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पीआरएस 2019

विविध

मार्च 2019

  • 10 May 2019
  • 20 min read

PRS की प्रमुख विशेषताएँ

विधि और न्याय

आधार और अन्य विधियाँ (संशोधन) अध्यादेश, 2019 को मंज़ूरी

  • सितंबर 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने आधार अधिनियम के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया, जिसमें आधार को बैंक खातों और मोबाइल फोन के साथ अनिवार्य रूप से जोड़ना शामिल था।
  • विधेयक आधार अधिनियम, 2016 भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 को संशोधित करता है।
  • यह विधेयक आधार संख्या धारक की सहमति से प्रमाणीकरण या ऑफ़लाइन सत्यापन तथा आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग के लिये अनुमति प्रदान करता है।

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश को मंज़ूरी

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, (New Delhi International Arbitration Centre Ordinance) 2019 को राष्ट्रपति द्वारा मंज़ूरी दी गई।

  • यह अध्यादेश भारत में मध्यस्थता के बेहतर प्रबंधन के लिये एक स्वायत्त और स्वतंत्र संस्थान स्थापित करने का प्रावधान करता है।

दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली में सिविल कोर्ट के लिये विनियमनों में संशोधन को मंज़ूरी

  • संविधान के अनुच्छेद 240 के अंतर्गत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन्हें मंज़ूरी दी:
    • दमन और दीव सिविल कोर्ट (संशोधन) विनियमन, 2019
    • दादरा और नगर हवेली (सिविल कोर्ट तथा विविध प्रावधान) संशोधन विनियमन, 2019
  • संशोधनों में इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में सिविल कोर्ट के आर्थिक क्षेत्राधिकार (Pecuniary Jurisdiction) में वृद्धि का प्रावधान शामिल है।
    • आर्थिक क्षेत्राधिकार से अभिप्राय वाद (Case) की आर्थिक कीमत के आधार पर मामले की सुनवाई कर सकने की न्यायालय की शक्ति से है।
  • यह न्यायिक सेवा में एकरूपता लाने में सहायक होगा और वर्तमान सीमित आर्थिक क्षेत्राधिकार के कारण अपील दायर करने के लिये मुम्बई जाने में वादी (Litigants) को होने वाली कठिनाइयों को दूर करेगा।

शिक्षा

केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षण पदों के आरक्षण के लिये अध्यादेश प्रवर्तित

  • केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2019 को मंज़ूरी दी गई
  • यह अध्यादेश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों के लिये केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षण पदों पर आरक्षण का प्रावधान करता है।
    • ऐसे आरक्षण प्रदान करने के लिये किसी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान को एक इकाई के तौर पर माना जाएगा।
    • इसके पूर्व में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान के भीतर प्रत्येक विभाग को एक इकाई माना जाता था।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2019 जारी 

  • यह होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 में संशोधन करता है जिसके तहत केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (Central Council of Homoeopathy) की स्थापना की गई थी।
  • यह केंद्रीय परिषद होम्योपैथिक शिक्षा और चिकित्सा कार्य (प्रैक्टिस) को नियंत्रित करती है।
  • यह अध्यादेश केंद्रीय अधिनियम के सुपरसेशन की समयावधि को एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने के लिये अधिनियम में संशोधन करता है।

इसी बीच राष्ट्रीय होम्योपैथी विधेयक, 2019 जनवरी, 2019 में राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया।

  • मसौदा विधेयक राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग की स्थापना करने का उद्देश्य रखता है जो केंद्रीय होम्योपैथी परिषद को प्रतिस्थापित करेगा।

सूचना प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति, 2019 जारी

  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति, 2019 जारी की।
  • नीति का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद केंद्र के रूप में विकसित करना है।

विद्युत

जल-विद्युत परियोजनाएँ, अक्षय ऊर्जा का स्रोत

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जल-विद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु कुछ उपायों को मंज़ूरी दी।
  • अनुमोदित प्रमुख उपायों में शामिल हैं:
    • वृहद् जल-विद्युत परियोजनाएँ: वृहद् जल-विद्युत परियोजनाओं (25 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जाएगा।
  • पूर्व में केवल लघु जल-विद्युत परियोजनाओं (25 मेगावाट से कम क्षमता) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जाता था।
  • हालांकि, इससे वृहद् परियोजनाएँ स्वतः ही वन और पर्यावरण मंजूरी या प्रभाव आँकलन अध्ययन जैसे वैधानिक मंजूरी के लिये किसी भी विशेष व्यवहार या छूट के योग्य नहीं बन पाएंगी, जो केवल लघु जलविद्युत परियोजनाओं को उपलब्ध है।
    • जल-विद्युत खरीद बाध्यता (Hydro Purchase Obligation-HPO): वर्तमान नवीकरणीय खरीद बाध्यता (RPO-Renewable Purchase Obligation); नवीकरणीय स्रोतों से एक निश्चित न्यूनतम प्रतिशत बिजली खरीदने के लिये कुछ संस्थाओं पर बाध्यता के अंतर्गत HPO एक अलग श्रेणी होगी।
  • यह HPO इस मंज़ूरी के बाद अधिकृत सभी वृहद् पनबिजली परियोजनाओं को अपने दायरे में लेगा।

विभिन्न ताप-विद्युत और जल-विद्युत परियोजनाओं को मंजूरी

कैबिनेट द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण निम्नलिखित है:

  • ताप-विद्युत परियोजनाएँ:
    • बिहार के बक्सर ज़िले में 2x660 मेगावाट की ताप-विद्युत परियोजना को मंजूरी दी गई है। संयंत्र की स्थापना सतलुज जल-विद्युत निगम (SJVN) थर्मल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की जाएगी जो SJVN लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है । SJVN बिजली मंत्रालय के अंतर्गत एक ‘मिनी रत्न’ सीपीएसयू (Central Public Sector Undertakings) का दर्जा रखती है।
    • उत्तर प्रदेश के खुर्जा में 2x660 मेगावाट की ताप-विद्युत परियोजना को मंज़ूरी दी गई है। परियोजना की स्थापना टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (पूर्व में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) द्वारा की जाएगी, जो बिजली मंत्रालय के तहत एक ‘मिनी रत्न’ सीपीएसयू (केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) है।
  • जल विद्युत परियोजनाएँ:
    • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने 624 मेगावॉट की क्षमता वाले किरू जल-विद्युत परियोजना के निर्माण की मंज़ूरी दी है। यह परियोजना जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर शुरू की जाएगी।
    • CCEA ने मेसर्स लैंको तीस्ता हाइड्रो पावर लिमिटेड के अधिग्रहण के लिये निवेश की मंजूरी और सिक्किम में NHPC लिमिटेड द्वारा तीस्ता चरण-VI जल विद्युत के शेष कार्यों के निष्पादन के लिये भी मंज़ूरी दी है।

सामाजिक न्याय

ग्वालियर में विकलांगता खेल केंद्र की स्थापना को मंजूरी

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में विकलांगता खेल केंद्र (Centre for Disability Sports) की स्थापना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।

  • इस केंद्र को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाएगा।
  • इस केंद्र में एक आउटडोर एथलेटिक स्टेडियम, एक इनडोर खेल परिसर, एक खेल विज्ञान केंद्र और खिलाड़ियों (एथलीटों) के लिये छात्रावास की सुविधा उपलब्ध होगी।
    • प्रशिक्षण के लिये चिह्नित किए गए खेलों में बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बोस्किया (boccia), पैरा-पावरलिफ्टिंग (Para-Power Lifting ) आदि शामिल हैं।

पर्यावरण

राष्ट्रीय शीतलन योजना (National Cooling Plan) का आरंभ

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) लॉन्च किया गया है।

  • ICAP विभिन्न क्षेत्रों की शीतलन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सुझाव देगा और 20 वर्ष (2037-38 तक) की अवधि में सतत् शीतलन तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये उपाय सुझाएगा।
  • ICAP में उल्लिखित मुख्य लक्ष्यों में शामिल हैं:
  • शीतलन और संबंधित क्षेत्रों में तकनीकी समाधानों का विकास करना;
    • वर्ष 2037-38 तक विभिन्न क्षेत्रों में शीतलन मांग (Cooling Demand) में 20-25 प्रतिशत की कमी लाना;
    • वर्ष 2037-38 तक प्रशीतन मांग (refrigerant demand) में 25-30 प्रतिशत की कमी लाना
    • वर्ष 2022-23 तक एक लाख सर्विसिंग सेक्टर तकनीशियनों (Servicing Sector Technicians) को प्रशिक्षित और प्रमाणित करना।

खतरनाक और अन्य अपशिष्ट नियमों में संशोधन

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) ने खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) नियम, 2016 में संशोधन किया है।
  • प्रमुख संशोधनों में शामिल हैं:
    • ठोस प्लास्टिक अपशिष्ट का भारत में आयात प्रतिबंधित किया गया है।
    • रेशम अपशिष्ट के निर्यातकों को मंत्रालय (MoEF) से अनुमति लेने में छूट प्रदान की गई है।
    • भारत में निर्मित इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में खराबी पाए जाने पर निर्यात के एक वर्ष के भीतर इन सामानों को मंत्रालय (MoEF) की अनुमति के बिना देश में वापस किया जा सकता है। यह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अनुमति के बिना होगा।
    • नियमों के अंतर्गत, हानिकारक अपशिष्ट से निपटने में लगे प्रत्येक उद्योग को पहले राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है। इस अनुमति के साथ जल (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974 और वायु (प्रदूषण पर रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत पूर्व सहमति आवश्यक है।
    • संशोधन के अनुसार, जिन उद्योगों को जल अधिनियम और वायु अधिनियम के तहत सहमति लेने से छूट दी गई है, ऐसे उद्योगों द्वारा उत्पन्न खतरनाक और अन्य अपशिष्ट को अधिकृत वास्तविक उपयोगकर्ताओंओं, अपशिष्ट संग्रहणकर्त्ताओं या निपटान सुविधाओं को सौंप दिये जाने पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति की आवश्यकता से भी छूट दी गई है।

परिवहन

राष्ट्रीय हरित विमानन नीति पर श्वेत पत्र

  • नागरिक विमानन मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित विमानन नीति (National Green Aviation Policy) पर श्वेत पत्र (एक आधिकारिक रिपोर्ट जो किसी विशेष विषय पर सरकार की नीति का वर्णन करता है) जारी किया।
  • यह नीति भारत में वायु परिवहन के सभी समावेशी, हरित और सतत विकास को सक्षम, बढ़ावा देने और सशक्त करने पर लक्षित है।
  • इस नीति की मुख्य बातों में शामिल हैं:
    • हरित अवसंरचना कार्यक्रम (Green Infrastructure Programme ): सभी विमानन हितधारकों को अवसंरचना डिज़ाइन, निर्माण, संचालन, रखरखाव, नवीनीकरण और विध्वंस के दौरान ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर दिशा-निर्देशों को अपनाना चाहिये।

इस तरह के दिशा-निर्देश निम्नलिखित द्वारा निर्दिष्ट होते हैं:

  • इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल
  • यू.एस. ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल
  • ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (GRIHA)
  • अथवा अन्य समकक्ष मानदंड।
  • सभी विमानन हितधारकों को ग्रीनहाउस गैसों(GHGS) के उत्सर्जन को नियंत्रित करना चाहिये।

जल संसाधन

बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रभावी बाढ़ प्रबंधन और अपरदन नियंत्रण के उद्देश्य से बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (Flood Management and Border Areas Programme-FMBAP) को मंज़ूरी दी है।
  • FMBAP को पहले से परिचालित निम्नलिखित दो योजनाओं के घटकों को आपस में विलय करके तैयार किया गया है:

1. बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (Flood Management Programme)।

2. नदी प्रबंधन गतिविधियों और सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित कार्य (River Management Activities and work related to Border Areas)

  • योजना के मुख्य बिंदुओं में शामिल हैं:
    • संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों के माध्यम से बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करने में राज्य सरकारों की सहायता करना।
    • बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत पहले से कार्यरत परियोजनाओं को पूरा करना।
    • पड़ोसी देशों के साथ जल-मौसम विज्ञान संबंधी पर्यवेक्षणों और बाढ़ पूर्वानुमान का कार्यान्वयन।
    • पड़ोसी देशों के साथ साझा नदियों पर जल संसाधन परियोजनाओं का सर्वेक्षण और जाँच करना।

सूचना और प्रसारण

पत्रकार कल्याण योजना के लिये संशोधित दिशा-निर्देश

सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा पत्रकार कल्याण योजना के लिये संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये गए।

  • इस योजना का उद्देश्य अत्यंत विषम परिस्थितियों में पत्रकारों और उनके परिवारों को एकमुश्त वित्तीय सहायता राशि प्रदान करना है।

समिति: इस योजना को संचालित करने के लिये सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। अपने कार्यकाल के दौरान प्राप्त मामलों पर निर्णय लेने के लिये समिति कम-से-कम प्रत्येक तीन माह में एक बार बैठक का आयोजन करेगी।

योजना की पात्रता: ऐसे पत्रकार इस योजना के लिये पात्र होंगे जो:

  • भारत के नागरिक हों,
  • आमतौर पर भारत में निवास करते हों,
  • प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा मान्यता प्राप्त हों,
  • जो पत्रकार पीआईबी से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, वे भी इस योजना के लिये पात्र होंगे, यदि वे लगातार न्यूनतम पाँच वर्षों की अवधि के लिये पत्रकार रहे हों।
  • इस योजना के तहत शामिल पत्रकारों में समाचार पत्र और टेलीविज़न पत्रकार शामिल हैं, लेकिन इसमें प्रबंधकीय, प्रशासनिक या पर्यवेक्षी भूमिका निभाने वाले व्यक्ति शामिल नहीं हैं।

वित्तीय सहायता:

  • पत्रकार की मृत्यु होने पर उसके परिवार को 5 लाख रुपए तक की सहायता राशि प्रदान की जाएगी,
  • पत्रकार के स्थायी रूप से विकलांग होने के कारण आजीविका अर्जित करने में असमर्थ होने पर उसे 5 लाख रुपये तक की सहायता राशि प्रदान की जा सकती है,
  • कैंसर या हृदय रोग जैसी प्रमुख बीमारियों के इलाज के लिये 3 लाख रुपए तक की सहायता प्रदान की जा सकती है
  • योजना के अंतर्गत लाभ केवल आधार से जुड़े खाते में स्थानांतरित किये जाएंगे।
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