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मध्य प्रदेश

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना

  • 23 Apr 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिये संशोधनों को मंजूरी दी।

मुख्य बिंदु

  • योजना के बारे में: 
  • मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की शुरुआत वर्ष 2006 में मध्य प्रदेश शासन के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा की गई थी। इस योजना का क्रियान्वयन दीनदयाल अंत्योदय मिशन के माध्यम से किया जाता है। 

  • इसका उद्देश्य निराश्रित, निर्धन, परित्यक्ता और विधवा कन्याओं के सामूहिक विवाह/निकाह कार्यक्रमों का आयोजन करके उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करना है।

  • संशोधनों के बारे में:

    • योजना अंतर्गत BPL पोर्टल पर सत्यापन अनिवार्य किया गया है, जिससे पात्रता की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
    • सामूहिक विवाह/निकाह कार्यक्रम अब संभागवार वार्षिक चक्रीय कैलेंडर के अनुसार आयोजित किये जाएंगे।
    • प्रत्येक सम्मेलन में न्यूनतम 11 और अधिकतम 200 विवाह जोड़ों को सम्मिलित किया जायेगा।
    • निकाय स्तर पर आवेदन की स्क्रूटनी की जाएगी, साथ ही वर-वधू की आधार आधारित e-KYC (Electronic Know Your Customer) को अनिवार्य बनाया गया है।
    • आर्थिक लाभ की राशि कुल 55,000 रुपए प्रति वधू निर्धारित की गई है:
      • 49,000 रुपए वधू को चेक/प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से सीधे दिये जाएंगे।
      • 6,000 रुपए आयोजन की व्यवस्था हेतु संबंधित निकाय को प्रदान किये जाएंगे।
  • प्रभाव:
    • इस संशोधित योजना से पात्र हितग्राहियों की पहचान में सुधार होगा तथा लाभों के वितरण में पारदर्शिता आएगी।
    • इससे कन्याओं की सामाजिक सुरक्षा और उनके परिवारों का मनोबल मज़बूत होगा।
    • स्थानीय निकायों की भूमिका सशक्त होगी और सामाजिक संगठनों की भागीदारी से कार्यक्रम को जन-आंदोलन का स्वरूप मिलेगा।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना:

  • उद्देश्य: इस योजना को लाभार्थियों तक सूचना एवं धन के तीव्र प्रवाह एवं वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये सहायता के रूप में परिकल्पित किया गया है।
  • कार्यान्वयन: इसे भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2013 को सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया गया था।
    • महालेखाकार कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के पुराने संस्करण यानी ‘सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम’ को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एक प्लेटफॉर्म के रूप में चुना गया था।
  • DBT के घटक: प्रत्यक्ष लाभ योजना के क्रियान्वयन के प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली; RBI, NPCI, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों के साथ एकीकृत, स्थायी भुगतान एवं समाधान मंच शामिल है (जैसे बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली और NPCI की आधार पेमेंट प्रणाली आदि)।
  • DBT योजनाओं में आधार अनिवार्य नहीं है। चूंँकि आधार विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और इच्छित लाभार्थियों को लक्षित करने में उपयोगी है, इसलिये आधार को प्राथमिकता दी जाती है और लाभार्थियों को आधार के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।

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