित प्रक्रिया है जिसमें सदस्य राज्यों को यह बताना पड़ता है कि उन्होंने मानवाधिकार संरक्षण तथा अपने दायित्वों को पूरा करने के लिये क्या कार्रवाई की है।
  • UNHRC के अनुसार, UPR की अभिकल्पना हर देश के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये की गई है।
  • क्योंकि इस समीक्षा से सभी देशों में उनके क्रियान्वयन को सुधारने के प्रयासों और मानवाधिकारों के उल्लंघन का पता लगाया जा सकता है।
  • एक समीक्षा चक्र साढ़े चार साल तक चलता है, जिसके दौरान सदस्य राज्यों के रिकॉर्ड की समीक्षा की जाती है। पहला चक्र 2008 से 2011 तक चला, जबकि तीसरा चक्र 2017 से चल रहा है।
  • 2017 में संयुक्त राष्ट्र की तीसरी UPR में भारत ने मानवाधिकारों पर 250 सिफारिशों में से 152 को स्वीकार किया।
  • हालाँकि भारत ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम (AFSPA)और विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA ) संबंधी कुछ सिफारिशों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
  • UPR-1 और UPR-3 में संयुक्त राष्ट्र ने सिफारिश की है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा एवं आवास का अधिकार, सभी के लिये न्याय, महिलाओं और बच्चों की तस्करी के विरुद्ध उपाय जैसे मुद्दों को कवर करने हेतु भारत के पास NAPHR होना चाहिये।

मानवाधिकार (Human Rights)

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के अनुसार ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं।
  • मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।
  • कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हकदार होता है।

NAPHR के लाभ

  • न्याय के प्रशासन की सुदृढ़ता तथा मानवाधिकार संस्थानों को मज़बूत करने और विकास के साथ अधिकारों को संबद्ध करने के लिये NAPHR का निर्माण किया जा रहा है।
  • एक बार NAPHR के कार्यान्वित होने के बाद यह मानवाधिकार रिकॉर्ड के संदर्भ में भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं को कम करने और सामाजिक न्याय व्यवस्था को मज़बूत करने में सहायता करेगा ।

स्रोत : हिन्दुस्तान टाइम्स


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (09 October)

1. भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) को मिला पहला ग्रीन कम्बीनेशन

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत दाखिल प्रथम ग्रीन चैनल कम्बीनेशन प्राप्त किया।
  • यह भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग नियमन, 2011 (कम्बीनेशन नियमन) 3 अक्तूबर, 2019 के नियम-5 और 5-ए (कम्बीनेशन से संबंधित कारोबारी लेन-देन से जुड़ी प्रक्रिया) में उल्लिखित है।
    • यह अधिसूचना एस्सेल म्यूचुअल फंड और (एस्सेल MF) के अधिग्रहण से संबंधित है।
    • यह म्यूचुअल फंड सेबी (म्यूचुअल फंड) नियमन, 1996 (MF नियमन) के तहत पंजीकृत है, जो सचिन बंसल ग्रुप नामक कंपनी का हिस्सा है।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग

(Competition Commission of India-CCI)

  • किसी भी अर्थव्यवस्था में ‘बेहतर प्रतिस्पर्द्धा’ का अर्थ है- आम आदमी तक किसी भी गुणात्मक वस्तु या सेवा की बेहतर कीमत पर उपलब्धता को सुनिश्चित करना।
  • ‘प्रतिस्पर्द्धा’ के इसी वृहद् अर्थ को आत्मसात करते हुए वर्ष 2002 में संसद द्वारा ‘प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002’ (The Competition Act, 2002) पारित किया गया, जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्तूबर, 2003 को भारतीय स्पर्द्धा आयोग का गठन किया गया।
  • ‘प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002’ को वर्ष 2007 में संशोधित कर नए नियमों के साथ अपडेट किया गया।
  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, इस आयोग में एक अध्यक्ष एवं 6 सदस्य होते हैं, सभी सदस्यों को सरकार द्वारा ‘नियुक्त’ (appoint) किया जाता है।

इस आयोग के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • प्रतिस्पर्द्धा को दुष्प्रभावित करने वाले चलन (Practices) को समाप्त करना एवं टिकाऊ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
  • उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना।
  • भारतीय बाज़ार में ‘व्यापार की स्वतंत्रता’ को सुनिश्चित करना।
  • किसी प्राधिकरण द्वारा संदर्भित मुद्दों पर प्रतियोगिता से संबंधित राय प्रदान करना।
  • जन जागरूकता का प्रसार करना।
  • प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित मामलों में प्रशिक्षण प्रदान करना।

2. विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day)


प्रत्येक वर्ष अक्तूबर माह के प्रथम सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर वर्ष 1986 में संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार नैरोबी (केन्या) में इसका आयोजन किया था।

  • इस दिवस के तहत टिकाऊ शहरी दुनिया के लिये संयुक्त दृष्टिकोण को रेखांकित करना, संभावनाओं को बढ़ावा देना, भेदभाव और असमानताओं को कम करना तथा अमीर-गरीब दोनों के लिये आवास सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक प्रयास किये जाते हैं।
  • इस वर्ष विश्व पर्यावास दिवस की थीम है ‘फ्रंटियर टेक्नोलॉजी: कचरे को धन में बदलने का एक अभिनव साधन’ (Frontier Technology: An Innovative Tool to Want to Transform Waste to Wealth)
  • इस वर्ष 7 अक्तूबर को मैक्सिको सिटी में मेक्सिको सरकार ने विश्व पर्यावास दिवस 2019 कार्यक्रम की मेज़बानी की।

प्रमुख उद्देश्य

  • शहरों एवं कस्बों की स्थिति का पता करना तथा आश्रय हेतु पर्याप्त मानव अधिकार की आवश्यकता की पूर्ति सुनिश्चित करना।
  • भविष्य की पीढ़ियों के आश्रय हेतु संयुक्त रूप से किए जाने वाले प्रयासों को जोड़ना।

वैश्विक पर्यावास दिवस की प्रमुख घोषणाएँ

(Major Announcements of Global Housing Day)

1. दुनियाभर में बेहतर पर्यावास की आवश्यकता पर ध्यान देना और आवश्यक सहयोग करना।
2. हर जगह किफायती और पर्याप्त पर्यावास की प्राथमिकता साझा करना।
3. राज्यों और कस्बों को प्रतिबिंबित करने और पर्याप्त आश्रय के लिये बुनियादी मानव अधिकारों पर ध्यान देना।
4. भावी पीढ़ी के आवास के लिये संयुक्त जिम्मेदारी के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना।


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