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जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने में मदद करने के लिये नई जैव-ऊर्जा नीति

  • 28 Sep 2022
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

27 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यानात्थ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने हेतु एक जैव-ऊर्जा नीति लागू करने का निर्णय लिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि जैव-ईंधन के उपयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को गति देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है। नई नीति पूर्व की नीतियों की कमियों को दूर कर प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यम स्थापित करने की संभावनाओं को अंतिम रूप देने के लिये बनाई गई है।
  • कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज बाजार अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिल अपशिष्ट, शहरी अपशिष्ट और बहुतायत में उपलब्ध अन्य जैविक अपशिष्ट जैव-ईंधन उत्पन्न करने में उपयोग किये जाएंगे।
  • जैव-ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम-2018 के अंतर्गत जैव-ऊर्जा उद्यमों को भूमि क्रय पर स्टांप शुल्क में शत-प्रतिशत छूट तथा उत्पादन प्रारंभ होने की तिथि से दस वर्ष तक एसजीएसटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति दी गई है।
  • नई नीति की अवधि पाँच वर्ष होगी। इस अवधि के दौरान राज्य में स्थापित होने वाली जैव-ऊर्जा परियोजनाओं (संपीड़ित बायोगैस, बायो-कोयला, बायो-एथेनॉल और बायो-डीजल) को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  • इस नीति के तहत कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपए प्रति टन से अधिकतम 20 करोड़ रुपए की दर से सब्सिडी दी जाएगी। बायो-कोयला उत्पादन पर यह सब्सिडी 75,000 रुपए प्रति टन और अधिकतम 20 करोड़ रुपए तथा बायोडीजल के उत्पादन पर 3 लाख रुपए प्रति किलोलीटर होगा।
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