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State PCS Current Affairs


उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023

  • 15 Mar 2023
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

14 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार शहरों में लोगों की आवासीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये कई नियमों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 का प्रस्तुतीकरण किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • विदित है कि प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप नीति समाप्त हो चुकी है। इंटीग्रेटेड नीति में 500 एकड़ और हाईटेक में 1500 एकड़ की अनिवार्यता थी।
  • प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 में दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 5 एकड़ ज़मीन और अन्य शहरों में 25 एकड़ ज़मीन पर कालोनियाँ बसाने की अनुमति दी जाएगी। कालोनियों तक जाने के लिये 24 मीटर और अंदर 12 मीटर सड़क की अनिवार्यता होगी।
  • इस नीति के अंतर्गत ग्राम समाज, सीलिंग या फिर अन्य विभागों की ज़मीन लेकर दूसरे स्थान पर छोड़ने की सुविधा मिलेगी। 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की परियोजनाएँ कृषि भूमि और 50 एकड़ तक मास्टर प्लान में आवासीय भूउपयोग पर कालोनी बसाने का लाइसेंस मिलेगा।
  • ग्राम समाज व अन्य शासकीय भूमि को 60 दिनों में नियमित किया जाएगा। राजस्व संहिता के प्रावधानों के अधीन 5 एकड़ से अधिक भूमि लेने की छूट होगी।
  • 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 50 एकड़ में बहुउद्देशीय स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बनाया जाएगा। शहरों में स्पोर्ट्स सिटी, फिल्म सिटी, आईटी सिटी, मेडिसिटी, एजुकेशनल हब बनेगा। सभी प्रमुख भवनों की डिजाइन को उच्च्च कोटि का रखा जाएगा तथा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को शहर के विकास से जोड़ा जाएगा।
  • निजी क्षेत्रों में बसने वाली टाउनशिप में सेक्टर विशेष यानी पार्टवार कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था होगी, जिसके पास सेक्टर का प्रमाण पत्र होगा उसका नक्शा ही पास किया जाएगा। अगर कंपलीशन प्रमाण पत्र नहीं है तो नक्शा पास नहीं किया जाएगा। इसका मकसद अवैध निर्माण पर रोक लगाना है।
  • निजी क्षेत्र में टाउनशिप बसाने का लाइसेंस लेने के लिये टर्नओवर का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। प्रत्येक एक एकड़ के लिये 75 लाख रुपए टर्नओवर होना चाहिये। पहले यह 50 लाख रुपए था।
  • टाउनशिप का लीड सदस्य भी अब विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद स्तर पर नहीं बदला जाएगा। इसके लिये प्रमुख सचिव आवास की अध्यक्षता में कमेटी होगी। लाइसेंस शुल्क भी अब प्रति एकड़ 50 हजार से दो लाख रुपए और जीएसटी देना होगा। पहले यह डेढ़ लाख रुपए ही हुआ करता था। लाइसेंस क्षेत्रफल की सीमा में अधिकतम 20 प्रतिशत परिवर्तन अनुमन्य होगा।
  • आवंटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना के कुल क्षेत्रफल की 75 फीसदी भूमि होने पर अनुबंध किया जाएगा। पहले यह 60 फीसदी ही था। अपरिहार्य परिस्थितियों में रोड नेटवर्क की 20 फीसदी ज़मीन को अर्जन करने की अनुमति दी जाएगी।
  • नई नीति की प्रमुख बातें-
    • एससी/एसटी की ज़मीन लेने पर डीएम की अनुमति ज़रूरी नहीं।
    • चंडीगढ़ की तर्ज पर क्षैतिज विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • पैदल चलने वालों के लिये पर्याप्त फुटपाथ यानी पटरी होगी।
    • उबड़-खाबड़ या अनुपयोगी भूमि को ग्रीन बेल्ट बनाया जाएगा।
    • पार्कों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व पुलिस स्टेशन के पास पार्क़िग सुविधा।
    • पार्कों व हरित पट्टियों में बागवानी के लिये ट्रीटेड जल का उपयोग।
    • सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल के संबंध में नेट जीरो वेस्ट का पालन ज़रूरी।
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