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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 अप्रैल, 2021

  • 29 Apr 2021
  • 7 min read

मनोज दास

28 अप्रैल, 2021 को ओडिशा के  प्रख्यात शिक्षाविद और जाने-माने द्विभाषी लेखक मनोज दास का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वर्ष 1934 में ओडिशा में जन्‍मे मनोज दास ने ओडिया और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में महत्त्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ कीं। मनोज दास ने छोटी उम्र में ही लेखन कार्य शुरू कर दिया था और ओडिया भाषा में उनकी कविता की पहली किताब वर्ष 1949 में तब प्रकाशित हुई थी, जब वे हाई स्कूल में पढ़ते थे, इसके बाद उन्होंने एक साहित्यिक पत्रिका और लघु कथाओं का संग्रह भी प्रकाशित किया। एक विपुल द्विभाषी लेखक के रूप में मनोज दास अपनी नाटकीय अभिव्यक्ति के साथ-साथ बेहतरीन व्यंग्य के लिये भी जाने जाते थे। दास ने अपनी रचनाओं में विभिन्न सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं जैसे विस्थापन, प्राकृतिक आपदाएँ (बाढ़, भूकंप और सुनामी आदि), अलौकिक चीज़ों पर मानवों का विश्वास, राजनेताओं का दोहरे व्यवहार और मनोवैज्ञानिक विकार आदि को शामिल किया। मनोज दास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 2001 में पद्मश्री और वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार फैलोशिप से भी सम्मानित किया गया था।

भारत और ब्रिटेन के बीच सीमा शुल्क सहयोग समझौते को मंज़ूरी

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने सीमा शुल्क सहयोग और सीमा शुल्क के मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता को लेकर भारत सरकार और यूनाइटेड किंगडम की सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर को मंज़ूरी दी है। इस समझौते से सीमा शुल्क से संबंधित अपराधों की रोकथाम और जाँच के लिये उपयोगी जानकारी की उपलब्धता में मदद मिलेगी। साथ ही इस समझौते से व्यापार को आसान बनाने और दोनों देशों के बीच व्यापार किये गए माल का आसान क्लीयरेंस सुनिश्चित किया जा सकेगा। संबंधित सरकारों द्वारा अनुमोदित किये जाने के बाद दोनों देशों की सरकारों की ओर से इस समझौते पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। यह समझौता दोनों देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के बीच सूचना एवं खुफिया जानकारी साझा करने का एक कानूनी ढाँचा प्रदान करेगा और सीमा शुल्क कानूनों के उपयुक्त अमल और सीमा शुल्क अपराधों की रोकथाम एवं जाँच और वैध व्यापार को सहज बनाने में मदद करेगा। इस समझौते में सीमा शुल्क मूल्य, टैरिफ वर्गीकरण और दोनों देशों के बीच व्यापार किये गए माल के स्रोत के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान से जुड़ी आवश्यकताओं का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है। 

‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’

कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों और ऑक्सीजन की कमी के मद्देनज़र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को 4,000 ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ प्रदान करने की घोषणा की है। ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ एक चिकित्सा उपकरण है, जो परिवेशी वायु से ऑक्सीजन को संकेंद्रित करता है। विदित हो कि वायुमंडल में लगभग 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और 21 प्रतिशत ऑक्सीजन है तथा अन्य गैसों का हिस्सा 1 प्रतिशत है। ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ वायुमंडल में मौजूद वायु को ‘फिल्टर’ के माध्यम से साफ करता है और नाइट्रोजन को अलग कर उसे वापस वायुमंडल में छोड़ देता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त ऑक्सीजन 90-95 प्रतिशत तक शुद्ध होता है। यद्यपि इसे प्राप्त ऑक्सीजन पूर्णतः शुद्ध नहीं होती है, किंतु विशेषज्ञों की मानें तो यह 85% या उससे अधिक ऑक्सीजन सेचुरेशन स्तर वाले हल्के और मध्यम कोविड-19 रोगियों के लिये पर्याप्त होता है। ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ में मौजूद दबाव वाल्व ऑक्सीजन की आपूर्ति को 1-10 लीटर प्रति मिनट तक सीमित कर उसे विनियमित करने में मदद करता है। ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ को निरंतर संचालन के लिये डिज़ाइन किया जाता है और वह तकरीबन 5 वर्ष अथवा उससे लंबी अवधि तक चौबीसों घंटे ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है। 

‘झुरोंग’ रोवर

चीन की सरकार ने हाल ही में चीन के पहले मंगल रोवर का नाम पारंपरिक अग्नि देवता के नाम पर ‘झुरोंग’ (Zhurong) रखने की घोषणा की है। यह रोवर ‘तियानवेन-1’ प्रोब पर मौजूद है, जो कि बीते दिनों 24 फरवरी को मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँचा था और जीवन के साक्ष्य की तलाश के लिये मई माह में मंगल ग्रह की सतह पर उतरेगा। यह परियोजना चीन की अंतरिक्ष योजनाओं का एक हिस्सा है, जिसमें एक ऑर्बिट स्टेशन को लॉन्च करना और चंद्रमा पर मानव को उतारना भी शामिल है। वर्ष 2019 में चीन चंद्रमा की सतह पर सुदूर क्षेत्र में लैंड करने वाला पहला देश बना था, साथ ही 1970 के दशक के बाद पहली बार पृथ्वी पर चंद्रमा की चट्टानों को वापस था। चीन के मुताबिक, ‘तियानवेन-1’ मिशन के तहत मंगल ग्रह की सतह और भूविज्ञान का विश्लेषण और मानचित्रण करना, पानी की खोज करना और जलवायु तथा पर्यावरण का अध्ययन करना शामिल है। चीन, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद मंगल ग्रह पर रोबोट रोवर लैंड करने वाला तीसरा देश बन जाएगा।

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