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मध्य प्रदेश

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व

  • 18 Aug 2025
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?

भोपाल स्थित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) सेंट्रल जोन बेंच ने प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में वार्षिक दर्शन यात्रा (बांधवगढ़ किले तक) की अनुमति देने के लिये राज्य के अधिकारियों को फटकार लगाई है।

  • कोर क्षेत्र किसी संरक्षित क्षेत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है जहाँ जैवविविधता और वन्य जीवन की सुरक्षा के लिये मानवीय गतिविधियाँ आमतौर पर प्रतिबंधित होती हैं।

मुख्य बिंदु

  • मुद्दे के बारे में: 
  • सिफारिशें: 
    • मध्य प्रदेश सरकार को तीन महीने के भीतर यात्राओं को विनियमित करने के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया गया है, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वन्यजीवों को न्यूनतम व्यवधान हो और अंतरिम अवधि में 2012 प्रोजेक्ट टाइगर दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।
    • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून द्वारा किये गए वहन क्षमता अध्ययन का हवाला देते हुए, NGT ने दर्ज किया कि हालांकि यह क्षेत्र सैद्धांतिक रूप से 7,000–8,000 तीर्थ यात्रियों को समायोजित सकता है, लेकिन बाघों, हाथियों और अन्य बड़े जानवरों की उपस्थिति के कारण सुरक्षित क्षमता केवल 4,000–5,000 आगंतुकों तक ही सीमित है।
    • WII ने केवल वाहनों के माध्यम से प्रवेश, एक महीने पहले ऑनलाइन पंजीकरण और बेहतर भीड़ नियंत्रण की सिफारिश की।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व

  • यह मध्य प्रदेश की विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच स्थित है।
  • इस पार्क में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, पनपथा वन्यजीव अभयारण्य (कोर क्षेत्र) और आसपास का बफर क्षेत्र शामिल है, जो उमरिया, शहडोल और कतनी ज़िलों में फैला हुआ है।
  • राजसी वन्यजीवन: यह स्थान रॉयल बंगाल टाइगर के साथ-साथ तेंदुए, जंगली कुत्ते और गौर जैसे अन्य वन्यजीवों के आवास के लिये प्रसिद्ध है।
  • विविध आवास: इस रिज़र्व में घने जंगल, बाँस की वनस्पति, विशाल घास के मैदान और बारहमासी धाराएँ हैं, जो विभिन्न प्रजातियों, विशेष रूप से एकाकी बाघ के लिये समृद्ध वातावरण प्रदान करती हैं।

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