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पी.सी.एस.


झारखंड

जे.पी.एस.सी. FAQs

  • 01 Aug 2021
  • 18 min read
प्रश्न - 1 : जे.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?

उत्तर : इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप ‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें हल करते हुए बढ़ें। किन्तु  अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
यदि आपकी झारखंड राज्य के सन्दर्भ में पकड़ अच्छी है तो प्रथम प्रश्नपत्र में इससे सम्बंधित पूछे जाने वाले 10 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये, क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होगी। ये 10 प्रश्न हल करने के बाद आपकी स्थिति काफी मजबूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेज़ी से वे प्रश्न हल करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें। 
झारखंड के सामान्य ज्ञान के प्रश्नपत्र में भी यही प्रक्रिया अपनायी जा सकती है। अर्थात उन प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये जिसमें समय कम लगता हो और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होती हो।      
एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में प्रश्नपत्र में पूछे गए शीर्षकों को बदलते हुए कुछ सवाल हल कर लें उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। चूँकि इस परीक्षा में किसी भी प्रकार की नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं है इसलिये किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।

प्रश्न - 2 : जे.पी.एस.सी. की परीक्षा में समय प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है। उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?

उत्तर : पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक टैस्ट श्रृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज़्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न - 3 : कट-ऑफ' क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वे न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुआ है। जे.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था लागू होने के कारण विभिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिये यह कट-ऑफ भिन्न-भिन्न होता है । 
प्रारंभिक परीक्षा में ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ एवं द्वितीय प्रश्नपत्र ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर किया जाता है। 
‘कट-ऑफ’ की प्रकृति स्थिर नहीं है, इसमें हर साल उतार चढ़ाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों के आधार पर होता है। 
सफल उम्मीदवारों में से जिसके भी न्यूनतम अंक होंगे, उसके प्राप्तांक को ही ‘कट-ऑफ’ कहा जाएगा। स्वाभाविक सी बात है कि अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे, या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा।

प्रश्न - 4 : ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ (क्वालिफाइंग मार्क्स) क्या है? जे.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ का अर्थ है- वे न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त किये बिना कोई भी उम्मीदवार परीक्षा में सफल नहीं हो सकता है। जे.पी.एस.सी. की इस प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 40%, पिछड़ा वर्ग-1 के अभ्यर्थियों के  लिये न्यूनतम 34%, पिछड़ा वर्ग-2 के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 36.5% एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिला अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 32%, अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
मुख्य परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र (सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी) में सभी कोटि के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 30 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के लिये ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण किया जाता है। कट-ऑफ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल।

प्रश्न - 5 : जे.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में ‘झारखंड राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : जे.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र पूछे जाते हैं। प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ में 'झारखंड राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में 10 प्रश्न तथा द्वितीय प्रश्नपत्र ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ में सभी 100 प्रश्न (200 अंक) 'झारखंड राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में पूछे जाते हैं। जे.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में कुल 400 अंकों में से 220 अंकों के प्रश्न केवल झारखंड राज्य के सन्दर्भ में पूछा जाना इस विषय की महत्ता को स्वयं ही स्पष्ट करता है।
'झारखंड राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में मुख्यतः झारखंड का इतिहास, आन्दोलन, विशिष्ट पहचान, साहित्य, नृत्य, संस्कृति, स्थल, शिक्षण-संस्थान, खेलकूद, कानून, नियम, प्रबंधन इत्यादि शीर्षकों के अंतर्गत प्रश्न पूछे जाते हैं।
‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ एवं झारखंड राज्य विशेष के लिये झारखंड प्रकाशन विभाग की पुस्तक एवं एक अन्य मानक राज्य स्तरीय पुस्तक के साथ प्रतिदिन अख़बार में प्रदेश से सम्बंधित घटनाओं, योजनाओं, नियुक्तियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी क्रमवार ढंग से नोट करना उपयोगी रहेगा।

प्रश्न - 6 : क्या सभी प्रश्नों के उत्तर को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या साथ-साथ भरते रहना चाहिये?

उत्तर : बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें ओ.एम.आर. शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज़्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते। 
ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें।

प्रश्न - 7 : क्या ‘मॉक टैस्ट’ देने से जे.पी.एस.सी. की इस प्रारम्भिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या ?

उत्तर : प्रारम्भिक परीक्षाओं के लिये मॉक टेस्ट देना अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। मॉक टेस्ट देने से जहाँ समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है वहीं आप परीक्षा के दौरान उत्पन्न होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं। इससे अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं। इससे आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है? ध्यान रहे कि ये लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट शृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है।

प्रश्न - 8 : मैं हिंदी व्याकरण में शुरू से ही अपने को असहज महसूस करता हूँ, क्या मैं जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। जेपीएससी की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य हिंदी’ के संबंध में कुल 50 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गयी उत्तर पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से निबंध (15 अंक), व्याकरण (15 अंक), वाक्य विन्यास (10 अंक) एवं संक्षेपण (10 अंक) शामिल हैं। सच यह है कि हिंदी व्याकरण के यह प्रश्न काफी आसान होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके औसत अंक प्राप्त कर सकता है। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध हिंदी व्याकरण की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 9 : मैं अंग्रेज़ी में शुरू से ही कमजोर हूँ, क्या मै जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य अंग्रेज़ी’ के संबंध में कुल 50 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से निबंध (15 अंक), व्याकरण (15 अंक), कॉम्प्रिहेंशन(10 अंक) एवं प्रेसीस राइटिंग (10 अंक) शामिल हैं। सच यह है कि अंग्रेज़ी व्याकरण के यह प्रश्न काफी आसान होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके औसत अंक प्राप्त कर सकता है। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध अंग्रेज़ी व्याकरण की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 10 : जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में निबंध की क्या भूमिका है? इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिये?

उत्तर : जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है। इसके पाठ्यक्रम में 15 अंकों का हिंदी निबंध एवं 15 अंकों का अंग्रेजी निबंध शामिल किया गया है।
निबंध लेखन के माध्यम से किसी व्यक्ति की मौलिकता एवं व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, वास्तव में निबंध लेखन एक कला है,  जिसका विकास एक कुशल मार्गदर्शन में सतत अभ्यास से किया जा सकता हैं। पूर्व में हिंदी निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नही होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी थी। लेकिन हाल ही में दृष्टि पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित ‘निबंध-दृष्टि’ पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दिया है। इस पुस्तक में लिखे गए प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय हैं। इसी प्रकार अंग्रेजी निबंध के लिये बाज़ार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

निबंध लेखन की रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें।

प्रश्न - 11 : जे.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस मुख्य परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिये?

उत्तर : इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये  ‘जे.पी.एस.सी. रणनीति (strategy)’ के अंतर्गत ‘मुख्य परीक्षा की रणनीति’ शीर्षक का अवलोकन करें।

मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये इस  Link पर क्लिक करें।

प्रश्न - 12 : जे.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में साक्षात्कार की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : जे.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किया गया है। चूँकि मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है, इसलिये इस परीक्षा में अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। जे.पी.एस.सी. के साक्षात्कार में आप सामान्य परिस्थितियों में आसानी से 40-70 अंक प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।

साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें।

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