उत्तर प्रदेश
लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ महिला सुरक्षा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
- 28 Jul 2025
- 21 min read
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने लखनऊ विश्वविद्यालय के सहयोग से व्यावसायिक और सार्वजनिक क्षेत्रों में लिंग आधारित हिंसा पर बढ़ती चिंताओं के बीच 'कार्यस्थल तथा सार्वजनिक स्थानों पर महिला सुरक्षा' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
मुख्य बिंदु
- संगोष्ठी के बारे में:
- NHRC के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने महिलाओं के प्रति भारत की सांस्कृतिक श्रद्धा और हिंसा की चिंताजनक आवृत्ति हर घंटे 51 FIR के बीच तीव्र अंतर को उजागर किया।
- उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित किया तथा प्रणालीगत, प्रवर्तन-आधारित एवं जागरूकता-आधारित सुधारों का आह्वान किया।
- उन्होंने शिक्षकों और समाज से लिंग-संवेदनशील व्यवहार को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
- संस्थागत अंतराल और नीति सुझाव:
- संगोष्ठी में कानून प्रवर्तन, संस्थागत जवाबदेही तथा जन-जागरूकता में व्याप्त अंतराल को रेखांकित किया गया और निम्नलिखित आवश्यकताओं पर ज़ोर दिया गया:
- निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व।
- महिला सुरक्षा से जुड़ी चर्चा में अनौपचारिक क्षेत्र को शामिल करना।
- SHE-Box, वन स्टॉप सेंटर तथा पिंक पुलिस बूथ के प्रचार को बढ़ावा देना।
- संगोष्ठी में कानून प्रवर्तन, संस्थागत जवाबदेही तथा जन-जागरूकता में व्याप्त अंतराल को रेखांकित किया गया और निम्नलिखित आवश्यकताओं पर ज़ोर दिया गया:
- संगोष्ठी की मुख्य सिफारिशें:
- नीति-कार्यान्वयन-जागरूकता त्रिकोण को एक साथ संबोधित किया जाना चाहिये।
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये विशेष पहुँच और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
- संवेदनशीलता की शुरुआत व्यक्तिगत तथा पारिवारिक स्तर से होनी चाहिये।
- महिलाओं के लिये समावेशी स्थानों और प्रतिनिधित्व को संस्थागत बनाया जाना चाहिये।
- शैक्षिक संस्थानों को सक्रिय रूप से लिंग जागरूकता बढ़ाने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिये
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के बारे में
- भारत का NHRC एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिये की गई है।
- इसका गठन 12 अक्तूबर 1993 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 के तहत किया गया था, जिसे बाद में 2006 एवं 2019 में संशोधित किया गया।
- आयोग की स्थापना पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप की गई थी, जो मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा हेतु अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मानक हैं।
- पेरिस सिद्धांत, मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिये पेरिस (अक्तूबर, 1991) में अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मानकों का समूह है, जिसे 20 दिसंबर 1993 को संयुक्त राष्ट्र (UN) की महासभा द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- ये सिद्धांत दुनिया भर में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं (NHRI) के कार्यों का मार्गदर्शन करते हैं।
- NHRC की शक्तियाँ: NHRC को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अनुसार सिविल न्यायालय के समकक्ष शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- NHRC निरीक्षण प्रकोष्ठ: NHRC का अपना निरीक्षण प्रकोष्ठ है, जिसका नेतृत्व पुलिस महानिदेशक करते हैं।