लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



प्रिलिम्स फैक्ट्स

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जुलाई, 2021

  • 27 Jul 2021
  • 8 min read

'MyGov-मेरी सरकार' पोर्टल 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में 'MyGov-मेरी सरकार' (MyGov-Meri Sarkar) पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल के माध्यम से राज्य सरकार आम लोगों से फीडबैक प्राप्त कर सकेगी और साथ ही इसकी सहायता से आम लोग सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी ले सकेंगे। इस पोर्टल का उद्देश्य राज्य सरकार के साथ आम नागरिकों के जुड़ाव को और बढ़ाना है। यह प्रशासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार तथा उन पर आम नागरिकों की राय जानने के एक प्रमुख मंच के तौर पर कार्य करेगा। 'मेरी सरकार' पोर्टल राज्य के लोगों को अपने विचारों, सुझावों और प्रतिक्रिया को राज्य सरकार तथा प्रशासन तक संप्रेषित करने में मदद करेगा। यह पोर्टल जनभागीदारी और सुशासन के लिये देश भर में एक अभिनव मंच का उदाहरण बन सकता है। उत्तर प्रदेश का यह पोर्टल केंद्र सरकार के ‘MyGov’ पोर्टल से प्रेरित है। ‘MyGov’ एक ऐसा मंच है जो लोगों, विशेष रूप से युवाओं के लिये सरकार से सक्रिय रूप से जुड़ने एवं राष्ट्र के विकास के प्रति उनके जुड़ाव को सुविधाजनक बनाने के लिये एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। यह मंच देश भर के आम जनमानस को विभिन्न कार्यों और चर्चाओं के माध्यम से सुशासन की दिशा में योगदान करने में सशक्त बनाता है। 

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन

सरकार ने देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। ‘राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन’ को एक अम्ब्रेला स्ट्रक्चर के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो अनुसंधान व विकास, शिक्षा एवं उद्योग के बीच संबंधों में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ का कुल प्रस्तावित परिव्यय लगभग 50,000 करोड़ रुपए है और इसे आगामी पाँच वर्षों की अवधि में तैयार किया जाएगा। इस संगठन के प्राथमिक उद्देश्यों में देश भर के शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान तंत्र को विकसित करना तथा उसे सुविधाजनक बनाना है। इस संगठन की परिकल्पना नई शिक्षा नीति-2020 के तहत भी की गई है। वित्त आवंटन का अभाव प्रायः भारत में शोध और शोधकर्त्ताओं की कमी के सबसे बड़े कारणों में से एक है तथा इस फाउंडेशन का उद्देश्य इसी कमी को पूरा करना है। गौरतलब है कि देश में अनुसंधान के लिये आवंटित धन वर्ष 2008 में सकल घरेलू उत्पाद का 0.84 प्रतिशत था, जो कि वर्ष 2014 में घटकर 0.69 प्रतिशत तक पहुँच गया, यह संयुक्त राज्य अमेरिका (2.8%), इज़राइल (4.3%) और दक्षिण कोरिया (4.2%) की तुलना में काफी कम है।  

ओडिशा में आपदा प्रबंधन पर अनिवार्य पाठ्यक्रम 

हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य के कॉलेजों में पहले वर्ष के दौरान आपदा प्रबंधन पर एक पाठ्यक्रम अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाने की घोषणा की है। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व ओडिशा सरकार ने हाई स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में आपदा एवं महामारी प्रबंधन को शामिल करने का निर्णय लिया था। इन पाठ्यक्रमों का प्राथमिक उद्देश्य राज्य भर में छात्रों को आपदाओं के कारण उत्पन्न चुनौतियों जैसे कि बार-बार आने वाले चक्रवात एवं कोरोना वायरस महामारी आदि का सामना करने हेतु बेहतर तैयारी हेतु प्रशिक्षित करना है। गौरतलब है कि बीते दिनों चक्रवात यास ने राज्य में काफी नुकसान किया था और भारी बारिश, घरों को नुकसान पहुँचने, खेतों के नष्ट होने एवं विद्युत नेटवर्क के बाधित होने की घटनाएँ देखने को मिली थीं। ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स रिपोर्ट’ 2020 के अनुसार, भारत जलवायु परिवर्तन के मामले में पाँचवाँ सबसे संवेदनशील देश है। हाल के वर्षों में देश भर में भूकंप, चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन और वनाग्नि की घटनाएँ काफी सामान्य हो गई हैं। संवेदनशील समुदायों, विशेष रूप से गरीबों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर जलवायु आपातकाल के गंभीर प्रभाव को देखते हुए इसे जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से लचीला बनाना काफी महत्त्वपूर्ण है। ऐसे में उच्च शिक्षा के स्तर पर आपदा प्रबंधन को पाठ्यक्रम में शामिल करना इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।

रूस का ‘नौका’ मॉड्यूल

हाल ही में रूस की स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिये ‘नौका’ (Nauka) नाम से एक नया मॉड्यूल लॉन्च किया है, जो स्पेस स्टेशन पर देश की मुख्य अनुसंधान सुविधा के रूप में काम करेगा। ज्ञात हो कि अब तक रूस द्वारा ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ ‘पीर’ नाम से मॉड्यूल का प्रयोग किया जा रहा था, जिसे मुख्यतः अनुसंधान और डॉकिंग पोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। 42 फीट लंबे और 20 टन वज़न वाले इस ‘नौका’ मॉड्यूल को मूलतः वर्ष 2007 की शुरुआत में लॉन्च किया जाना था। हालाँकि कई तकनीकी मुद्दों के कारण इसे अब तक लॉन्च नहीं किया जा सका था। ‘नौका’- जिसका अर्थ रूसी भाषा में ‘विज्ञान’ है- रूस की अब तक की सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला है तथा यह मुख्य रूप से एक शोध सुविधा के रूप में काम करेगी। ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ पर ‘नौका’ मॉड्यूल को  ‘ज़्वेज़्दा मॉड्यूल’ (Zvezda Module) से जोड़ा जाएगा, जो कि अंतरिक्ष स्टेशन पर ‘लाइफ सपोर्ट सिस्टम’ के रूप में कार्य करने के साथ ही ‘रूसी ऑर्बिटल सेगमेंट’ (ROS) के संरचनात्मक एवं कार्यात्मक केंद्र के रूप में कार्य करता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2