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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में 25 दिसंबर से 26 जनवरी तक आयोजित होगा ‘संस्कृति उत्सव 2023’

  • 29 Nov 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने और लोककला को देश सहित दुनियाभर में प्रसिद्धि दिलाने के लिये प्रदेश में 25 दिसंबर से 26 जनवरी, 2024 तक ‘संस्कृति उत्सव 2023’ का आयोजन किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • ‘उत्तर प्रदेश पर्व: हमारी संस्कृति-हमारी पहचान’ थीमलाइन से आयोजित किये जा रहे इस उत्सव से गाँव, ब्लॉक, तहसील, ज़िला, मंडल सहित राज्य स्तर पर लोक कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित मंच मिलेगा।
  • संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा इस उत्सव का आयोजन प्रदेश भर में कराया जाएगा, जिसमें कई प्रतियोगिताएँ शामिल होंगी।
  • मुख्य रूप से शास्त्रीय, उप-शास्त्रीय, लोकनाट्य व लोकसंगीत जैसी सांस्कृतिक विधाओं को प्रश्रय प्रदान करने की भावना से इन कार्यक्रमों का आयोजन प्रदेश भर में किया जाएगा।
  • इस आयोजन में ग्रामीण अंचलों में प्रचलित लोक संगीत को भी काफी प्रमुखता दी जाएगी तथा सभी स्तरों पर होने वाली प्रतियोगिताओं में विजेता कलाकारों को सम्मानित व पुरस्कृत किया जाएगा।
  • 25 से 30 दिसंबर के बीच तहसील मुख्यालय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें गाँवों, पंचायत, ब्लॉक व तहसील स्तर के कलाकार भाग लेंगे। इसके बाद 1 से लेकर 5 जनवरी, 2024 के बीच ज़िला मुख्यालयों पर होने वाली प्रतियोगिता में तहसील स्तर के चयनित कलाकार भाग लेंगे।
  • मंडलीय मुख्यालय स्तर पर 10 से 15 जनवरी के बीच प्रतियोगिता का आयोजन होगा, जिसमें ज़िला स्तर पर चयनित कलाकार प्रतिभाग करेंगे। इसके आगे तीन अन्य चरणों से गुजर कर प्रतियोगिता निर्णायक स्थिति में पहुँचेगी और इन तीनों ही चरण की प्रतियोगिताओं का आयोजन लखनऊ में होगा। मंडल स्तर के चयनित कलाकारों को अभ्यास व मुख्य आयोजन में प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा और सम्मानित भी किया जाएगा।
  • आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय गायन में ख्याल, ध्रुपद, उप-शास्त्रीय गायन में ठुमरी, दादरा, चौती, चौता, झूला, होरा, टप्पा, वादन में बाँसुरी, शहनाई, हारमोनियम, सितार, वॉयलिन, गिटार, सारंगी, वीणा, तबला, पखावज, मृदंगम व घटम तथा जनजातीय व लोक वाद्ययंत्र से जुड़ी प्रतियोगिताएँ होंगी। वहीं, नृत्य में कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम व अन्य शास्त्रीय नृत्यों से जुड़ी प्रतियोगिताएँ होंगी।
  • इसी प्रकार, लोकनृत्य में धोबिया, अहिरवा, करमा, शैला, डोमकच, आखेट तथा लोकनाट्य में नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया, नुक्कड़ नाटक आदि की प्रतियोगिताएँ होंगी।
  • लोकगायन में कजरी, चौती, झूला, बिरहा, आल्हा, निर्गुण, लोकगीत, कव्वाली व सुगम संगीत के अंतर्गत गीत, गजल, भजन तथा देशभक्ति गीत जैसी कैटेगरीज़ में प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
  • एकल नृत्य व सामूहिक नृत्य के लिये रिकॉर्डेड संगीत मान्य होगा। प्रतियोगिताओं में विजयी कलाकारों को मेडल, प्रमाण-पत्र व स्मृति चिह्न देकर पुरस्कृत किया जाएगा।
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