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छत्तीसगढ़

झलमलको लया-लयोर गोटुल रच्चा उत्सव

  • 09 Apr 2022
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

8 अप्रैल, 2022 को छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांकेर ज़िले के अंतागढ़ विकासखंड के ग्राम आमाकड़ा में ‘झलमलको लया-लयोर गोटुल रच्चा उत्सव’ में शामिल हुए।

प्रमुख बिंदु

  • इस उत्सव का आयोजन स्थानीय संस्कृति, परंपरा, लोकगीतों और लोकनृत्यों को संरक्षित करने के लिये किया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य आदिवासी युवाओं व युवतियों को अपनी संस्कृति, विरासत से जोड़कर उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाना है। 
  • गोटुल संस्कृति, मांदरी, रेला, हुल्की, कोलांग जैसे सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयोजन लगभग आदिवासी समाज से विलुप्त हो रहे हैं, जिसे संरक्षित करने की जानकारी
    देने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। 
  • झलमलको युवक-युवतियों को दिया हुआ उपनाम है। इसका संबंध उन आदिवासी युवा एवं युवतियों से है, जो विशेष गुण से परिपूर्ण तो होते ही हैं, साथ ही उन्हें अपनी जनजाति, रीति-रिवाज़ों सहित संस्कृति व परंपरा का पूर्णत: ज्ञान होता है।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कोयलीबेड़ा और आमाबेड़ा को पूर्ण तहसील का दर्जा दिये जाने के साथ कोयलीबेड़ा में ज़िला सहकारी बैंक की स्थापना की भी घोषणा की।
  • इसके आलावा स्थानीय संस्कृति के संरक्षण के लिये अंतागढ़ क्षेत्र में 10 गोटुल और 10 देवगुड़ी निर्माण की भी घोषणा की।
  • मुख्यमंत्री ने बस्तर में स्थापित ‘बादल’ की तरह कांकेर ज़िले में भी डांस, आर्ट और लिटरेचर को बढ़ावा देने, संगठन बनाने तथा अंतागढ़ क्षेत्र के 14 युवाओं को कृषि एवं वनोपज के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के अध्ययन के लिये इंडोनेशिया के अध्ययन दौरे पर भेजने की भी स्वीकृति प्रदान की।
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