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राजस्थान

पन्नाधाय, अमरा जी भगत और केसरी सिंह बारहठ का बनेगा पेनोरमा

  • 29 Mar 2023
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023, को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ, महाबलिदानी पन्नाधाय और लोकदेवता अमरा जी भगत के पेनोरमा के निर्माण के लिये 12 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्वीकृति से चित्तौड़गढ़ ज़िले में पन्नाधाय के पैतृक स्थल पाण्डोली में 4 करोड़ रुपए की लागत से ‘पन्नाधाय पेनोरमा’बनेगा। पेनोरमा में पन्नाधाय के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को विभिन्न माध्यमों से दर्शाया जाएगा। आमजन को उनके बलिदान, त्याग, साहस एवं स्वाभिमान की जानकारी मिलेगी।
  • चित्तौड़गढ़ ज़िले में भदेसर तहसील के गाँव दौलतपुरा (ग्राम पंचायत बागुंड) में लोकदेवता अमरा जी भगत (अनगढ़ बावजी) का पेनोरमा भी 4 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा। यहाँ सामाजिक सरोकार के कार्यों के बारे में जानकारी मिलेगी।
  • भीलवाड़ा के शाहपुरा में स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ के पेनोरमा का निर्माण होगा। इसमें 4 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस पेनोरमा से युवा वर्ग अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित और जागृत होगा।  
  • इन तीनों ही पेनोरमा में मुख्य भवन, सभागार, हॉल, पुस्तकालय, प्रतिमा, छतरी, शिलालेख, स्कल्पचर्स, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसे विभिन्न कार्य होंगे। तीनों जगह निर्माण कार्य पर्यटन विकास कोष से कराए जाएंगे।
  • महाबलिदानी पन्नाधाय का जन्म चित्तौड़ के पास ‘माताजी की पांडोली’नामक गाँव मे वर्ष 1501 ई. में एक गुर्जर परिवार मे हुआ था। महाराणा सांगा के पुत्र और महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह की रक्षा के लिये पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन का बलिदान देकर संपूर्ण विश्व में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उदयसिंह के जीवन-रक्षा के लिये पन्नाधाय की स्वामिभक्ति, चंदन के बलिदान और कीरत बारी के साहस की गाथा ‘महाबलिदानी पन्नाधाय पेनोरमा’में फिर से जीवंत होगी।
  • स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ का जन्म 21 नवंबर, 1872 को हुआ था। वे शाहपुरा क्षेत्र के देव खेड़ा के जागीरदार थे। स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति तय करने के लिये वे अपनी हवेली पर गुप्त मंत्रणा किया करते थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी को भी पूरा सहयोग दिया था। केसरी सिंह ने राजस्थानी में लिखे 13 सोरठे के ज़रिये भी लोगों में क्रांति का बिगुल फूँका था।
  • उन्होंने युवाओं में क्रांति की अलख जगाई। उन्होंने पूरे परिवार को आज़ादी के आंदोलन में झोंक दिया। शक्ति, भक्ति और कुर्बानी की कण-कण में महान क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ और उनके परिवार की शौर्य गाथा देश भर में गूँजती है।
  • राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले के बड़ी सादड़ी विधानसभा इलाके में नरबदिया तहसील के भदेसर में संत शिरोमणि अमरा भगत का समाधि स्थल है। जब संत अमरा भगत का जन्म हुआ तो उन्होंने जन्म के 9 दिन तक अपनी माँ का दूध नहीं पिया था। सूर्य पूजन की रस्म पूरी करने के बाद माँ का दूध पीने पर इस यशस्वी बालक की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई। उस समय देश में प्लेग नाम की महामारी और लाल ताव के नाम की बीमारी फैली तो उन्होंने इस महामारी से बचाने के लिये अनगढ़ बावजी की धूनी पर घोर तपस्या की और लोगों को बचाया।
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