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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 अक्तूबर , 2020

  • 17 Oct 2020
  • 6 min read

बाबा बंदा सिंह बहादुर

प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी ने बाबा बंदा सिंह बहादुर की 350वीं जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्‍होंने गरीबों को सशक्‍त बनाने की दिशा में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किये। बाबा बंदा सिंह बहादुर का जन्म वर्ष 1670 में एक राजपूत परिवार में हुआ था। वे एक सिख योद्धा थे, जिन्हें अस्सी के दशक की शुरुआत में श्री गुरु गोबिंद सिंह से मिलने के बाद मुगल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष के लिये जाना जाता है। जब उन्होंने पंजाब में अपना अधिकार स्थापित किया तो उनके सबसे प्रमुख कार्यों में, जमींदारी व्यवस्था का उन्मूलन, और भूमि पर कार्य करने वाले लोगों को मालिकाना अधिकार प्रदान करना था। इसके अलावा बाबा बंदा सिंह बहादुर ने गुरु नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी के नाम पर सिक्कों की शुरुआत की और साथ ही मुख्लिसगढ़ का नाम बदलकर लोहागढ़ कर दिया गया, जो कि वर्ष 1710 से वर्ष 1716 के बीच सिख राज्य की राजधानी बना। वर्ष 1715 में बाबा बंदा सिंह बहादुर और उनके साथियों को मुग़ल शासकों द्वारा कैद कर लिया गया और वर्ष 1716 में उनकी मृत्यु हो गई।

मदन बी. लोकुर समिति

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे के नेतृत्त्व में सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ तीन राज्यों (हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश) में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम के लिये सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर (Madan B Lokur) की एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। जस्टिस मदन बी. लोकुर की एक-सदस्यीय समिति, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना और स्काउट्स-गाइड्स में तैनात स्वयंसेवक छात्रों की मदद से दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने का प्रयास करेगी। इस संबंध में तैयार की गई योजना के अनुसार, स्वयंसेवक छात्र तीन राज्यों में राजमार्गों और अन्य क्षेत्रों में गश्त करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि खेतों में आग न लगे। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि तीन राज्यों के मुख्य सचिव, इस समिति को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करेंगे और छात्र स्वयंसेवकों के लिये पर्याप्त परिवहन की व्यवस्था करेंगे। 

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस

प्रत्येक वर्ष 17 अक्तूबर को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) मनाया जाता है, इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में ऐसे लोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है जो अभी भी गरीबी के अभिशाप का सामना कर रहे हैं। ध्यातव्य है कि गरीबी का उन्मूलन किये बिना मानव जाति के विकास की कल्पना करना काफी कठिन है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 22 दिसंबर, 1992 को एक प्रस्ताव के माध्यम से 17 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी का सबसे अधिक प्रभाव विश्व के गरीब और संवेदनशील वर्ग पर देखने को मिला है, विश्व बैंक ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में आगाह किया है कि महामारी के प्रभाव के कारण वर्ष 2021 तक तकरीबन 150 मिलियन लोग ‘अत्यंत गरीबी’ की श्रेणी में आ सकते हैं।

सूरोनबे जीनबेकोव

किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव (Sooronbay Jeenbekov) ने भारी विरोध प्रदर्शन के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूरोनबे जीनबेकोव का यह निर्णय किर्गिज़स्तान में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा एक स्वर में सूरोनबे जीनबेकोव के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। इससे पूर्व राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने राजधानी बिश्केक (Bishkek) में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। दरअसल सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है, जिसके कारण किर्गिज़स्तान की आम जनता के बीच असंतोष पैदा हो गया था। इसी बीच किर्गिज़स्तान में संसदीय चुनाव आयोजित किये गए और विपक्षी दलों ने सूरोनबे जीनबेकोव पर चुनावी प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। यद्यपि प्रथम दृष्टया किर्गिज़स्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शन हालिया चुनावों का परिणाम लग सकते हैं, किंतु विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार विरोधी ये प्रदर्शन काफी हद तक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार की असफलताओं से प्रेरित हैं।

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