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झारखंड

विश्व रेबीज़ दिवस

  • 29 Sep 2025
  • 14 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व रेबीज़ दिवस के अवसर पर, झारखंड के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुत्तों के काटने के मामलों में तीव्र वृद्धि पर प्रकाश डाला, जिससे रेबीज़ के बढ़ते खतरे को लेकर जनता में चिंता उत्पन्न हुई। 

  • एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के आँकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 तक 30,000 से अधिक कुत्तों के काटने के मामले दर्ज किये गए, जिनसे लगभग 1.5 लाख लोग प्रभावित हुए और वर्ष 2021 से अब तक चार लोगों की रेबीज़ से मृत्यु हुई।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व रेबीज़ दिवस (WRD): 
    • परिचय: वर्ष 2007 से हर साल 28 सितंबर को मनाया जाने वाला यह दिवस लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्होंने पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था। 
      • वे एक फ्राँसीसी रसायनज्ञ, फार्मासिस्ट और सूक्ष्मजीवविज्ञानी थे, जो टीकाकरण, सूक्ष्मजीव किण्वन और पाश्चुरीकरण के सिद्धांतों की खोज के लिये प्रसिद्ध थे। 
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2030 तक कुत्तों से फैलने वाले रेबीज़ को समाप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। 
    • थीम: WRD 2025 की थीम “एक्ट नाउ: यू, मी, कम्युनिटी (Act now: You, Me, Community)” है।
      • अपने 19-वर्षीय इतिहास में पहली बार, WRD की थीम में "रेबीज़" शब्द शामिल नहीं है, जो इस आंदोलन की मज़बूती और व्यापक स्वीकृति को दर्शाता है। 
  • रेबीज़: 
    • यह एक वायरल, टीके द्वारा रोकी जा सकने वाला ज़ूनोटिक रोग है। 
    • यह राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है, जो पागल जानवर (कुत्ता, बिल्ली, बंदर आदि) के लार में मौजूद होता है। 
    • एक बार नैदानिक लक्षण दिखाई देने पर, रेबीज़ लगभग 100% घातक होता है। हृदय-श्वसन विफलता के कारण मृत्यु आमतौर पर चार दिनों से दो सप्ताह के भीतर हो जाती है। 
    • रेबीज़ के प्रारंभिक लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और कुछ दिनों तक रह सकते हैं।
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