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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 अक्तूबर, 2021

  • 19 Oct 2021
  • 7 min read

लालन स्मरण उत्सव

16 अक्तूबर, 2021 को बांग्लादेश में महान सूफी संत ‘लालन फकीर’ की 131वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बांग्लादेश शिल्पकला अकादमी द्वारा 'लालन स्मरण उत्सव' का आयोजन किया गया। लालन फकीर का जन्म बांग्लादेश के कुश्तिया ज़िले के हरीशपुर गाँव (1774) में एक कुलिन हिंदू कायस्थ परिवार में हुआ था, हालाँकि उनका पालन-पोषण एक मुस्लिम परिवार में हुआ। ‘फकीर लालन शाह’ अविभाजित हिंदुस्तान खासतौर पर बंगाल क्षेत्र में अपने समय के एक महान रहस्यवादी संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। लालन ‘शिराज शाह फकीर’ के शिष्य थे और ‘लालन शाह फकीर’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। वह न केवल एक बंगाली संत थे बल्कि एक गीतकार, दार्शनिक और समाज सुधारक भी थे। गरीब एवं अनपढ़ होने के बावजूद वे 19वीं सदी के दौरान बंगाल में धर्म के एकीकरण के प्रतीक के रूप में उभरे। उन्होंने अपने जीवनकाल में लगभग 10,000 गीतों की रचना की थी। उनके दर्शन में इस्लाम, वैष्णववाद और शाहजिया, बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म का सम्मिश्रण मिलता है। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल इस्लाम और अमेरिकी कवि एलन गिन्सबर्ग जैसी महान हस्तियों को प्रेरित और प्रभावित किया। 116 वर्ष की आयु में वर्ष 1890 में उनकी मृत्यु हो गई। 

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस

प्रतिवर्ष 17 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस गरीबी में जीवनयापन करने के लिये मज़बूर लोगों के संघर्षों को मान्यता देने का एक साधन है। गौरतलब है कि 17 अक्तूबर, 1987 को गरीबी, भूख एवं हिंसा के पीड़ितों को सम्मानित करने हेतु पेरिस के ‘ट्रोकाडेरो’ में एकत्र हुए लोगों द्वारा ‘गरीबी’ को मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में घोषित किया गया था। साथ ही इसी दिन वर्ष 1948 में ‘मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा’ पर भी हस्ताक्षर किये गए थे। इसके पश्चात् संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर, 1992 को ‘संकल्प-47/196’ को अपनाकर 17 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस’ के रूप में घोषित किया। ‘विश्व बैंक’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने लगभग 88 से 115 मिलियन लोगों को गरीबी में धकेल दिया है, जिसमें से अधिकांश लोग दक्षिण एशियाई और उप-सहारा क्षेत्रों के हैं। माना जाता है कि यह संख्या आने वाले समय में 143 से 163 मिलियन तक बढ़ सकती है। विदित हो कि ये आँकड़े मौजूदा 1.3 बिलियन लोगों के अतिरिक्त हैं जो महामारी से पूर्व भी गरीबी में जीवनयापन कर रहे थे। 

आयुध निदेशालय

हाल ही में ई.आर. शेख ने ‘आयुध निदेशालय’ (समन्वय और सेवा) के पहले महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाला है, यह ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (OFB) की समाप्ति के बाद नव-निर्मित इकाई है। ई.आर. शेख 1984 बैच के एक भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (IOFS) अधिकारी हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आयुध निदेशालय ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ का उत्तराधिकारी संगठन है। भारत सरकार ने 1 अक्तूबर, 2021 को ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ को भंग कर दिया था और उसकी समग्र संपत्ति, प्रबंधन, कर्मचारियों को सात नव-स्थापित ‘रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों’ में स्थानांतरित कर दिया गया था। केंद्र सरकार के निर्णय के मुताबिक, देश भर में 41 कारखानों को रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के सात नए उपक्रमों में बदला जाना है। नवनिर्मित संस्थाएँ सरकार के 100% स्वामित्व में होंगी। ये संस्थाएँ उत्पादों के विभिन्न कार्यक्षेत्रों के लिये ज़िम्मेदार होंगी जैसे कि गोला-बारूद और विस्फोटक समूह गोला-बारूद का उत्पादन करेंगे, जबकि एक वाहन समूह रक्षा गतिशीलता और लड़ाकू वाहनों के उत्पादन में संलग्न होगा। 

माउंट मणिपुर

मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक द्वीप शिखर- ‘माउंट हैरियट’ का नाम बदलकर ‘माउंट मणिपुर’ करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में घोषणा करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर ने वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान और वर्ष 1891 में पूर्वोत्तर में अंग्रेज़ों का विरोध करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसने अपना संविधान लागू किया था। विदित हो कि मणिपुर युद्ध के नायक युवराज टिकेंद्रजीत और जनरल थंगल को इंफाल में सार्वजनिक रूप से फाँसी दी गई थी। ‘माउंट हैरियट’ (अब ‘माउंट मणिपुर’) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की तीसरी सबसे ऊँची द्वीप चोटी, जहाँ एंग्लो-मणिपुरी युद्ध (1891) के दौरान मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र सिंह और 22 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया था।

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