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ध्यान दें:

पीआरएस कैप्सूल्स


विविध

मई 2020

  • 12 Jun 2020
  • 64 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स 

  • वित्त
    • आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना में संशोधन को मंज़ूरी
    • प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के विस्तार को मंज़ूरी
  • कोविड-19
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत घोषणाएँ
    • वित्तीय संकट को कम करने के लिये RBI के अतिरिक्त उपाय
    • प्रवासी मज़दूरों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
    • आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020
    • वंदे भारत मिशन के अंतर्गत प्रत्यर्पण के लिये पात्रता का मानदंड
    • सीफेयरर्स के लिये वेलफेयर योजना 
    • PM CARES फंड CSR हेतु पात्र गतिविधियों की सूची में शामिल
    • PF खातों में नियोक्ता एवं कर्मचारी के अंशदान की दरों में कटौती हेतु संशोधन
    • वर्क फ्रॉम होम सुविधा के लिये नियम और शर्तों में राहत
  • कोयला
    • रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक की नीलामी 
    • कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि
    • कोयला ब्लॉक आवंटन (संशोधन) नियम, 2020 
    • राष्ट्रीय कोयला सूचकांक के लिये मानक संचालन प्रक्रिया
  • बिजली 
    • शक्ति नीति के अंतर्गत कोयले के आवंटन की पद्धति में संशोधन
    • नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय के लिये NTPC और ONGC का संयुक्त उपक्रम
  • परिवहन 
    • मोटर वाहनों के उत्सर्जन और शोर संबंधी मानदंडों के अनुपालन से संबंधित मसौदा संशोधन 
    • अमान्य फास्टैग वाले वाहनों पर दोगुना टोल शुल्क
    • क्वाड्रिसाइकल के लिये BS-VI उत्सर्जन के नियम
  • पर्यावरण 
    • पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन
    • तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना, 2011 में संशोधन
  • जल संसाधन
    • स्वच्छ भारत मिशन चरण II के ऑपरेशनल दिशा-निर्देश
  • जनजातीय मामले
    • लघु वन उत्पाद के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन
  • शिक्षा
    • MHRD द्वारा कुछ शिक्षक शिक्षण कार्यक्रमों के लिये पूर्वव्यापी मान्यता
  • रक्षा
    • बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर शेकातकर समिति के सुझाव
  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
    • पोर्ट और शिपिंग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन का अध्ययन करने हेतु कार्यसमूह
  • पर्यटन
    • मीटिंग्स, प्रोत्साहन, कॉन्फ्रेंस और एग्जिविश टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिये दिशा-निर्देश

वित्त

आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना में संशोधन को मंज़ूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना (Partial Credit Guarantee Scheme) में संशोधनों को मंज़ूरी दी गई है ताकि योजना के दायरे को बढ़ाया जा सके। 

  • केंद्रीय बजट 2019-20 में इस योजना की घोषणा की गई थी और मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2019 में इसे मंज़ूर किया था। 
  • योजना के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks- PSB) को वित्तीय रूप से दुरुस्त गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (Housing Finance Companies-HFC) से उच्च श्रेणी की जमा की गई संपत्ति खरीदने के लिये सरकारी गारंटी (जिसमे संपत्ति के मूल्य के 10% प्रारंभिक नुकसान या 10,000 करोड़ रुपए, इनमें से जो भी कम हो) दी जाती है।
  • योजना का दायरा बढ़ाने के बाद सरकार PSB को NBFC और सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों (Micro Finance Institutions- MFI) द्वारा जारी बॉण्ड या वाणिज्यिक पेपर की खरीद पर शुरुआती नुकसान के 20% तक की गारंटी भी देगी। ऐसे बॉण्ड या व्यावसायिक पेपर के लिये न्यूनतम रेटिंग AA या उससे कम होनी चाहिये।
  • इस गारंटी से NBFC, MFI और HFC लघु और मध्यम दर्जे के उद्यमों में पूंजी निर्माण कर पाएंगे और इससे कोविड-19 के बुरे प्रभावों को कम करने में  भी सहायता मिलेगी। 
  • पहले यह योजना जून, 2020 तक वैध थी। अब यह 31 मार्च, 2021 तक या उस तारीख तक वैध होगी जब तक सरकार द्वारा 10,000 करोड़ रुपए मूल्य की गारंटी प्रदान की जाती है, अर्थात् इनमें से जो भी पहले हो।

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के विस्तार को मंज़ूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मार्च, 2023 तक तीन वर्ष की अवधि के लिये प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) के विस्तार को मंज़ूरी दी है। 

  • इस योजना का उद्देश्य 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, ताकि बाज़ार की अनिश्चित स्थितियों के कारण ब्याज दरों में गिरावट की स्थिति में उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके। 
  • योजना के अंतर्गत बीमाकर्त्ता द्वारा सुनिश्चित ब्याज रिटर्न की गारंटी दी जाती है। 
  • वर्ष 2020-21 के लिये सुनिश्चित रिटर्न की दर 7.4% होगी। इसे हर वर्ष संशोधित किया जाएगा। 
  • इस योजना को 12,000 रुपए की वार्षिक पेंशन के लिये 1,56,658 रुपए की न्यूनतम खरीद मूल्य पर खरीदा जा सकता है। 
  • मासिक पेंशन भुगतान विकल्प के लिये 1,000 रुपए की मासिक पेंशन के लिये न्यूनतम खरीद मूल्य 1,62,162 रुपए होगा।

कोविड-19

आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत घोषणाएँ

कोविड-19 के मद्देनज़र वित्त मंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की जो कि भारत की GDP का 10% के बराबर है। इसका उद्देश्य विश्वव्यापी आपूर्ति शृंखला की कड़ी प्रतिस्पर्द्धा में देश को स्वतंत्र बनाना और कोविड-19 से प्रभावित गरीबों, श्रमिकों एवं प्रवासियों को सशक्त बनाने में सहायता करना है। 

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत प्रोत्साहनों का वितरण 

विवरण

राशि ( करोड़ रुपए में)

शुरुआती उपायों से प्रोत्साहन

1,92,800

सूक्ष्म लघु और मध्यम दर्जे के उद्यम (MSME) सहित व्यापार

  5,94,550

प्रवासियों और किसानों सहित गरीब लोग

3,10,000

कृषि और संबद्ध क्षेत्र

1,50,000

अन्य क्षेत्र जैसे-कोयला और खनिज, रक्षा, 

नागरिक उड्डयन, बिजली, सामाजिक अवसंरचना,

अंतरिक्ष, परमाण्विक ऊर्जा

48,100

कुल

1,295,400

RBI के उपाय (वास्तविक)

8,01,603

कुल

20,97,053

पैकेज के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों के लिये मुख्य उपायों में निम्नलिखित शामिल है: 

सरकारी सुधार

  • कर्ज़ लेने की सीमा में बढ़ोतरी: वर्ष 2020-21 के लिये राज्य सरकारों की कर्ज लेने की सीमा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 3% से बढ़ाकर 5% किया जाएगा। 3.5% से अधिक की वृद्धि विभिन्न सुधारों से जुड़ी होगी, जैसे-एक राष्ट्र एक राशन कार्ड का सार्वभौमिकीकरण, कारोबार की सुगमता (ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस), बिजली वितरण और शहरी स्थानीय निकायों का राजस्व।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSEs) का निजीकरण: रणनीतिक क्षेत्रों के कुछ उपक्रमों को छोड़कर अन्य उपक्रमों के लिये नई PSE नीति की घोषणा की गई है जिसमें PSE के निजीकरण की योजना है। रणनीतिक क्षेत्रों के PSEs की सूची को सरकार द्वारा बाद के चरण में सूचित किया जाएगा। रणनीतिक क्षेत्रों में कम-से-कम एक PSE रहेगा लेकिन निजी क्षेत्र को भी अनुमति दी जाएगी।

व्यवसाय (MSME सहित)

  • कोलेटरल मुक्त कर्ज़: सभी व्यवसायों (MSME सहित) को तीन लाख करोड़ रुपए तक का कॉलेटरल मुक्त कर्ज़ दिया जाएगा। यह कर्ज़ बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFC) के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
  • MSME की परिभाषा: MSME की परिभाषा को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 में संशोधन के ज़रिये बदला जाएगा। प्रस्तावित परिभाषा के अनुसार, MSME के लिये निवेश की सीमा को बढ़ाया जाएगा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्यमों के लिये टर्नओवर की सीमा क्रमशः 5 करोड़, 50 करोड़ और 100 करोड़ रुपए होगी। 

टैक्स की दरों में कटौती: निवासियों के गैर-वेतन निर्दिष्ट भुगतानों के लिये स्रोत पर कर कटौती (Tax Deduction at Source-TDS) तथा स्रोत पर संग्रहीत कर (TCS) की मौजूदा दरों से 25% की कटौती की जाएगी। यह कटौती 14 मई, 2020 से 31 मार्च, 2021 के दौरान लागू होगी।

कृषि और संबंधित गतिविधियाँ

  • किसानों और अवसंरचना को सहयोग: क्षेत्र में किसानों और अवसंरचना को सहयोग देने के लिये जो मुख्य कदम उठाए जाएंगे वे इस प्रकार हैं:
    1. 2.5 करोड़ किसानों को दो लाख करोड़ रुपए का रियायती ऋण।
    2. कृषि अवसंरचना परियोजना के विकास के लिये एक लाख करोड़ रुपए का कोष।
    3. नाबार्ड और ग्रामीण बैंकों के ज़रिये फसल की मांग को पूरा करने के लिये अतिरिक्त 30,000 करोड़ रुपए की राशि। 
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन: कुछ खाद्य पदार्थों जैसे- अनाज, खाद्य, तेल, तिलहन, दालें और प्याज को नियंत्रण-मुक्त करने के लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन किया जाएगा। इससे इस क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।

प्रवासी श्रमिक:

  • एक राष्ट्र एक कार्ड: प्रवासी श्रमिक एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Card) योजना के अंतर्गत मार्च 2021 तक भारत में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन प्राप्त कर सकेंगे।
  • प्रवासी श्रमिकों/शहरी गरीबों के लिये कम किराए वाले सस्ते आवासीय परिसर (ARHC): प्रवासी श्रमिकों/शहरी गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana- PMAY) के अंतर्गत सस्ते किराए पर आवास मुहैया कराया जाएगा। 

नागरिक उड्डयन

  • प्रभावी हवाई क्षेत्र प्रबंधन: भारतीय हवाई क्षेत्र के उपयोग पर लगे प्रतिबंधों को कम किया जाएगा ताकि नागरिक उड्डयन क्षेत्र अधिक प्रभावशाली हो। इससे हवाई क्षेत्र के इष्टतम उपयोग, ईंधन के उपयोग एवं समय में कमी और उड्डयन क्षेत्र के लिये प्रतिवर्ष लगभग 1,000 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है।
  • हवाई अड्डों के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल: 12 हवाई अड्डों पर लगभग 13,000 करोड़ रुपए के निजी निवेश हेतु PPP मॉडल के माध्यम से विश्व स्तरीय हवाई अड्डों का निर्माण किया जाएगा।

रक्षा

  • रक्षा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से विनिर्माण में FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% की जाएगी।
  • मेक इन इंडिया: हथियारों/प्लेटफॉर्मों की एक सूची जारी की जाएगी जिनके आयात एक निश्चित वर्ष के लिये प्रतिबंधित रहेगा। इसके अतिरिक्त सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण द्वारा ऑर्डिनेंस आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार करने की योजना बनाई है।

बिजली:

  • वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिये लिक्विडिटी सहयोग: बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी सहायता प्रदान की जाएगी। यह पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन के फंड के रूप में होगा। विशेष रूप से बिजली उत्पादक या कंपनियों को उनकी देनदारियों के निर्वहन के लिये राज्य सरकार से गारंटीशुदा ऋण प्रदान किया जाएगा। कोयले की निकासी के लिये अवसंरचना के विकास पर 50,000 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे।

आवास और सामाजिक क्षेत्र

  • मध्यम आय वर्ग (MIG) के लिये क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना: मध्यम आय वर्ग (MIG) (वार्षिक आय 6 लाख रुपए और 18 लाख रुपए के बीच) के लिये क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना को मार्च 2021 तक एक वर्ष के लिये बढ़ाया जाएगा।
  • मनरेगा के लिये आवंटन: मनरेगा के अंतर्गत अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे। इससे मनरेगा के लिये केंद्रीय बजट आवंटन 61,500 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2020-21 के लिये 1,01,500 करोड़ रुपए (65% की वृद्धि) हो गया है।

वित्तीय संकट को कम करने के लिये RBI के अतिरिक्त उपाय

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कोविड-19 लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुए वित्तीय संकट को कम करने हेतु अनेक अतिरिक्त उपायों की घोषणा की है। इन उपायों में रेपो दर को और कम करना, टर्म लोन चुकाने हेतु अवधि बढ़ाना एवं आयात व निर्यात को सहयोग देने के उपाय शामिल हैं। इनका विवरण निम्नलिखित हैं:

  • पॉलिसी दरें: रेपो दर (जिस दर पर RBI बैंकों को उधार देता है) को 4.4% से घटाकर 4% कर दिया गया। रिवर्स रेपो रेट (जिस दर पर RBI बैंकों से उधार लेता है) को 3.75% से घटाकर 3.35% कर दिया गया। सीमांत स्थायी सुविधा दर (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक दर (जिस दर पर RBI विनिमय के बिल खरीदता है) को 4.65% से घटाकर 4.25% कर दिया गया। अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस के प्रभाव को कम करने और वृद्धि को बहाल करने के लिये मौद्रिक नीति की समायोजक स्थिति (मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाना या उसमें ढिलाई करना) को बरकरार रखा जाएगा।
  • टर्म लोन पर मोहलत: मार्च 2020 में RBI ने सभी ऋण संस्थानों को 1 मार्च, 2020 तक बकाया सभी ऋणों के भुगतान की अवधि को तीन महीने बढ़ाने की की अनुमति दी थी। इसे अन्य तीन महीनों (31 अगस्त, 2020) तक बढ़ा दिया गया है। यह मोहलत देने से संपत्ति वर्गीकरण में गिरावट नहीं आएगी। कार्यशील पूंजी जैसे कि कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट के लिये भी उधार देने वाली संस्थाओं को ब्याज की वसूली पर तीन महीने (31 अगस्त, 2020 तक) की मोहलत की अनुमति दी गई है।
  • निर्यात और आयात से संबंधित उपाय: आयात के लिये प्रेषण (सोने, हीरे या आभूषणों को छोड़कर) को वर्तमान में शिपमेंट की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर पूरा किया जाना आवश्यक है। RBI ने 31 जुलाई, 2020 को या इससे पहले किये गए आयात के लिये शिपमेंट की तारीख को छह महीने से बढ़ाकर बारह महीने कर दिया है। भारतीय निर्यात-आयात बैंक को अंतर्राष्ट्रीय ऋण पूंजी बाज़ार में धन जुटाने के लिये अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये 15,0000 करोड़ रुपए की क्रेडिट लाइन दी जाएगी।

प्रवासी मज़दूरों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने देश के विभिन्न भागों में फँसे हुए प्रवासी श्रमिकों की समस्या का संज्ञान लेते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण, परिवहन की प्रक्रिया और उन्हें भोजन एवं आश्रय प्रदान करने की प्रक्रिया में कमियाँ रही हैं। इन समस्याओं को देखते हुए न्यायालय ने निम्नलिखित अंतरिम निर्देश जारी किये:

  • भोजन का प्रबंध:  संबंधित सरकारों द्वारा उन प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त भोजन प्रदान कराया जाना चाहिये जो देश के विभिन्न स्थानों पर फँसे हुए हैं। इस सूचना को सार्वजनिक किया जाना चाहिये और उन श्रमिकों को अधिसूचित किया जाना चाहिये जो बस या ट्रेनों में चढ़ने के लिये अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त किसी ट्रेन से यात्रा शुरू करने वाले श्रमिकों को उस राज्य द्वारा भोजन और पानी प्रदान करना चाहिये तथा रेलवे को यात्रा के दौरान भोजन व पानी देना चाहिये। यही सुविधाएँ वहाँ भी दी जानी चाहिये जहाँ प्रवासी श्रमिकों को बस द्वारा ले जाया जाता है।
  • किराए का भुगतान: प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन या बस से यात्रा का किराया नहीं लिया जाना चाहिये। रेल का किराया राज्यों को उनकी व्यवस्थाओं के अनुसार साझा करना चाहिये।
  • प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण: राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिये और उसे जल्द-से-जल्द पूरा करना चाहिये तथा जिन स्थानों पर श्रमिक फँसे हुए हैं। वहाँ श्रमिकों के लिये परिवहन के साधनों के संबंध में पूरी सूचना को सार्वजनिक किया जाना चाहिये।
  • गंतव्य वाले राज्यों की बाध्यताएँ: प्रवासी श्रमिकों के अपने मूल स्थान पर पहुँचने के बाद गंतव्य राज्य को स्वास्थ्य की जाँच, परिवहन और अन्य सुविधाएँ मुफ्त में प्रदान करनी चाहिये।
  • सड़कों पर चलने वाले प्रवासी श्रमिकों के प्रति कर्त्तव्य: राजमार्गों या सड़कों पर चलने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थान के लिये परिवहन और भोजन एवं पानी सहित सभी सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिये।

आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020

इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने आरोग्य सेतु मोबाइल एप के संबंध में डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 जारी किया। 

  • केंद्र सरकार ने कांटेक्ट ट्रेसिंग (कोविड-19 से संक्रमित होने की सर्वाधिक आशंका वाले लोगों को चिह्नित करना और उनकी निगरानी करना) और उपयोगकर्त्ताओं द्वारा अपने संक्रमित होने के खतरे का आकलन करने के लिये अप्रैल 2020 में इस एप को जारी किया था।
  • प्रोटोकॉल का उद्देश्य एप द्वारा सुरक्षित और प्रभावी डेटा संग्रह और साझाकरण को सुनिश्चित करना है ताकि लोगों का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित रहे। प्रोटोकॉल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • डेटा संग्रह: एप द्वारा एकत्र किये जाने वाले डेटा और उसके उपयोग के उद्देश्य को एप की गोपनीय नीति में स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट होना चाहिये। डेटा संग्रह को उस सीमा तक किया जाना चाहिये जो स्वास्थ्य संबंधी प्रतिक्रिया देने या उसे लागू करने के लिये आवश्यक है। यह संग्रह निष्पक्ष, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से संसाधित किया जाना चाहिये।
    • डेटा स्टोरेज: एप निम्नलिखित से संबंधित डेटा एकत्रित करता है: 
      (i) उपयोगकर्त्ता का जनसांख्यिकीय विवरण 
      (ii) समय-समय पर उपयोगकर्त्ता की लोकेशन 
      (iii) उपयोगकर्त्ता के करीब आने वाले लोगों का डेटा
      (iv) सेल्फ असेसमेंट डेटा
  • जब तक उपयोगकर्त्ता अपने डेटा को डिलीट करने को नहीं कहता तब तक जनसांख्यिकीय विवरण सरकार के पास संग्रहीत किये जाएंगे। लोकेशन का डेटा और उपयोगकर्त्ता के करीब आने वाले अन्य लोगों का डेटा डिवाइस में ही रहेगा, जिसे स्वास्थ्य संबंधी प्रतिक्रिया को तैयार करने या उसे लागू करने के लिये सरकारी सर्वर में अपलोड किया जा सकता है। यह डेटा और सेल्स असेसमेंट डेटा को डेटा जमा होने के बाद 180 दिनों से अधिक के लिये स्टोर नहीं किया जाएगा।
  • व्यक्तिगत डेटा का साझाकरण: एप द्वारा एकत्र किये गए डेटा को स्वास्थ्य संबंधी प्रतिक्रिया को तैयार करने या उसे लागू करने के लिये स्वास्थ्य मंत्रालय या किसी भी राज्य के स्वास्थ्य विभाग या केंद्रीय (या राज्य) आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ साझा किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो तो डेटा को केंद्र या राज्य सरकार के अन्य विभागों को डीआइडेंटिफाइड फॉरमेट में साझा किया जाएगा। नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर उन एजेंसियों की सूची बनाए रखेगा जिनके साथ डेटा को साझा किया गया है। डेटा को गुप्त तरीके (जहाँ यह चिह्नित करना संभव न हो कि यह डेटा किस व्यक्ति से संबंधित है) से अनुसंधान के लिये भी साझा किया जा सकता है ।
  • प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के परिणामस्वरूप आपदा प्रबंधन अधिनियम में निर्दिष्ट सज़ा हो सकती है। प्रोटोकॉल 6 महीने तक लागू है और इसके बाद इसे संशोधित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त एप के एंड्रॉइड संस्करण के लिये इसके सोर्स कोड को समीक्षा और सहयोग के लिये ओपन सोर्स बनाया गया है।

वंदे भारत मिशन के अंतर्गत प्रत्यार्पण के लिये पात्रता का मानदंड

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वंदे भारत मिशन के अंतर्गत भारत से की जाने वाली उड़ानों की टिकटों की खरीद पर यात्रियों के लिये पात्रता के मानदंड जारी किये। 

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सीफेयरर्स के लिये वेलफेयर योजना 

शिपिंग मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त संस्था सीफेयर्स वेलफेयर फंड सोसाइटी ने भारतीय सीफेयर्स और उनके परिवारों के लिये वेलफेयर योजना की घोषणा की है जो कोविड-19 से प्रभावित हो सकते हैं। 

  • यह योजना 1 फरवरी, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक प्रभावी रहेगी। योजना के अंतर्गत सीफेयर्स और उनके परिवारों को निम्नलिखित के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी: 
    • अधिसूचित अस्पतालों में कोविड-19 के अंतरंग उपचार के लिये 
    • सीफेयर्स की मृत्यु की स्थिति में। 
  • चिकित्सा उपचार के लिये अधिकतम वित्तीय सहायता एक लाख रुपए होगी और मृत्यु के मामले में यह राशि दो लाख रुपए (सीफेयर्स  के परिजन हेतु) होगी।

PM CARES फंड CSR हेतु पात्र गतिविधियों की सूची में शामिल

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थितियों में राहत कोष को कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility-CSR) के लिये पात्र गतिविधियों की सूची में शामिल करने की अधिसूचना जारी की है। 

  • अधिनियम के अंतर्गत एक निर्धारित मात्रा से अधिक लाभ, निवल संपति एवं कारोबार वाली कंपनियों को अपने पिछले 3 वित्तीय वर्षों के शुद्ध वित्तीय लाभ का 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करना होगा। यह उपाय 28 मार्च, 2020 से उस पूर्वव्यापी रूप में लागू होगा, जब यह फंड बनाया गया था।

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PF खातों में नियोक्ता एवं कर्मचारी के अंशदान की दरों में कटौती हेतु संशोधन

कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 (Employees’ Provident Funds Scheme, 1952) प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के लिये योगदान आधारित भविष्य निधि (Provident Fund- PF) योजना प्रदान करती है।

  • वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज के अंतर्गत विभिन्न उपायों का विवरण पेश किया था जिनमें से एक यह था कि तीन महीने के लिये PF योजना में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के योगदान की दरों में कटौती की जाएगी और इसे 12% से 10% किया जाएगा। यह निम्नलिखित पर लागू नहीं होगा: 
    • मार्च 2020 में वित्तमंत्री द्वारा घोषित PM गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत पात्र श्रमिक।
    • केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक उद्यमों पर।
  • श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने इस उपाय को लागू करने के लिये प्रावधानों को अधिसूचित किया। यह संशोधन मई 2020 से तीन महीने के लिये प्रभावी रहेगा।
  • इसके अतिरिक्त कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में स्थापित) ने भी स्पष्ट किया है कि लॉकडाउन के दौरान नियोक्ताओं द्वारा योगदान या अन्य शुल्कों के भुगतान में किसी भी देरी के लिये अधिनियम के अंतर्गत कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी।

वर्क फ्रॉम होम सुविधा के लिये नियम और शर्तों में राहत 

मार्च में दूरसंचार विभाग (DoT) ने वर्क फ्रॉम होम सुविधा के लिये अन्य सेवा प्रदाताओं (OSP) पर लागू नियम और शर्तों में 30 अप्रैल, 2020 तक कुछ छूट दी थी। इसके बाद इसे 31 मई, 2020 तक बढ़ा दिया गया था। अब इसे 31 जुलाई, 2020 तक बढ़ाया गया है।

  • OSP ऐसी कंपनियाँ हैं जो कि विभिन्न एप्लीकेशन सेवाएँ जैसे- टेली-बैंकिंग, टेली-कॉमर्स, कॉल सेंटर और अन्य IT-सक्षम सेवाएँ प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिये एक बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कंपनी (BPO) एक OSP है। उन्हें इस देश में सेवाएँ प्रदान करने के लिये DoT के साथ पंजीकरण करना पड़ता है। OSP ऐसे व्यक्तियों को भी काम पर रख सकती है जो घर से काम करें। OSP को दूरसंचार विभाग से इस संबंध में अनुमति लेनी पड़ती है और उन्हें वर्क फ्रॉम होम की सुविधा के लिये बैंक गारंटी देनी पड़ती है।
  • वर्क फ्रॉम होम की सुविधा के लिये जिन नियम और शर्तों में मुख्य राहत दी गई है, उनमें निम्नलिखित छूट शामिल हैं: 
    • DoT से पूर्व अनुमति लेना।
    • अधिकृत सेवा प्रदाताओं से सुरक्षित वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का उपयोग करना।
    • सुरक्षा जमा और अनुबंध प्रस्तुत करना।

सामुदायिक रेडियो के ग्रांट ऑफ परमीशन एग्रीमेंट का विस्तार

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने उन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के ग्रांट ऑफ परमीशन एग्रीमेंट को विस्तार दिया है जो समाप्त हो गए हैं या 30 जून, 2020 को समाप्त होने वाले थे। 

  • यह विस्तार इसलिये दिया गया है क्योंकि कई संगठन कोविड-19 के कारण अपने परमीशन एग्रीमेंट को नवीनीकृत नहीं कर सके थे।
  • इस तरह के समझौतों को 31 अक्तूबर, 2020 तक की अंतरिम अवधि के लिये नवीनीकृत किया जाएगा, जो कि पिछले समझौते में सहमत नियमों और शर्तों के अनुसार है। 
  • नवीनीकरण की अंतरिम अवधि को नवीनीकरण के किसी भावी अवधि के तौर पर गिना जाएगा।

कोयला

रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक की नीलामी 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वाणिज्यिक बिक्री के लिये कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक्स की नीलामी के लिये एक नए तरीके को मंज़ूरी दी है जो कि रेवेन्यू शेयरिंग अर्थात् राजस्व साझाकरण पर आधारित है। 

  • इससे पहले कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक्स की नीलामी प्रति टन के लिये एक निश्चित राशि के आधार पर की जाती थी। 
  • नई पद्धति के अंतर्गत सफल बोलीदाताओं को प्रति टन उत्पादन के लिये एक निश्चित मूल्य का भुगतान करने के बजाय सरकार के साथ राजस्व का निश्चित प्रतिशत साझा करना होगा।

इस पद्धति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • बोली का मानदंड: नीलामी में भाग लेने वालों को इस बात के लिये बोली लगानी होगी कि वे राजस्व का कितना प्रतिशत सरकार के साथ शेयर करेंगे। फ्लोर प्राइज़ राजस्व हिस्से का 4% होगा।
  • अग्रिम राशि का भुगतान: सफल बोलीदाता को एक अग्रिम राशि का भुगतान करना होगा जो कि खदान के अनुमानित भू-वैज्ञानिक भंडार के मूल्य का 0.25% होगा। अग्रिम राशि निम्नलिखित से अधिक नहीं होगी:
    • 200 मिलियन टन तक के भू-वैज्ञानिक भंडार के लिये 100 करोड़ रुपए। 
    • 500 मिलियन टन तक के भू-वैज्ञानिक भंडारों के लिये 500 करोड़ रुपए।
  • मासिक भुगतान: सफल बोलीदाता को सरकार को एक मासिक भुगतान करना होगा जो निम्नलिखित पर आधारित होगा: 
    • राजस्व के हिस्से का प्रतिशत। 
    • कोयले की मात्रा जिस पर वैधानिक रॉयल्टी महीने के दौरान देय है। 
    • नोशनल या वास्तविक मूल्य, जो भी अधिक हो।
  • प्रारंभिक उत्पादन और स्वच्छ उपयोग के लिये प्रोत्साहन: सफल बोलीदाता को निम्नलिखित स्थितियों में राजस्व की हिस्सेदारी में छूट दी जाएगी: 
    • जल्दी उत्पादन करने। 
    • गैसीकरण और द्रवीकरण के लिये कोयले की खपत या उसकी बिक्री।
  • कोल बेड मीथेन: यह पद्धति लीज़ क्षेत्र में मौजूद कोल बेड मीथेन के व्यवसायिक दोहन की भी अनुमति देता है। कोल बेड मीथेन प्राकृतिक गैस का एक रूप है जो कोयले के संस्तरों में पाई जाती है।

कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि:

कैबिनेट ने गैर-विनियमित क्षेत्र में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 15 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दिया है। 

  • गैर-विनियमित क्षेत्र में सीमेंट, स्टील, स्पॉन्ज आयरन और एल्यूमीनियम शामिल हैं। कोयले को  इन क्षेत्रों में कोयला कंपनियों के साथ ईंधन आपूर्ति एग्रीमेंट के माध्यम से लंबे समय के लिये सप्लाई किया जाता है।

कोयला ब्लॉक आवंटन (संशोधन) नियम, 2020 

कोयला मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन नियम, 2017 में संशोधन करने के लिये कोयला ब्लॉक आवंटन (संशोधन) नियम, 2020 को अधिसूचित किया। 

  • खदान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR Act) के अंतर्गत जारी किये गए 2017 के नियम कोयला ब्लॉक्स की नीलामी और आवंटन के लिये नियम और शर्तें प्रदान करते हैं।
  • निम्नलिखित को प्रभावी करने के लिये 2017 के नियमों में संशोधन अधिसूचित किये गए हैं-
    • खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम, 2020 (Mineral Laws (Amendment) Act, 2020) के प्रावधान।
    • रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर वाणिज्यिक बिक्री के लिये कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक्स की नीलामी।
  • कोयला ब्लॉक आवंटन नियम, 2017 में मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • नीलामी या आवंटन के लिये मूल्य: 2017 के नियम सीलिंग प्राइज़, फ्लोर प्राइज़ और रिज़र्व प्राइज़ का प्रावधान करते हैं जिन्हें केंद्र सरकार कुछ प्रकार की नीलामी या आवंटन के लिये तय कर सकती है। यह इसलिये संशोधित किया गया है कि इन मूल्यों को मूल्य या प्रतिशत के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है।
    • परफॉरमेंस बैंक गारंटी: 2017 के नियम यह प्रावधान करते हैं कि सफल आवंटी द्वारा केंद्र सरकार को एक परफॉरमेंस बैंक गारंटी प्रदान की जाएगी। इसके ज़रिये राज्य सरकार भी खनन पट्टा मिलने पर आवंटी से परफॉरमेंस बैंक गारंटी मांग सकती है। इसे संशोधित किया गया है और यह प्रावधान किया गया है कि सफल आवंटी खदान संबंधी अनुमति मिलने पर बिना शर्त और अपरिवर्तनीय प्रदर्शन बैंक गारंटी देगा। राज्य सरकार को प्रदान दी गई बैंक गारंटी केंद्र सरकार को दी गई बैंक गारंटी के बराबर होगी।
    • निर्दिष्ट एंड-यूज़ क्लॉज: 2017 के नियमों में कुछ कोयला खदानों के आवंटन के लिये विद्युत उत्पादन और स्टील उत्पादन जैसे एंड-यूज़ निर्दिष्ट किये गए हैं। इन प्रावधानों को हटा दिया गया है। यह खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम, 2020 के प्रावधानों के परिणामस्वरूप है, जिसने कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत निर्दिष्ट खदानों से कोयले के एंड-यूज़ पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।
    • प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंसिंग-कम-माइनिंग लीज़: नए नियमों के अंतर्गत अब कोयला ब्लॉक के लिये प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस-कम-माइनिंग लीज़ कवर होगा। खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम, 2020 कम्पोज़िट लाइसेंस खनन गतिविधियों की अनुमति देता है।

राष्ट्रीय कोयला सूचकांक के लिये मानक संचालन प्रक्रिया

कोयला मंत्रालय ने राष्ट्रीय कोयला सूचकांक के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की। 

  • सूचकांक कोयले के बाज़ार मूल्य को प्रदर्शित करेगा। सूचकांक के अन्य उपयोगों में निम्नलिखित शामिल हैं: 
    • टैक्सेशन के लिये बेस इंडिकेटर के रूप में उपयोग।
    • अपफ्रंट राशि और भविष्य के खदानों का मूल्य।
  • SOP में प्रावधान है कि सूचकांक को दो महीने में एक बार प्रकाशित किया जाएगा। कोयला नियंत्रक संगठन निम्नलिखित के लिये ज़िम्मेदार होगा: 
    • कोयले की कीमतों से संबंधित डेटा एकत्र करना। 
    • प्राइज़ डेटा का सांख्यिकीय सत्यापन।
    • मूल्यों में परिवर्तन पर विस्तृत तकनीकी नोट तैयार करना।
  • कोयला मंत्रालय आँकड़ों की जाँच और परिणामों के प्रकाशन के लिये ज़िम्मेदार होगा।

बिजली 

शक्ति नीति के अंतर्गत कोयले के आवंटन की पद्धति में संशोधन

विद्युत मंत्रालय ने मई 2020 में शक्ति नीति के अंतर्गत कोयले के आवंटन की पद्धति में संशोधन किया है। 

  • नीति के अंतर्गत थर्मल पावर प्लांटों को अल्पावधि लिंकेज प्रदान किये जाते हैं। वर्तमान में कैप्टिव पावर प्लांटस को छोड़कर 50% से अधिक की एकीकृत क्षमता वाले सभी अन्य पावर प्लांट्स (बिजली खरीद एग्रीमेंट के बिना उत्पादन क्षमता) अल्पावधि की कोयला लिंकेज नीलामी में भाग लेने के लिये पात्र हैं। 
  • यह लिंकेज तीन महीने के लिये प्रदान किया जाता है। इस संशोधन के बाद सभी पावर प्लांट्स, जिनके पास पावर परचेज़ एग्रीमेंट नहीं है, कोल लिंकेज नीलामी में भाग ले सकेंगे। इन पावर प्लांट्स को एक वर्ष तक के लिये कोल लिंकेज दिया जाएगा।

नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय के लिये NTPC और ओएनजीसी का संयुक्त उपक्रम

नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) ने नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय के लिये एक संयुक्त उपक्रम स्थापित करने हेतु समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये। समझौता ज्ञापन निम्नलिखित का प्रावधान करता है: 

  • भारत और विदेशों में ऑफशोर विंड और अन्य नवीकरणीय उर्जा परियोजनाओं की स्थापना।
  • सस्टेनेबिलिटी, ई-मोबिलिटी और ESG (पर्यावरण, सामाजिक और सुशासन) अनुरूप परियोजनाओं के क्षेत्र में सहयोग करना।
  • MoU की मदद से NTPC और ONGC को क्रमशः वर्ष 2032 और वर्ष 2040 तक 32 गीगावाट और 10 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मिल सकती है।

परिवहन 

मोटर वाहनों के उत्सर्जन और शोर संबंधी मानदंडों के अनुपालन से संबंधित मसौदा संशोधन 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में मसौदा संशोधनों को जारी किया।

  • मसौदा अधिसूचना में प्रमाणपत्र में कुछ बदलाव का सुझाव दिया गया है जो वायु प्रदूषण मानकों और सड़क की क्षमता के साथ वाहनों के अनुपालन का प्रावधान करता है।
  • यह प्रमाणपत्र वाहन निर्माता या आयातक या पंजीकृत एसोसिएशन द्वारा ई-रिक्शा या ई-कार्ट के संबंध में जारी किया जाता है और यह प्रमाणित करता है कि प्रस्तुत वाहन कुछ निर्धारित मानकों को पूरा करता है। प्रस्तावित नियम में कुछ प्रदूषकों (जैसे कि मीथेन, अमोनिया और कई दूसरे कणों की संख्या) को जोड़ा गया है, जिनके उत्सर्जन स्तर को भी प्रपत्र में सूचित किया जाना चाहिये।
  • मसौदा नियमों पर टिप्पणियाँ इन नियमों के प्रकाशन की तारीख से 30 दिनों के भीतर यानी 10 जून, 2020 से पहले आमंत्रित की गई हैं।

अमान्य फास्टैग वाले वाहनों पर दोगुना टोल शुल्क

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) संशोधन नियम, 2020 को अधिसूचित किया। 

  • यह राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह), नियम, 2008 में संशोधन करता है, जो कि टोल शुल्क के नकद या स्मार्ट कार्ड के ज़रिये या ऑन-बोर्ड यूनिट के ज़रिये भुगतान का प्रावधान करता है। ऑन-बोर्ड यूनिट में नकद का उपयोग न करने पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगता। 
  • वर्ष 2008 के नियमों में 2014 में संशोधन किया गया था ताकि फास्टैग के माध्यम से टोल शुल्क का भुगतान किया जा सके। फास्टैग एक रीलोडेबल टैग है जिसमें टोल प्लाज़ा पर टोल शुल्क की स्वचालित कटौती हो जाती है।
  • वर्ष 2014 के संशोधन में यह अनिवार्य किया गया था कि फास्टैग लेन का उपयोग करने वाले फास्टैग रहित वाहनों से दोगुने टोल शुल्क की वसूली की जाएगी। 
  • वर्ष 2020 के संशोधन से यह जोड़ा गया है कि अमान्य फास्टैग वाले या टोल शुल्क के लिये टैग में अपर्याप्त राशि वाले वाहनों से दोगुना टोल शुल्क वसूला जाएगा।

क्वाड्रिसाइकल के लिये BS-VI उत्सर्जन के नियम

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन (चौथे) संशोधन, 2020 को अधिसूचित किया। 

  • संशोधन 1 अप्रैल, 2020 को या उसके बाद निर्मित क्वाड्रिसाइकल के लिये भारत स्टेज-VI (BS-VI) उत्सर्जन मानक और परीक्षण प्रक्रिया प्रदान करता है। 
    • एक क्वाड्रिसाइकल एक चार पहिया वाहन होता है जो एक यात्री कार की तुलना में छोटा और हल्का होता है। 
  • मोटर वाहनों से निकलने वाले वायु प्रदूषकों को विनियमित करने के लिये भारत सरकार द्वारा भारत चरण उत्सर्जन मानक स्थापित किये जाते हैं। 
  • यह अधिसूचना भारत में सभी दो और तीन पहिया, क्वाड्रिसाइकिल, यात्री वाहनों तथा वाणिज्यिक वाहनों के लिये BS-VI की प्रक्रिया को पूरा करती है। 

पर्यावरण 

पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन

जनवरी 2014 में पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स में केवल 34% (तिमाही आधार पर) ऐश कंटेंट वाले कोयले का उपयोग अनिवार्य करने के लिये पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन किया था। 

  • इन प्लांट्स में 100 मेगावाट या उससे अधिक क्षमता के कैप्टिव प्लांट और सभी स्टैंड-अलोन प्लांट शामिल थे। 
  • यह शर्त कोयला खदान से थर्मल पावर प्लांट की दूरी पर भी आधारित थी। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस शर्त को हटाने के लिये 1986 के नियमों में संशोधन किया है।

यह बिजली मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और नीति आयोग के रिप्रेज़ेंटेशन के मद्देनज़र और कोविड-19 महामारी के दौरान घरेलू कोयला क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिये किया गया था। रिप्रेज़ेंटेशन में शामिल हैं: 

  • 34% की औसत ऐश कंटेंट को बनाए रखने के लिये उद्योगों को कोयले का आयात करना पड़ता है जिससे विदेशी मुद्रा का बहिर्गमन होता है। 
  • कोयला धावनशाला (Coal Washery) के अपशिष्ट के उपयोग से अधिक प्रदूषण होता है। 
  • कोयला धुलाई से बड़े पैमाने पर जल निकासी पैटर्न, जल निकायों और आसपास की वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

मंत्रालय ने यह प्रावधान किया कि ऐश कंटेंट या दूरी से संबंधित शर्तों के बिना बिजली प्लांट्स द्वारा कोयले के उपयोग की अनुमति दी जाएगी। हालाँकि निम्नलिखित शर्तों का अनुपालन करना होगा:

  • उत्सर्जन मानदंडों के लिये प्रौद्योगिकी समाधान स्थापित करना: इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों के अनुसार, पार्टिकुलेट मैटर के लिये निर्दिष्ट उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन।
    • अपशिष्ट का उपयोग करने के लिये वॉशरीज़ में उपयुक्त तकनीक स्थापित करना।
  • ऐश पांड्स का प्रबंधन: इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
    • मंत्रालय द्वारा अधिसूचित फ्लाई ऐश शर्तों का अनुपालन।
    • ऐश प्रबंधन के लिये पानी की खपत का अनुकूलन करने हेतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी समाधान स्थापित करना।
  • परिवहन: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि रेल या कन्वेयर द्वारा कोयले के परिवहन के लिये पावर प्लांट्स में या उसके पास रेल साइडिंग या कन्वेयर सुविधा स्थापित की जाए। यदि रेल या कन्वेयर सुविधा द्वारा परिवहन उपलब्ध नहीं है, तो कोयले को सड़क मार्ग से ढँके हुए ट्रकों में ले जाना चाहिये।
  • इसके अतिरिक्त अधिसूचना प्रावधान करती है कि वर्ष 2020-21 से परियोजनाओं के लिये पर्यावरण मंज़ूरी इन शर्तों को पूरा करने पर निर्भर होगी।

तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना, 2011 में संशोधन 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना, 2011 में संशोधन किया है। 

  • तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना कुछ तटीय हिस्सों को तटीय विनियमन क्षेत्र घोषित करती है और इस क्षेत्र में उद्योगों, परिचालन तथा प्रक्रियाओं की स्थापना एवं विस्तार पर प्रतिबंध लगाती है।
  • अधिसूचना में संशोधन यह प्रावधान करता है कि अधिसूचना के अंतर्गत मैंग्रोव के कुछ क्षेत्रों को संरक्षित किया जाएगा। 
    • इनमें 19 फरवरी, 1991 से पहले निर्मित जलद्वार (स्लुइस गेट) से परे खारे पानी की पहुँच के कारण उत्पन्न होने वाले मैंग्रोव क्षेत्र शामिल हैं। इसलिये इन मैंग्रोव को किसी भी विकासात्मक गतिविधियों के लिये परिवर्तित नहीं किया जाएगा।

जल संसाधन

स्वच्छ भारत मिशन चरण II के ऑपरेशनल दिशा-निर्देश

जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (SBM-G) चरण II के लिये ऑपरेशनल दिशा-निर्देशों को अधिसूचित किया। योजना के दूसरे चरण का उद्देश्य गाँवों को खुले में शौच मुक्त बनाए रखना और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर में सुधार करना है। दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

  • SBM-G चरण II के घटक: सभी राज्यों को निम्नलिखित घटकों के आधार पर एक विस्तृत कार्यान्वयन रणनीति विकसित करनी होगी: 
    • व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण। 
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (जैव-निम्नीकरणीय और प्लास्टिक)। 
    • तरल अपशिष्ट प्रबंधन और धूसर पानी प्रबंधन। 
    • मल कीचड़ प्रबंधन।
  • संस्थागत व्यवस्था: मिशन के कार्यान्वयन की योजना बनाने और उसे सुविधाजनक बनाने में सहायता के लिये केंद्र, राज्य और ग्रामीण स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा।
  • क्षमता निर्माण: राज्य, ज़िला और ग्राम स्तर पर सभी हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। हितधारकों में आशा, आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, मिस्त्री और गैर-सरकारी संगठनों के अधिकारी शामिल होंगे। प्रशिक्षण चरण के विभिन्न पहलुओं पर हो सकता है, जिसमें पारस्परिक संवाद, डोर-टू-डोर यात्रा, चिनाई कार्य, नलसाजी, शौचालयों के रखरखाव के लिये कौशल और अन्य ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) गतिविधियों के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना शामिल है।
  • बाज़ार से जुड़ी SLWM गतिविधियाँ: SBM-G चरण II स्वच्छता अर्थव्यवस्था के प्रति निजी व्यवसायों को आकर्षक बनाने के लिये व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य समाधानों पर ध्यान केंद्रित करेगा। ग्रामीण स्वच्छता में निजी क्षेत्र को शामिल करने के संभावित तरीके निम्नलिखित हो सकते हैं: 
    • शौचालय और SLWM अवसंरचना के नवीन एवं कम लागत वाले मॉडल विकसित करने में तकनीकी सहायता प्रदान करना।
    • स्थानीय व्यवसायों को बाज़ार लिंकेज और वित्तपोषण प्रदान करते हुए सैनिटेशन वैल्यू चेन उत्पादों की मांग को बढ़ाना आदि।

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जनजातीय मामले

लघु वन उत्पाद के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने लघु वन उत्पाद (Minor Forest Produce-MFP) के रूप में वर्गीकृत 49 वस्तुओं के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) को संशोधित किया है। 

  • MSP केंद्र सरकार द्वारा किसान से सीधे वस्तुएँ खरीदने के लिये निर्धारित कृषि उत्पाद मूल्य है। 
  • कुछ वस्तुएँ जिनके लिये MSP को संशोधित किया गया है, उनमें इमली, जंगली शहद और नीम के बीज शामिल हैं। 
  • MFP मदों के MSP में 16% से 66% तक वृद्धि होती है। संशोधन आमतौर पर प्रत्येक तीन वर्ष में होता है। हालाँकि मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के कारण जल्द संशोधन कर दिया है।
  • इसके अतिरिक्त 23 MFP आइटम्स को MSP योजना के तहत वर्गीकृत किया गया है। इससे MSP के लिये पात्र MFP मदों की संख्या 50 से बढ़कर 73 हो गई है। MSP के लिये पात्र कुछ अतिरिक्त वस्तुओं में काले चावल, सूखा अदरक और काजू शामिल हैं।
  • 10 राज्यों में MFP वस्तुओं की खरीद शुरू हो गई है। इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह छूट दी है कि वे केंद्र सरकार की MSP से मूल्य को 10% अधिक या कम कर सकतें हैं। राज्यों में स्थापित वन धन केंद्र हाट बाज़ारों से प्राथमिक खरीद एजेंट्स के रूप में कार्य करते है।

शिक्षा

MHRD द्वारा कुछ शिक्षक शिक्षण कार्यक्रमों के लिये पूर्वव्यापी मान्यता: 

मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (MHRD) ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित विभिन्न शिक्षक शिक्षण कार्यक्रमों को पूर्वव्यापी मान्यता प्रदान की है। 

  • इनमें बैचलर ऑफ आर्ट्स, बैचलर ऑफ एजुकेशन और संस्थानों द्वारा संचालित अन्य ब्रिज कोर्स शामिल हैं। ये कार्यक्रम राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (National Council for Teacher Education- NCTE) से बिना किसी औपचारिक मान्यता के संचालित किये जा रहे थे।
  • उल्लेखनीय है कि NCTE कानूनी रूप से शिक्षक शिक्षण पर पाठ्यक्रम संचालित करने के लिये शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता देता है। इन मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद ही कोई व्यक्ति स्कूल शिक्षक के रूप में नियुक्ति के योग्य बनता है।
  • कुछ सरकारी संस्थानों ने विद्यार्थियों को शिक्षक शिक्षण पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया था जो NCTE द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थे। इस प्रकार स्कूली शिक्षकों के रूप में रोज़गार के प्रयोजन के लिये उनकी योग्यता मान्य नहीं थी। उल्लेखनीय है कि 2019 में कुछ शिक्षक शिक्षण संस्थानों को पूर्वव्यापी मान्यता के लिये अनुमति देने हेतु राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक पारित किया गया था।

रक्षा

बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर शेकातकर समिति के सुझाव

सरकार ने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित शेकातकर समिति के कुछ सुझावों को स्वीकार और लागू किया। शेकातकर समिति का गठन युद्धक क्षमता को बढ़ाने और रक्षा व्यय को संतुलित करने के लिये किया गया था। 

  • समिति ने दिसंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। हालाँकि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।
  • सरकार ने समिति के जिन सुझावों को मंज़ूर किया है उनका उद्देश्य सीमा सड़क निर्माण को गति देना है। ये इस प्रकार हैं:
    • सीमा सड़क संगठन (BRO) की इष्टतम क्षमता से परे सड़क निर्माण कार्य को आउटसोर्स द्वारा किया जाएगा। 100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाले सभी कार्यों के लिये इंजीनियरिंग खरीद अनुबंध (Engineering Procurement Contract- EPC) प्रारूप अनिवार्य कर दिया गया है।
    • समिति ने सुझाव दिया कि सड़क निर्माण के लिये आधुनिक निर्माण संयंत्र, उपकरण और मशीनरी का उपयोग किया जाना चाहिये। सरकार ने नई प्रौद्योगिकियों के त्वरित खरीद के लिये 100 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं के लिये BRO को शक्तियाँ दी हैं।
    • समिति ने सुझाव दिया कि परियोजना शुरू करने से पहले मंज़ूरी मिलनी चाहिये। EPC प्रारूप में कार्य आवंटन से पहले 90% वैधानिक मंज़ूरियाँ जैसे- वन और पर्यावरणीय मंज़ूरी मिलने का अधिदेश है।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस

पोर्ट और शिपिंग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन का अध्ययन करने हेतु कार्यसमूह

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तेल व गैस उद्योग के संबंध में बंदरगाहों की मौजूदा पद्धतियों का अध्ययन करने के लिये शिपिंग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन हेतु कार्यसमूह का गठन किया है। 

  • कार्यसमूह के नियमों और संदर्भों में अड़चनों को समाप्त करने के लिये उन क्षेत्रों की पहचान करना शामिल है जिनमें हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त इनमें बंदरगाहों तथा शिपिंग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन के लिये भविष्य के रोडमैप और नीति कार्यों की परिकल्पना भी  शामिल है।
  • समूह की अध्यक्षता मंत्रालय के संयुक्त सचिव (रिफाइनरी) द्वारा की जाएगी और इसमें शिपिंग मंत्रालय तथा तेल एवं गैस क्षेत्र के PSUs जैसे- इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और गैस प्राधिकरण ऑफ इंडिया के प्रतिनिधित्त्व शामिल होंगे। कार्य समूह का कार्यकाल इसके गठन के तीन वर्ष तक होगा।

पर्यटन

मीटिंग्स, प्रोत्साहन, कॉन्फ्रेंस और एग्जिविशन टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिये दिशा-निर्देश

पर्यटन मंत्रालय द्वारा चैंपियन सेक्टर इन सर्विसेज़ स्कीम के अंतर्गत मीटिंग्स, प्रोत्साहन, कॉन्फ्रेंस और एग्जीविशन (Meetings, Incentives, Conferences and Exhibitions-MICE) द्वारा पर्यटन को कुछ वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है। व्यवसाय एवं कारोबारी गतिविधियों हेतु की जाने वाली यात्राओं को MICE पर्यटन के अंतर्गत रखा जाता है।

  • चैंपियन सेक्टर इन सर्विसेज़ स्कीम कुछ सेवा क्षेत्रों को चिह्नित करती है और उनकी क्षमता का आकलन करके उनके विकास को बढ़ावा देती है। इन सेवाओं में पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल, परिवहन और लॉजिस्टिक्स, एकाउंटिंग और वित्त एवं शिक्षा शामिल हैं।
  • MICE पर्यटन के लिये यह वित्तीय प्रोत्साहन कुछ शर्तों के साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों हेतु होटल के कमरे पर 50% GST की प्रतिपूर्ति के रूप में होगा। ऐसा इसलिये किया गया है ताकि सम्मेलन संचालक भारत में और अधिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, बैठकें और सेमिनार आयोजित करवाएँ। यह सुविधा हासिल करने के लिये सम्मेलनों में न्यूनतम 500 प्रतिभागी होने चाहिये। इसके अतिरिक्त इन प्रतिभागियों में से 20% विदेशी होने चाहिये। प्रोत्साहन तीन वर्षों के लिये उपलब्ध होगा।
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