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गर्भावस्था में ध्यान रखने योग्य बातें

12 Jun, 2024

गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी, एक स्त्री के जीवन का एक अनूठा एवं कभी न भूलने वाला दौर होता है। इसके साथ ही मां बनने के पहले प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान कुछ विशेष...

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भारतीय लोकतंत्र में अवसर की लागत

13 Jun, 2024

जीवन में कोई भी मूर्त या अमूर्त चीज तभी मिलती है, जब उसकी कीमत चुका दी गई हो। ये यूं ही कही गई बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक आर्थिक सिद्धांत है, अवसर की लागत का सिद्धांत। अवसर...

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गैर सरकारी संगठन: सरकार और सहभागिता

13 Jun, 2024

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सरकार और जनता के बीच एक कड़ी है जिसमें दोनों की सहभागिता के बड़े मायने है। आधुनिक NGO के स्वरूप में आने से पहले भी साम्राज्यों में जत्थे या संगठन जनता की...

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मतदान

12 Jun, 2024

लोकतान्त्रिक देशों में मत देने का अधिकार सभी को प्राप्त है। चुनाव किसी भी लोकतांत्रिक समाज की आधारशिला हैं। वे नागरिकों को अपने नेताओं को चुनने और कार्यालय में उनके...

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सतत विकास लक्ष्य और शहरीकरण

12 Jun, 2024

इंदौर का रहने वाला मानस बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है और टू बीएचके के फ्लैट में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता है। आज मानस ऑफिस से देर से घर पहुँचा है।...

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विलय के लिए रियासतों को एक कर पाने की टेढ़ी खीर कहानी

30 May, 2024

वर्ष 1946 के अक्टूबर महीने तक तय हो चुका था कि भारत को आजादी दे दी जाएगी। जब 24 मार्च 1947 को लार्ड माउंटबेटन को सत्ता हस्तांतरण के लिए नया वायसराय बनाकर भारत भेजा गया तो उन्होंने...

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वैक्सीन: क्या, क्यों और कैसे?

14 May, 2024

हम में से अधिकांश के लिये चिकित्सालय के भीतर की पहली स्मृति उस समय की होती है, जब हमें बालपन में किसी गंभीर बीमारी से बचने के लिये टीका (Vaccine) लगवाने ले जाया जाता था। यदि यह टीका...

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महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति - 2016

06 May, 2024

कोई भी समाज अपने स्वरूप में विविधता लिए हुए होता है। समाज के वैविध्य से ही सामाजिक व्यवहार भी तय होता है। इन्हीं सामाजिक व्यवहारों व प्रतिक्रियाओं से फिर राजनीतिक व...

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सिसक रही धरती

06 May, 2024

दुनियाभर में लोग अब ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले खतरों को पहचानने लगे हैं। इसकी बानगी हाल में आए स्विट्जरलैंड बनाम क्लिमासेनियोरिनन श्वेइज केस में यूरोप की शीर्ष...

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बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ: अनसुनी ख़तरे की घंटी

03 May, 2024

“अशक्यं प्रकृते: ऋते जीवनम्” अर्थात्– प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। मानव हमेशा से ही अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति पर निर्भर रहा है। चाहे...


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