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उत्तर प्रदेश

सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी बनेगा नया विधानभवन

  • 04 Mar 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

3 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि देश के नए संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) की तर्ज पर उत्तर प्रदेश को भी जल्द ही नए विधानभवन की सौगात मिलेगी। 18वीं विधानसभा के सदस्यों को नई विधानसभा में बैठने का मौका मिलेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि वर्ष 2027 के पहले नये विधानभवन का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसे पूरी तरह ईको फ्रेंडली, भूकंपरोधी और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
  • मौजूदा भवन के काफी पुराने हो जाने, बढ़ती जरूरतों के मुताबिक जगह कम होने, आसपास भारी यातायात का दबाव के चलते अन्यत्र नया विधानभवन बनाने की तैयारी है। इसके लिये प्रारंभिक तौर पर 50 करोड़ रुपए बजट में रखे गए हैं।
  • उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि 18वीं विधानसभा का कम से कम एक सत्र का आयोजन नए विधानभवन में हो। नए विधानभवन का निर्माण बढ़ती ज़रूरतों के अनुसार किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि मौजूदा विधानभवन करीब 100 साल पुराना है। इसकी नींव 15 दिसंबर, 1922 को तत्कालीन गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। यह भवन करीब छह साल में बनकर तैयार हुआ था तथा 21 फरवरी, 1928 को इसका उद्घाटन किया गया गया था।
  • मौजूदा विधानभवन का निर्माण कोलकाता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा किया गया था। इसके मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे। उस समय विधानभवन के निर्माण के लिये 21 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे।
  • उत्तर प्रदेश का मौजूदा विधानभवन यूरोपियन और अवधी निर्माण की मिश्रित शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें फिलहाल 403 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है।
  • जुलाई 1935 में विधान परिषद की बैठकों और कार्यालय कक्षों के लिये एक अलग चेंबर का प्रस्ताव किया गया था। एक्सटेंशन भवन का निर्माण मुख्य वास्तुविद एएम मार्टीमंर द्वारा कराया गया था। इसे लोक निर्माण विभाग की देखरेख में नवंबर 1937 में पूरा किया गया था। विधानपरिषद में फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।
  • ज्ञातव्य है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में दिल्ली में नए संसद भवन के साथ ही केंद्र सरकार के अन्य कार्यालयों का निर्माण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि ये नया संसद भवन भव्यता के साथ ही औपनिवेशिक काल के स्मारकों को टक्कर देने वाली स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण बनकर उभरेगा।
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