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मध्य प्रदेश

भारत में दलहन उत्पादन की स्थिति

  • 19 Jan 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, अधिक क्षेत्रफल के कारण भारत वर्ष 2023-24 फसल वर्ष के दौरान मसूर (Lentil) का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक बनने के लिये तैयार है।

  • मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र मसूर का कटोरा माना जाता है जो देश के कुल मसूर उत्पादन में लगभग 25% का योगदान देता है।

मुख्य बिंदु:

  • अधिक क्षेत्रफल के कारण वर्ष 2023-24 रबी सीज़न में देश का मसूर उत्पादन 1.6 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • भारत विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (विश्व खपत का 27%) तथा आयातक (14%) है।
    • खाद्यान्न के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में दलहन की हिस्सेदारी लगभग 20% है तथा देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10% है।
    • चना सबसे प्रमुख दलहन है जिसकी कुल उत्पादन में हिस्सेदारी लगभग 40% है, इसके बाद तुअर/अरहर की हिस्सेदारी 15 से 20% तथा उड़द/ब्लैक मेटपे एवं मूंग दलहन की हिस्सेदारी लगभग 8-10% है।
    • हालाँकि दलहन का उत्पादन खरीफ तथा रबी दोनों सीज़न में किया जाता है, रबी सीज़न में उत्पादित दलहन का कुल उत्पादन में 60% से अधिक का योगदान है।
    • मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष पाँच दलहन उत्पादक राज्य हैं।
  • किसानों के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करने की नीति मुख्य रूप से राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India - NAFED) और हाल ही में लघु कृषि कृषक व्यापार संघ (Small Farmers Agri Consortium - SFAC) के माध्यम से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices - MSP) प्रदान करके दालों की खरीद पर केंद्रित है।

मसूर

  • परिचय:
    • मसूर ‘फली (Legume) परिवार’ का एक झाड़ीदार वार्षिक शाकाहारी पौधा है।
    • ये खाने योग्य फलियाँ हैं, जो अपने लेंस के आकार के, चपटे टुकड़ों वाले बीजों के लिये जानी जाती हैं।
    • मसूर के पौधे सामान्यतः छोटे होते हैं और उनमें स्व-परागण वाले फूल लगते हैं।
    • मसूर की दाल ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, फाइबर, फास्फोरस, लौह, जस्ता, कैरोटीन, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के उत्कृष्ट स्रोत हैं।
  • जलवायु संबंधी स्थिति:
    • मसूर मुख्यतः वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है।
    • इसकी वानस्पतिक वृद्धि के समय ठंडे तापमान और परिपक्वता के समय गर्म तापमान की आवश्यकता होती है।
    • मसूर की खेती रबी मौसम में की जाती है।
  • मृदा प्रकार:
    • मसूर की दलहन का उत्पादन विभिन्न प्रकार की मृदा में किया जा सकता है जिसमें रेत से लेकर चिकनी दुमट इत्यादि जैसी मृदाएँ शामिल हैं किंतु इसका सबसे अच्छा उत्पादन मध्यम उर्वरता वाली गहरी बलुई दुमट मृदा में होता है।
    • 7 pH मान के आसपास की मृदा इसके लिये सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बाढ़ अथवा जलभराव की स्थिति मसूर की फसल को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

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