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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में विकसित किस्मों का दूसरे राज्यों को भी मिलेगा लाभ

  • 02 Jun 2022
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

1 जून, 2022 को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित गेहूँ, सरसों व जई की उन्नत किस्मों का लाभ अन्य राज्यों को भी प्रदान करने के लिये विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यावसायीकरण को बढ़ावा देते हुए गुरुग्राम की निजी क्षेत्र की प्रमुख बीज कंपनी मैसर्स देव एग्रीटेक प्रा.लि. से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विश्वविद्यालय द्वारा गेहूँ की डब्ल्यूएच 1270, सरसों की आरएच 725 व जई की ओएस 405 किस्मों को विकसित किया गया है।
  • फसलों की उपरोक्त उन्नत किस्मों के लिये विश्वविद्यालय की ओर से गुरुग्राम की मैसर्स देव एग्रीटेक प्रा.लि. को तीन वर्ष के लिये गैर-एकाधिकार लाइसेंस प्रदान किया गया है, जिसके तहत यह बीज कंपनी गेहूँ, सरसों व जई की उपरोक्त किस्मों का बीज उत्पादन व विपणन कर सकेगी।
  • सरसों की आरएच 725 किस्म की फलियाँ अन्य किस्मों की तुलना में लंबी व उनमें दानों की संख्या भी अधिक होती है और तेल की मात्रा भी ज़्यादा होती है।
  • गेहूँ की डब्ल्यूएच 1270 किस्म को गत वर्ष देश के उत्तर-दक्षिण ज़ोन में खेती के लिये अनुमोदित किया गया है। इस किस्म की औसत पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि उत्पादन क्षमता 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12 प्रतिशत है।
  • जई की ओएस 405 किस्म देश के सेंट्रल ज़ोन के लिये उपयुक्त किस्म है। इसकी हरे चारे की पैदावार 51.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि दानों का उत्पादन 16.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
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