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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 मई, 2021

  • 28 May 2021
  • 8 min read

पंडित जवाहरलाल नेहरू

27 मई, 2021 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 57वीं पुण्यतिथि मनाई गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। भारत से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1912 में वे भारत लौटे और राजनीति से जुड़ गए। वर्ष 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं वर्ष 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के महासचिव बने। वर्ष 1929 में वे भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिये पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें वर्ष 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कई अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। नेहरू जी सर्वप्रथम वर्ष 1916 के लखनऊ अधिवेशन में महात्मा गांधी के संपर्क में आए और गांधी जी से काफी अधिक प्रभावित हुए। नेहरू जी बच्चों से काफी अधिक प्रेम करते थे, जिसके कारण देश भर में प्रत्येक वर्ष नेहरू जी के जन्म दिवस (14 नवंबर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित नेहरू को कॉन्ग्रेस द्वारा स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में पद संभालने के लिये चुना गया। चीन से युद्ध के बाद नेहरू जी के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी और 27 मई, 1964 को उनकी मृत्यु हो गई।

स्मार्ट विंडो मैटेरियल

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गुवाहाटी (IIT-G) के शोधकर्त्ताओं ने घरों और इमारतों में स्वचालित जलवायु नियंत्रण के लिये स्मार्ट विंडो मैटेरियल विकसित किया है। इस प्रकार का स्मार्ट विंडो मैटेरियल इमारतों के लिये कुशल स्वचालित जलवायु नियंत्रण प्रणाली विकसित करने में काफी मददगार होगा। हाल के वर्षों में इमारतों में बेहतर रोशनी और ऊष्मा प्रबंधन के लिये सतत् आर्किटेक्चर डिज़ाइनों पर ध्यान दिया गया है और इस प्रकार की स्मार्ट विंडो प्रणाली इस दिशा में पहला कदम हो सकती है। शोधकर्त्ताओं ने दो अल्ट्रा-थिन मेटल लेयर्स से बने इलेक्ट्रो-ट्यून करने योग्य ग्लास का निर्माण किया है, जिसके ‘अपवर्तनांक’ (Refractive Index) को कम वोल्टेज के माध्यम से भी बदला जा सकता है और जो दृश्य एवं अवरक्त विकिरण को फिल्टर करता है। IIT-गुवाहाटी की टीम ने उत्कृष्ट धातुओं का उपयोग करके स्मार्ट विंडो 'ग्लास' तैयार किया है, जो मौसम/जलवायु की स्थिति के आधार पर सौर विकिरण की तीव्रता को नियंत्रित कर सकता है। यह स्मार्ट ग्लास वाहनों, लोकोमोटिव, हवाई जहाज़ और ग्रीनहाउस आदि में कुशल स्वचालित जलवायु नियंत्रण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो सकता है। 

एरिक कार्ले

हाल ही में विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी बाल साहित्यकार, चित्रकार और डिज़ाइनर ‘एरिक कार्ले’ का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। 25 जून, 1929 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में जन्मे एरिक कार्ले ने कई प्रसिद्ध बाल पुस्तकें प्रकाशित कीं, जिसमें उनकी सबसे प्रमुख पुस्तक ‘द वैरी हंगरी कैटरपिलर’ (1969) भी शामिल है, जिसकी वर्ष 2018 तक लगभग 50 मिलियन प्रतियाँ बिक चुकी थीं और 60 से अधिक भाषाओं में उसका अनुवाद किया गया है। एरिक कार्ले ने जर्मनी से ग्राफिक आर्ट की पढाई की और वे वर्ष 1950 में ग्रेजुएट हुए, जिसके बाद एरिक कार्ले वर्ष 1952 में पुनः न्यूयॉर्क (अमेरिका) आ गए। यहाँ उन्होंने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में एक ग्राफिक डिज़ाइनर के रूप में काम किया और बाद में उन्हें कोरियाई युद्ध के दौरान सेना में शामिल कर लिया गया। सेना से लौटने पर वे ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में पुनः शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध बाल साहित्यकार बिल मार्टिन जूनियर के साथ कार्य किया और वर्ष 1967 में उन्होंने ‘ब्राउन बियर, ब्राउन बियर, व्हाट डू यू सी?’ नामक पुस्तक प्रकाशित की, जो उस समय की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बनी और जिसने कई पुरस्कार भी जीते। एरिक कार्ले ने अपने कॅॅरियर में 75 से अधिक पुस्तकें लिखी और/या उनमें चित्रकारी की।  

पेन्पा त्सेरिंग

53 वर्षीय पेन्पा त्सेरिंग को धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार यानी ‘केंद्रीय तिब्बती प्रशासन’ का अध्यक्ष चुना गया है, जिसे आधिकारिक तौर पर ‘सिक्योंग’ कहा जाता है। ज्ञात हो कि पेन्पा त्सेरिंग तिब्बत की निर्वासित संसद के पूर्व अध्यक्ष हैं। वर्ष 1967 में कर्नाटक के बाइलाकुप्पे रिफ्यूजी कैंप में जन्मे त्सेरिंग ने बाइलाकुप्पे में तिब्बती केंद्रीय स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। पेन्पा त्सेरिंग ने अपने कॉलेज के दौरान तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन और नाइजीरियाई-तिब्बत मैत्री संघ के महासचिव के रूप में कार्य किया तथा बाद में वर्ष 2001-08 तक दिल्ली में तिब्बती संसदीय एवं अनुसंधान केंद्र में कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया। नियमों के मुताबिक, दुनिया भर के किसी भी देश में रह रहे 18 वर्ष से अधिक आयु के तिब्बती शरणार्थी मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। ज्ञात हो कि भारत समेत विश्व भर के तमाम देशों में 1.3 लाख से अधिक शरणार्थी मौजूद हैं। निर्वासित तिब्बती सरकार या ‘केंद्रीय तिब्बती प्रशासन’ को भारत सहित विश्व स्तर पर किसी भी देश द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान नहीं की गई है।

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