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  • 14 Jun 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    डिज़ाइनर बेबी पद से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ और संबंधित चिंताओं के विषय में संक्षेप में विवरण दें।

    उत्तर

    प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण

    • डिज़ाइनर बेबी को परिभाषित करें, थ्री पेरेंट बेबी के संदर्भ में इसे संक्षेप में स्पष्ट करें।
    • डिज़ाइनर बेबी के गुणों/खूबियों पर चर्चा करें।
    • डिज़ाइनर बेबी के अवगुणों पर चर्चा करें।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    • डिज़ाइनर बेबी  इन विट्रो में आनुवंशिक इंजीनियरिंग द्वारा प्राप्त विशेष चयनित लक्षणों से युक्त  बेबी है ये विशेष चयनित लक्षण लिंग चयन से लेकर उच्च रोग प्रतिरोधकता तक हो सकतें है।
    • थ्री पैरेंट बेबी  जेनेटिक इंजीनियरिंग का एक उदाहरण है इस तकनीक में माँ के अंडाणु के नाभिकीय जीनोम को दानकर्ता महिला के माइटोकॉन्ड्रिया वाले अंडाणु के ज़ीनोम से बदल कर एवं अंडाणु का निषेचन कर उसे माँ के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस प्रकार इस शिशु के 3 पेरेंट्स होते है।

    डिज़ाइनर बेबी के सकारात्मक पक्ष:

    • इसकी सहायता से आनुवंशिक बिमारिओं जैसे -थालिसिमिया, वर्नान्धता आदि को समाप्त किया जा सकेगा।
    • यह तकनीक कैंसर व एच.आई.वी. के उन्मूलन में सहायक होगी।
    • इससे जीवन प्रत्याशा में सुधार होगा।
    • यह तकनीक माता पिता को भविष्य में मनपसंद बेबी का चुनाव करने की सुविधा प्रदान करेगी है।
    • भविष्य में इस दिशा में सुधार से मानव प्रजाति के हित में चिकित्सा सुविधाओ के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
    • बायोटेक्नोलॉजी व चिकित्सा विज्ञान में नवोन्मेष तथा अनुसंधान में सहायता मिलेगी।

    डिज़ाइनर बेबी से संबंधित चिंताएँ:

    • जीन पूल के विनष्टीकरण की संभावना  उत्पन्न हो सकती है।
    • आनुवंशिक  विविधता के हास की  संभावना।
    • प्रकृति के विरुद्ध होने के कारण इश्वरीय इच्छा का अनादर होगा ।
    • भविष्य में डिज़ाइनर बेबी तथा नॉन-डिज़ाइनर प्रजाति में भेदभाव व अलगाव की संभावना ।
    • लिंग निर्धारण का विकल्प उपलब्ध  होने के कारण समाज में लिंग अनुपात में असमानता की  संभावना।

    आगे की राह :

    • भविष्य में इस तकनीक के प्रयोग से पूर्व वैज्ञानिक प्रोटोकॉल व नैतिक नियमों पर ग्लोबल  स्वीकार्यता पर सहमति आवश्यक है।
    • आनुवंशिक हस्तक्षेप केवल विशिष्ट परिस्थितियो तथा वैधानिक सीमा में ही स्वीकार्य होना चाहिये।
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