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राजस्थान

पाँच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्यशास्त्र कार्यशाला प्रारंभ

  • 14 Dec 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • 13 दिसंबर, 2021 को राज्य के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने राजस्थान संस्कृत अकादमी, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जोधपुर में आयोजित पाँच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्यशास्त्र कार्यशाला का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा नाट्यशास्त्र कार्यशाला पर प्रकाशित विशेषांक ‘संस्कृत सेतु’का लोकार्पण किया गया।
  • ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड पर आयोजित हो रही इस राष्ट्रीय नाट्यशास्त्र कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अध्यक्षता कर रहे विश्वविख्यात संस्कृत एवं नाट्य मनीषी प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि नाट्यशास्त्र पर केंद्रित पाँच दिन की कार्यशाला प्रदेश में अपने ढंग का पहला आयोजन है।
  • उन्होंने कहा कि नाट्यशास्त्र भारत की अनमोल विरासत है। ढाई हज़ार साल पहले संस्कृत में रचा गया यह ग्रंथ भारतीय कलाओं का विश्वकोश है तथा साहित्यशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र और नाट्यचिंतन का भी मूलाधार है।
  • इस कार्यशाला के माध्यम से युवा रंगकर्मी भरतमुनि कृत नाट्यशास्त्र का प्रामाणिक परिचय प्राप्त करके अपने प्रयोगों को अपने देश की कलापरंपरा में डाल सकेंगे। भारत के राष्ट्रीय रंगमंच की खोज में भी यह कार्यशाला एक पड़ाव बनेगी।
  • कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव, गायत्री राठौड़ ने कहा कि यह राष्ट्रीय कार्यशाला नाट्य प्रेमियों, रंग कर्मियों, शोधार्थियों में एक नए उत्साह का संचार करेगी और कालांतर में यह एक मील का पत्थर साबित होगी।
  • प्रख्यात फिल्म अभिनेता और रंगकर्मी रघुवीर यादव ने कहा कि यह कार्यशाला नाट्यशास्त्र की बारीकियों को समझने का एक बड़ा अवसर है। नाट्यशास्त्र में निहित रस, भाव और भनिति भंगिमाओं के प्रयोग नाट्यकारों को पूर्ण तथा परिष्कृत बनाते हैं। नाट्यशास्त्र अभिनय का अनुशासन है।
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