प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 10 जून से शुरू :   संपर्क करें
ध्यान दें:

Sambhav-2024

  • 27 Feb 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 86

    Q2. मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के पारिस्थितिकी एवं आर्थिक महत्त्व का आकलन कीजिये। तटीय क्षेत्रों के संरक्षण एवं संसाधनों के सतत् प्रबंधन में मैंग्रोव की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के पारिस्थितिकी एवं आर्थिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • तटीय संरक्षण एवं सतत् संसाधन प्रबंधन में मैंग्रोव की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र एक तटीय अंतर्ज्वारीय क्षेत्र है जहाँ लवण-सहिष्णु पौधों, झाड़ियों एवं अन्य पौधों को देखा जा सकता है। ये पारिस्थितिक तंत्र उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाने के साथ ज्वार से प्रभावित होते हैं, जिसमें पौधे लवणीय जल में वृद्धि करने के लिये अनुकूलित हैं।

    मुख्य भाग:

    मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र का पारिस्थितिकी और आर्थिक महत्त्व:

    • जैवविविधता हॉटस्पॉट:
      • मैंग्रोव जैवविविधता के हॉटस्पॉट होने के साथ विभिन्न पौधों एवं जंतुओं की प्रजातियों का समर्थन करते हैं।
      • ये मछली, पक्षियों एवं स्तनधारियों सहित कई समुद्री और स्थलीय प्रजातियों के लिये प्रजनन,आवास तथा भोजन का आधार प्रदान करते हैं।
    • कटाव नियंत्रण:
      • मैंग्रोव तटीय कटाव एवं तूफानी लहरों के खिलाफ प्राकृतिक बफर के रूप में कार्य करते हैं।
      • इनकी जटिल जड़ प्रणालियाँ तटरेखाओं को स्थिर करने के साथ लहरों और धाराओं के प्रभाव को कम करती हैं तथा तटीय समुदायों एवं बुनियादी ढाँचे की रक्षा करती हैं।
    • जल गुणवत्ता में सुधार:
      • मैंग्रोव तटीय जल से प्रदूषकों को अलग करते हैं, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
      • ये तलछट और पोषक तत्त्वों को मूंगा चट्टानों एवं समुद्री घास तक पहुँचने से रोकते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
      • मैंग्रोव वन घुलनशील ऑक्सीजन (DO) को 32.39% बढ़ाने के साथ फॉस्फेट, अमोनिया एवं नाइट्रेट को क्रमशः 88.23%, 73.77% तथा 64.28% कम करके जल की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम हो सकते हैं।
    • सतत् संसाधन प्रबंधन:
      • मैंग्रोव का उपयोग पारंपरिक रूप से तटीय क्षेत्रों के समुदायों द्वारा लकड़ी, ईंधन की लकड़ी एवं औषधीय पौधों सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जाता रहा है।
      • इनके दोहन की सतत् पद्धतियाँ पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य से समझौता किये बिना निरंतर लाभ सुनिश्चित कर सकती हैं।

    तटीय संरक्षण में मैंग्रोव की भूमिका:

    • जल की लहरों का प्रतिरोध:
      • मैंग्रोव की जटिल जड़ प्रणालियों से जल की लहरों के खिलाफ प्रतिरोध प्राप्त होने से तटीय समुदायों, बुनियादी ढाँचे एवं कृषि के नुकसान में कमी आती है।
    • तूफान का प्रतिरोध:
      • चक्रवातों एवं तूफानों के दौरान मैंग्रोव, तूफान की ऊँचाई एवं प्रभाव को काफी कम कर सकते हैं।
      • ये सुरक्षा के प्राथमिक पहलू के रूप में कार्य करते हुए आने वाले जल की शक्ति को अवशोषित और विक्षेपित करते हैं।
    • सुनामी से सुरक्षा:
      • अध्ययनों से पता चला है कि मैंग्रोव वनों वाले तटीय क्षेत्रों में सुनामी के दौरान कम क्षति होती है।
      • मैंग्रोव बफर के रूप में कार्य करने के साथ सुनामी लहरों की गति को धीमा करते हैं एवं उनकी तीव्रता को कम करते हैं।
      • उदाहरण के लिये, वर्ष 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी (जिसने भारत के पूर्वी तट को प्रभावित किया और तमिलनाडु के नागपट्टिनम को व्यापक क्षति पहुँचाई) से घने मैंग्रोव जंगल से घिरे पिचावरम के पड़ोसी क्षेत्र अपेक्षाकृत कम प्रभावित हुए।
        • यह उन ऐतिहासिक घटनाओं में से एक थी जिसने इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया कि मैंग्रोव प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सुरक्षात्मक आवरण के रूप में कार्य करने के साथ जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में सहायता करते हैं।
    • तटरेखा को स्थिर करना:
      • मैंग्रोव तलछट को रोककर समुद्र तट को स्थिर करने में भूमिका निभाते हैं।
      • यह तटीय कटाव को रोकने में मदद करने के साथ तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और आवास की स्थिरता को बनाए रखने में सहायक हैं।
    • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन:
      • चूँकि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ने के साथ चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ रही है, जिससे तटीय अनुकूलन रणनीतियों के लिये मैंग्रोव और भी महत्त्वपूर्ण होते जा रहे हैं।
      • ये समुदायों को बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल ढलने एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

    सतत् संसाधन प्रबंधन में मैंग्रोव की भूमिका:

    • मत्स्य पालन में सहायता:
      • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण कई मछली एवं शेलफिश प्रजातियों के लिये आवास क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
      • ये छोटी मछलियों के लिये आश्रय, भोजन एवं प्रजनन का आधार प्रदान करने के साथ मत्स्य उत्पादकता बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं तथा तटीय आजीविका का समर्थन करते हैं।
      • यह अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक मछली उत्पादन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 80% की हिस्सेदारी मैंग्रोव वनों पर है।
    • पर्यटन और मनोरंजन:
      • मैंग्रोव वन पर्यटकों एवं प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करने के साथ इकोटूरिज़्म के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं।
      • बर्डवॉचिंग, कायाकिंग और प्रकृति की सैर जैसी गतिविधियों से आय अर्जित होने के साथ मैंग्रोव संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ सकती है।
      • एक अध्ययन में मैंग्रोव वनों का औसत मनोरंजक मूल्य प्रतिवर्ष प्रति आगंतुक 87.58 अमेरिकी डॉलर तक देखा गया।
    • कार्बन पृथक्करण:
      • मैंग्रोव वन वायुमंडल से कार्बन डाइ-ऑक्साइड को अवशोषित करने में अत्यधिक प्रभावी हैं, जो उन्हें जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण बनाता है।
      • ये बायोमास एवं मृदा दोनों में कार्बन का भंडारण करने में भूमिका निभाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को कम करने में मदद मिलती है।
      • विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि मैंग्रोव एवं तटीय आर्द्रभूमियाँ वार्षिक स्तर पर परिपक्व उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में दस गुना अधिक दर से कार्बन का अवशोषण करती हैं।
        • ये क्षेत्र उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में प्रति समतुल्य क्षेत्र में तीन से पाँच गुना अधिक कार्बन संग्रहीत करते हैं।

    निष्कर्ष:

    मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं, जो जैवविविधता संरक्षण, तटीय संरक्षण एवं सतत् संसाधन प्रबंधन जैसी महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करते हैं। मैंग्रोव की सुरक्षा और संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र एवं उन पर निर्भर समुदायों की भलाई के लिये आवश्यक है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2