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जल्द उठेगा जागेश्वर और बद्रीनाथ के शिलालेखों के रहस्य से पर्दा

  • 22 Aug 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

20 अगस्त, 2023 को उत्तराखंड के देहरादून मंडल के सहायक अधीक्षण पुरातत्त्वविद् केबी शर्मा ने बताया कि अल्मोड़ा के विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम और चमोली स्थित बद्रीनाथ के प्राचीन शिलालेखों के रहस्य से जल्द पर्दा उठेगा। इसके लिये भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एपिग्राफी शाखा लखनऊ को पत्र भेज दिया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • जागेश्वर धाम स्थित महामृत्युंजय समेत कुछ अन्य मंदिरों की दीवारों में प्राचीन लिपि उत्कीर्ण है। महामृत्युंजय मंदिर के दो विशालकाय शिलालेख अब पुरातात्त्विक संग्रहालय में संरक्षित हैं। इन शिलालेखों में उत्कीर्ण लिपि का अब तक अनुवाद नही हो सका है। बद्रीनाथ धाम में भी शिलालेख में उत्कीर्ण प्राचीन लिपि लोगों के लिये रहस्य बनी हुई है।  
  • इसी को देखते हुए बीते दिनों एएसआई के अधिकारी केबी शर्मा ने एपिग्राफी शाखा को पत्र भेजकर जागेश्वर और बद्रीनाथ धाम स्थित प्राचीन शिलालेखों में उत्कीर्ण लिपि का अनुवाद करने के लिये विशेषज्ञों की टीम भेजने का आग्रह किया है।  
  • रिसर्च प्रक्रिया पूरी होने के बाद एएसआई प्राचीन लिपि के हिन्दी और अंग्रेज़ी अनुवाद को लोगों के लिये डिस्प्ले करेगी। 
  • एएसआई के अधिकारियों के मुताबिक जागेश्वर धाम के मंदिरों की दीवारों पर उत्कीर्ण कुछ शिलालेखों का अनुवाद डॉ. डीसी सरकार कर चुके हैं। डॉ. डी.सी. सरकार की इंडिका बुक में यह अनुवाद पूर्व में प्रकाशित हो चुका है, लेकिन मुख्य शिलालेखों का अनुवाद अब तक नहीं हो पाया है। 
  • विदित है कि एएसआई ने जागेश्वर और बद्रीनाथ के शिलालेखों के अनुवाद की मांग को लेकर करीब दो साल पहले भी एक पत्र एपिग्राफी शाखा को भेजा था। व्यस्तता के कारण विशेषज्ञों की टीम यहाँ नहीँ पहुँच पाई थी, लेकिन अब जल्द उसके यहाँ पहुँचने की उम्मीद जगी है। 

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