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ड्रग टेरेरिज़्मः वैश्विक सुरक्षा के समक्ष उभरता नया ख़तरा

  • 02 Jan 2019
  • 7 min read

ड्रग व आतंकवाद किस प्रकार अंतर्संबंधित हैं?

  • आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों को सक्रिय रखने के लिये मूल रूप से तीन चीजों पर निर्भर होते हैं- आदमी, हथियार और धन।
  • आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिये बड़ी मात्रा में धन की आपूर्ति सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इतनी बड़ी मात्रा में धन की प्राप्ति के लिये आतंकवादी संगठन मुख्य रूप से वसूलियों और कुछ अवैध कारोबारों पर निर्भर होते हैं।
  • अवैध कारोबार की दुनिया में मादक पदार्थों की तस्करी सर्वाधिक मुनाफा कमाने वाले कारोबारों में से एक है। इसलिये आतंकवादी, ड्रग तस्करों से गठजोड़ बनाकर चलते हैं।

इस गठजोड़ के अन्य पहलू

  • ड्रग तस्करी सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ करने, सरकारी अधिकारियों से साँठ-गाँठ करने, आतंकवादियों के रहने व छिपने के स्थानों को उपलब्ध कराने, हथियार खरीदने और नए आतंकियों की भर्ती का भी महत्त्वपूर्ण माध्यम है। गरीब, अशिक्षित और बेरोज़गार युवा आतंकवादी संगठनों के निशाने पर सबसे पहले आते हैं। आर्थिक प्रलोभन उनके लिये उत्प्रेरक का कार्य करता है।
  • आतंकी नेटवर्क के प्रचार और नए आतंकियों की भर्ती में धन के अतिरिक्त ड्रग्स का इस्तेमाल भी बड़े स्तर पर किया जाता है। ड्रग का नशा देकर व्यक्ति का माइंडवाश करके किसी के भी खि़लाफ नफरत पैदा की जा सकती है। ऐसे देश व संगठन जो वैश्विक शांति को भंग करना चाहते हैं, वे ड्रग तस्करी और आतंकवाद दोनों को फलने-फूलने का मौका व संरक्षण प्रदान करते हैं।

ड्रग का बाज़ार

  • कुछ देशों की तो अर्थव्यवस्था ही ड्रग्स व्यापार पर टिकी हुई है, जैसे अफगानिस्तान, विशेषकर इसका दक्षिणी प्रांत जो अफीम उत्पादन में अग्रणी है। तालिबान यहाँ सबसे मज़बूत स्थिति में है।
  • नशीले पदार्थों के मामले में तालिबान अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की निगरानी करता है। जब कीमतों में गिरावट आती है, तो तालिबान इसकी आपूर्ति रोककर कीमतों में वृद्धि भी करता है।
  • अफगानिस्तान में उत्पादित अफीम को हेरोइन में बदलकर विश्व बाज़ार में पहुँचाने का कार्य पाकिस्तान करता है। इसके लिये भारतीय राज्य पंजाब का ट्रांजिट रूट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का बलूचिस्तान एवं खैबर पख्तूनख्वा महत्त्वपूर्ण ड्रग्स रूट हैं। इसी तरह एक मार्ग कराची होते हुए खाड़ी देशों के लिये जाता है।
  • अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान (तीनों देशों के अफीम के कारोबार वाले क्षेत्र गोल्डेन क्रेसेंट के नाम से जाने जाते हैं) की सीमाओं से होकर बड़ी मात्रा में अफीम और हेरोइन को बाल्कन देशों के रास्ते यूरोप और अमेरिका तक पहुँचाया जाता है।
  • एशिया में हेरोइन उत्पादन का दूसरा प्रमुख क्षेत्र थाईलैंड, लाओस और म्याँमार का अफीम उत्पादक क्षेत्र है जो ‘गोल्डेन ट्राएंगल’ नाम से जाना जाता है।
  • दक्षिण अमेरिका का कोलंबिया क्षेत्र कोकीन का बड़ी मात्रा में उत्पादन करता है। यहाँ से इसे मेक्सिको, अमेरिका, कनाडा और यूरोप में सप्लाई किया जाता है। कोलंबिया के कुख्यात आतंकवादी संगठन ‘फार्क’ (The Revolutionary armed forces of colombia-FARC) का वित्तीयन मूल रूप से ड्रग तस्करी पर ही निर्भर है।
  • चीन का यून्नान प्रांत भी बड़े पैमाने पर ड्रग्स का उत्पादन करता है, जिसे हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के रास्ते अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार तक पहुँचाया जाता है। लेबनान की ‘बेका घाटी’ में भी भांग (Cannabis) तथा अफीम का उत्पादन होता है।

भारत में हुए आतंकी हमलों के तार ड्रग तस्करों से जुड़े होने की आशंका

  • गुरदासपुर एवं पठानकोट हमलों में ड्रग्स तस्करों की संलिप्तता, एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (NDDTC) के पंजाब को ड्रग्स का अड्डा बताने वाले आँकड़े, खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स और ऐसे ही कई अन्य घटनाक्रम ड्रग्स तस्करी और आतंकवाद के बढ़ते संबंध की ओर संकेत करते हैं।
  • चूँकि तस्करी को संरक्षण देने मात्रा से स्थानीय नेताओं और सरकारी अधिकारियों को भी बड़ी मात्रा में अवैध धन की प्राप्ति होती है इसलिये वे लालच के वशीभूत होकर या इसे एक सामान्य अपराध समझकर नज़रअंदाज़ करते रहते हैं जो कि आंतरिक सुरक्षा के लिये एक गंभीर ख़तरा है।

यह संपूर्ण विश्व की समस्या है


आतंकी संगठनों को मज़बूती प्रदान करने में ड्रग्स तस्करी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। तमाम संधियों एवं समझौतों के माध्यम से विभिन्न देश इस पर लगाम कसने के लिये प्रयासरत हैं। इन प्रयासों में पेरिस पैक्ट, 2003 की भूमिका सर्वाधिक उल्लेखनीय है। वर्तमान में 58 देश एवं 23 संस्थाएँ जिनमें ‘यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम’ भी शामिल है, पेरिस पैक्ट के सदस्य हैं।

निष्कर्ष


आने वाले दिनों में ड्रग्स तस्करी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बड़ा ख़तरा बनकर उभर सकती है। ऐसे में ज़रूरी है कि आतंकवाद और ड्रग्स तस्करी को अलग-अलग करके देखने की बजाय इन पर सख्ती से नियंत्रण करने के प्रयास किये जाएँ ताकि समय रहते इस समस्या से निपटा जा सके।

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