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  • 28 Jun 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    मध्ययुगीन भारत की ऐतिहासिक संरचनाएँ जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली संरचनाओं की पूरी श्रृंखला का प्रदर्शन करती हैं। चर्चा कीजिये।

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • मध्ययुगीन भारत की वास्तुकला का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

    • उस काल में निर्मित संरचनाओं की विविधता को सूचीबद्ध कीजिये।

    • सिद्ध कीजिये कि उस काल की संरचनाएँ किस प्रकार की जीवन-शैली को दर्शाती हैं।

    परिचय:

    • मध्ययुगीन वास्तुकला व संरचनाओं में तत्कालीन सामाजिक परंपराओं, आर्थिक समृद्धि, धार्मिक मान्यताआें तथा राजनैतिक प्रभुत्व और विचारधारा का समावेश है।
    • मध्य काल में भारतीय वास्तुकला में व्यापक परिवर्तन हुए। इस काल में वास्तुकला पर बाह्य प्रभाव प्रतिबिंबित होने लगे परंतु स्थानीय वास्तुकारों ने देशज/स्थानीय वास्तु परंपराओं के कुछ पहलुओं को बनाए रखा। इसे इंडो-इस्लामी वास्तुकला के रूप में जाना जाता है।
    • इस काल में शासकों ने धार्मिक स्थलों, सामरिक किलों, तालाबों, कुओं व सरायों आदि का निर्माण करवाया। इन ईमारतों के निर्माण में तत्कालीन आवश्यकताओं के साथ कारीगरों व शिल्पकारों को अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान किया जाता था।

    प्रमुख बिंदु

    • धार्मिक स्थल: इस काल में अनेक मस्जिदों, दरगाहों, मकबरों आदि का निर्माण किया गया। जो जनता की धार्मिक गतिविधियों के लिये आवश्यक थीं। इन धार्मिक स्थलों का निर्माण मुख्यत: सत्ता केंद्रों के निकट होता था जो शासकीय वर्ग की धार्मिक प्रतिबद्धताओं को दर्शाता है।
    • दिल्ली की जामा मस्जिद, कुतुबुल-इस्लाम मस्जिद, कुतुबमीनार आदि इसके उदाहरण हैं।
    • किलों का निर्माण: इस काल में शासकीय व राजनैतिक आवश्यकताओं के साथ-साथ सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी किलों का निर्माण किया गया। इनमें दिल्ली व आगरा का लाल किला शासकीय उद्देश्यों से व श्रीरंगपट्नम के किले को सामरिक उद्देश्य के तहत निर्मित किया गया।
    • बाग-बगीचों का निर्माण: प्रवाहित जलधारा की उपस्थिति इन बगीचों की मुख्य विशेषता है। निशात बाग (कश्मीर), शालीमार बाग (लाहौर) आदि इसके उदाहरण हैं।
    • विशाल मकबरों का निर्माण: आगरा का ताजमहल व दिल्ली में हूमायूँ का मकबरे के निर्माण शाही परिवारों के सदस्यों की मृत्यु के उपरांत किया गया।
    • विजय प्रतीक: मध्ययुगीन शासकों ने अनेक संरचनाओं का निर्माण विजय प्रतीक के रूप में करवाया। ‘बुलंद दरवाज़ा’ का निर्माण अकबर द्वारा गुजरात विजय के बाद करवाया गया।
    • तालाबों व जलनिकायों का निर्माण: तत्कालीन शासकों ने नगरों में जल आपूर्ति व ग्रामों में सिंचाई के लिये तालाबों व हौज का निर्माण करवाया। इन जलनिकायों को गुजरात में बाबड़ी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा दिल्ली में हौज खास, अग्रसेन की बाबली, गुजरात में ‘रानी की वाव’ आदि प्रमुख हैं।
    • मंदिर: मध्य काल में मंदिर, सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख केंद्र थे। मंदिरों में तालाब आदि का निर्माण करवाया जाता था जो श्रद्धालुओं के धार्मिक अनुष्ठानों के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता था। कर्नाटक का चन्नकेशव मंदिर इस काल में निर्मित प्रमुख मंदिर है।

    निष्कर्ष:

    मध्ययुगीन संरचनाओं में तत्कालीन मानवीय आवश्यकताओं, शासकीय व राजनैतिक विचारों के साथ सामाजिक व रचनात्मकता भी परिलक्षित होती है।

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