इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Sambhav-2023

  • 28 Feb 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस- 96

    प्रश्न.1 जैव विविधता से आप क्या समझते हैं? जैव विविधता के मापन की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    प्रश्न.2 गहन समुद्र की खनन गतिविधियों (Deep-sea mining) से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की अज्ञात प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं। वहनीय एवं सतत् समुद्री खनन गतिविधियों हेतु उठाए जा सकने वाले निवारक और सुरक्षात्मक उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    उत्तर: 1

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जैव विविधता का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • जैव विविधता के मापन पर चर्चा कीजिये।
    • समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन की विविधता को संदर्भित करती है जिसमें पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियों के साथ-साथ इन प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र (जिसमें वे रहते हैं) की विविधता शामिल है ।
    • पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन हेतु जैव विविधता महत्त्वपूर्ण है जिससे स्वच्छ हवा और जल, भोजन और औषधि जैसे लाभ मिलने के साथ जलवायु का निर्धारण होता है।
    • मानव गतिविधियाँ जीवों के निवास स्थान के विनाश, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के साथ जैव विविधता के नुकसान का कारण बन रही हैं।

    मुख्य भाग:

    जैव विविधता का मापन:

    • जैव विविधता की वर्तमान स्थिति को समझने और समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक करने के लिये जैव विविधता को मापना आवश्यक है।
    • जैव विविधता को मापने के सबसे आम तरीकों में से एक किसी विशेष क्षेत्र में मौजूद विभिन्न प्रजातियों की समृद्धि का आकलन करना है।
    • प्रजाति विविधता, जैव विविधता मापन का उपागम है। इसके अन्य उपागमों में आनुवंशिक विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र विविधता शामिल है।
    • प्रजातियों की संख्या को मापने के अलावा, वैज्ञानिक किसी पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न प्रजातियों की पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिकाओं और इनके बीच संबंधों के साथ-साथ प्रजातियों की कार्यात्मक विविधता का भी आकलन करते हैं।
    • कार्यात्मक विविधता उन लक्षणों और कार्यों को संदर्भित करती है जो विभिन्न प्रजातियाँ किसी पारिस्थितिकी तंत्र में करती हैं जैसे परागण, पोषक चक्रण और कीट नियंत्रण आदि।
    • जैव विविधता के इन विभिन्न पहलुओं को मापने से पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति की अधिक व्यापक समझ मिलती है।

    जैव विविधता को विभिन्न स्तरों पर मापा जा सकता है जिसमें आनुवंशिक विविधता, प्रजाति विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र विविधता शामिल है:

    • आनुवंशिक विविधता: यह किसी एक प्रजाति में मौजूद आनुवंशिक विविधता को दर्शाती है। अनुकूलन एवं विकास के लिये आनुवंशिक विविधता महत्त्वपूर्ण है। इसे डीएनए अनुक्रम या प्रोटीन जैसे आनुवंशिक मार्करों में परिवर्तनशीलता का आकलन करके मापा जा सकता है।
    • प्रजाति विविधता: यह किसी पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद विभिन्न प्रजातियों की विविधता को संदर्भित करती है। प्रजातियों की विविधता को विभिन्न आयामों जैसे प्रजातियों की समृद्धि (विभिन्न प्रजातियों की संख्या) या प्रजातियों की समता (विभिन्न प्रजातियों की तुलनात्मक संख्या) का उपयोग करके मापा जा सकता है।
    • पारिस्थितिकी तंत्र विविधता: यह किसी क्षेत्र में मौजूद विभिन्न आवासों और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता को संदर्भित करती है। पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता को विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों जैसे वन, आर्द्रभूमि या घास के मैदानों की संख्या और वितरण का आकलन करके मापा जा सकता है।

    निष्कर्ष:

    पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति को समझने एवं उनके संरक्षण और प्रबंधन के लिये रणनीति विकसित करने हेतु जैव विविधता को मापना महत्त्वपूर्ण है। जैव विविधता आकलन विभिन्न पैमानों पर किया जा सकता है (स्थानीय से लेकर वैश्विक तक) और इसमें विभिन्न तरीकों जैसे क्षेत्र सर्वेक्षण, डीएनए विश्लेषण या रिमोट सेंसिंग शामिल हो सकते हैं। कुल मिलाकर जैव विविधता को मापना एक जटिल कार्य है जिसके लिये एक बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जिसमें पारिस्थितिकीविद, आनुवंशिकीविद्, वर्गिकीविद् और अन्य विशेषज्ञ शामिल होते हैं।


    उत्तर: 2

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • गहन समुद्र में खनन का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • सतत् समुद्री खनन हेतु निवारक और सुरक्षात्मक उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • गहन समुद्र में खनन (विशेष रूप से 200 मीटर से अधिक की गहराई में) का आशय समुद्र तल से मूल्यवान खनिजों और संसाधनों को निकालना है।
    • इसमें खनन किये जाने वाले खनिजों में तांबा, निकल, कोबाल्ट, सोना, मैंगनीज और दुर्लभ पृथ्वी तत्व शामिल हैं।
    • ये खनिज गहन समुद्र के हाइड्रोथर्मल वेंट, सीमाउंट और पॉलीमेटैलिक नोड्यूल में उच्च सांद्रता में पाए जाते हैं।

    मुख्य भाग:

    • गहन समुद्र में खनन गतिविधियों से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की अभी तक अज्ञात प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है।
    • गहन समुद्र पृथ्वी के सबसे कम अन्वेषण वाले क्षेत्रों में से एक है जिसमें नियमित रूप से नई प्रजातियों की खोज की जाती है।
    • ऐसा माना जाता है कि इनमें से कई प्रजातियाँ गहन समुद्र की चरम स्थितियों जैसे उच्च दाब, कम प्रकाश और ठंडे तापमान हेतु अनुकूलित होती हैं।
    • खनन प्रक्रिया से मौजूदा प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

    सतत् गहन समुद्री खनन को सुनिश्चित करने के लिये कई निवारक और सुरक्षात्मक उपाय किये जा सकते हैं जैसे:

    • पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIAs):
      • सतत् गहन समुद्री खनन के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण उपायों में से एक पर्यावरण प्रभाव आकलन का प्रयोग करना है।
      • इन आकलनों से खनन गतिविधियों के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों की पहचान एवं मूल्यांकन करना चाहिये जिसमें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, आवास और प्रजातियों पर संभावित प्रभाव शामिल हैं।
      • खनन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिये इस जानकारी का उपयोग किया जा सकता है।
    • सर्वोत्तम प्रथाओं और दिशानिर्देशों का विकास करना:
      • उद्योग संगठन और नियामक संस्थाएँ सतत समुद्री खनन के लिये सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों को विकसित कर सकते हैं।
      • इन प्रथाओं में समुद्री पर्यावरण पर खनन गतिविधियों के प्रभावों को कम करने के बारे में सिफारिशें शामिल हो सकती हैं जैसे कि खनन क्षेत्र के आकार को सीमित करना, संवेदनशील क्षेत्रों में खनन न करना और जल में छोड़े गए तलछट और रसायनों की मात्रा को कम करना आदि।
    • निगरानी और नियंत्रण के उपाय करना:
      • खनन गतिविधियों और समुद्री पर्यावरण की नियमित निगरानी से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि इसके पर्यावरणीय प्रभाव कम से कम हों।
      • यह निगरानी कैमरों और सेंसर का उपयोग करके की जा सकती है।
      • इसमें नियंत्रण उपायों को लागू किया जा सकता है जैसे नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव एक सीमा से पार होने के बाद खनन गतिविधियों को बंद कर देना।
    • पुनर्विकास और बहाली पर बल देना:
      • एक बार जब खनन गतिविधियाँ बंद हो जाती हैं तो समुद्र तल का पुनर्विकास करने और समुद्री पर्यावरण की बहाली को बढ़ावा देने के लिये पुनर्विकास और बहाली के प्रयास किये जा सकते हैं।
      • इसमें समुद्री वनस्पतियों के विकास को प्रोत्साहित करने, जीवों के आवासों को बहाल करने और इस क्षेत्र की निगरानी करने जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं ताकि इसकी सटीक बहाली को सुनिश्चित किया जा सके।
    • अंतर्राष्ट्रीय विनियमन और सहयोग पर बल देना:
      • स्थायी समुद्री खनन हेतु अंतर्राष्ट्रीय विनियमन और सहयोग आवश्यक है।
      • सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिये अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों की सहायता ले सकती हैं कि खनन गतिविधियों को एक जिम्मेदार और टिकाऊ तरीके से संचालित किया जाए।
      • इसमें संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करना, खनन गतिविधियों की निगरानी करना और इससे संबंधित वैज्ञानिक ज्ञान को साझा करना शामिल हो सकता है।

    निष्कर्ष:

    ये कुछ ऐसे निवारक और सुरक्षात्मक उपायों के उदाहरण हैं जिन्हें सतत समुद्री खनन के लिये लागू किया जा सकता है। इन उपायों को लागू करके यह सुनिश्चित करना संभव है कि समुद्री पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव के साथ गहन समुद्र में खनन गतिविधियों को जिम्मेदार और टिकाऊ तरीके से संचालित किया जाए।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2